190 साल का मानसिक युद्ध
1. आज़ादी नहीं, पहचान की वापसी
भारत की लड़ाई सिर्फ़ राजनीतिक स्वतंत्रता की नहीं थी, बल्कि सांस्कृतिक और मानसिक स्वाधीनता की भी थी।
- 1947 में राज बदल गया, पर दिमाग़ पर नियंत्रण नहीं बदला।
- तलवार से लूटा भारत वापस उठ खड़ा हुआ
- पर विचारों से लुटा भारत अभी भी रिकवरी मोड में था
- आक्रांताओं से नहीं, मैकाले की शिक्षा से सबसे बड़ा घाव मिला
जब PM मोदी ने अयोध्या में कहा:
- “190 साल पहले हमारी आत्मा पर प्रहार किया गया था।”
यह सिर्फ़ बयान नहीं, सभ्यता की स्मृति–जागरण ध्वनि थी।
2. 1835: मैकाले की फाइलें और दिमाग़ पर हमला
ब्रिटिश राज में एक सीक्रेट प्रोजेक्ट चलाया गया: File No. 27 — Indian Mind Project. इसकी मुख्य पंक्तियाँ थीं:
- “भारत को शारीरिक रूप से हराना असंभव है, उसका आत्मविश्वास को तोड़ दो।”
- “भारतीयों को अपनी ही सभ्यता पर विश्वास करना बंद करवा दो।”
- “उन्हें ऐसी शिक्षा दो कि वे दिखें भारतीय, पर सोचें अंग्रेज़।”
हथियार क्या थे?
- पाठ्यक्रम
- मीडिया
- चर्च मिशन स्कूल
- अंग्रेज़ी को श्रेष्ठता की कुंजी बनाना
- गुरुकुलों, संस्कृत और वेद ज्ञान को पिछड़ा कहना
अंतिम लक्ष्य
- धार्मिक नहीं, मानसिक दासता।
3. 1835–1947: मनोवैज्ञानिक उपनिवेशवाद
भारत के आध्यात्मिक और बौद्धिक अस्तित्व पर हमला व्यवस्थित था:
- वेद = mythology
- राम = कल्पना
- कृष्ण = काव्य
- आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, सुश्रुत = सीमित उल्लेख
- मुग़ल = “Golden Age”
- मंदिर = “irrational spaces”
ब्रिटिश को पता था:
- “भारत का सामर्थ्य ज्ञान में नहीं, चेतना में है।”
इसलिए शिक्षा बदली, स्मृति बदली, इतिहास बदला।
4. स्वतंत्रता के बाद भी दिमाग़ पर कब्ज़ा जारी
1947 के बाद राजनीतिक सत्ता भले ही भारतीयों के हाथ में आई, पर शिक्षा और बौद्धिक सत्ता वही रही।
कौन आगे बढ़ाया मैकाले का एजेंडा?
- नेहरूवादी इतिहासकार
- वामपंथी पाठ्यक्रम नियंत्रण
- सेक्युलर अकादमिक लॉबी
- NCERT की विकृत इतिहास किताबें
- पश्चिमी NGOs द्वारा नियंत्रित सांस्कृतिक नैरेटिव
परिणाम:
- हिंदू इतिहास को “द्वितीयक”
- मुग़ल और आक्रांताओं को “प्रगतिशील शासक”
- सनातन को “बाबरी, जाति, अंधविश्वास” तक सीमित कर दिया गया
5. 1947–2014: सभ्यता को भूलने का युग
- गुरुकुल → कॉन्वेंट
- संस्कृत → विदेशी भाषाएँ
- आयुर्वेद → पश्चिमी दवाइयाँ
- धर्म → सेक्युलरिज़्म के बहाने शर्म
- महान योद्धा (राजपूत, मराठा, अहोम, चोल, विजयनगर) हटाए गए
- हमलावर (खिलजी, बाबर, औरंगज़ेब, अकबर) महिमामंडित
परिणाम:
- “हिंदू बच्चा अपनी पहचान के लिए हमेशा माफ़ी मांगते हुए बड़ा हुआ।”
6. 2014–2025: सभ्यता की पुनर्स्मृति
राम मंदिर उद्घाटन सिर्फ़ धार्मिक घटना नहीं थी, यह मोंकाले नीती का अंतिम पतन था।
- संस्कृति ने आत्मविश्वास वापस पाया
- शिक्षा में भारतीय शिक्षा पद्यति शामिल
- वेद, गणित, योग, आयुर्वेद, वास्तु पुनः स्थापित -IGNOU, IIT और ISRO में वैदिक विज्ञान शोध
- वैश्विक स्तर पर परिवर्तन
- अब पश्चिम भारत को फॉलो कर रहा है
- आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, आध्यात्मिक चेतना पर रिसर्च पाश्चात्य विश्वविद्यालयों में हो रही है।
7. चिंता का कारण: कैसे साम्राज्यवाद आज भी सक्रिय है
आज भी कुछ शक्तियाँ परदे के पीछे सक्रिय हैं:
- पश्चिमी डीप स्टेट
- चीन के शैक्षणिक प्रोपेगेंडा नेटवर्क
- गल्फ के कट्टरपंथी फंड
- भारत-विरोधी (Break-India) एनजीओ नेटवर्क
- एंटी-सनातन गठजोड़
- वामपंथी –उदारवादी मीडिया + पश्चिमी थिंक टैंक
इन सभी का भय यह है:
- भारत की पहचान आज भी जीवित है। जब याद आया, तो नियंत्रण टूटे।
8. आज का निर्णायक मोड़: 2025 की चुनौती
- भारत सिर्फ राजनीतिक नहीं, मानसिक स्वतंत्रता के मोड़ पर है।
खतरा:
- विपक्ष + वाम + विदेशी एजेंडा + मीडिया गठजोड़ का एकमात्र उद्देश्य
→ मोदी हटाओ,भारत का विकास रोक दो
क्योंकि वे जानते हैं कि:
- सनातन आत्मविश्वास = सभ्यता पुनर्जागरण = भू-राजनीतिक शक्ति
9. 190 साल पुरानी कहानी का अंत शुरू
- 1835 में शुरू हुआ मानसिक युद्ध 2025 में समाप्ति की दहलीज़ पर है।
- यह पुनर्जागरण नहीं, यह मूल स्वरूप का पुनर्स्थापन है।
- संस्कृति लौटी
- राम लौटे
- स्मृति लौटी
- शिक्षा लौटी
- जड़ें लौटी
भारत फिर से वैसा नहीं बन रहा, जैसा था — भारत वही बन रहा है, जैसा वह हमेशा से था।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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