- भारत का इतिहास कई गौरवशाली घटनाओं से भरा हुआ है,
- पर कुछ ऐसे काले अध्याय भी हैं जिन्हें याद करते ही आत्मा कांप उठती है।
1984 का सिख नरसंहार ऐसा ही एक कलंक है — - जब कांग्रेस की सत्ता-लोलुपता ने न केवल लोकतंत्र को शर्मसार किया,
बल्कि इंसानियत को जिंदा जला दिया।
🩸 1 नवंबर 1984: जब देश की गलियों में बहा मासूमों का खून
- इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, कांग्रेस के नेताओं ने सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा की आग फैलाई।
- यह कोई स्वाभाविक जनभावना नहीं थी —यह एक राजनीतिक रूप से संगठित नरसंहार था, जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं ने भीड़ को निर्देश दिए।
- “उनके घरों को जला दो, बच्चों को मार दो, औरतों को छोड़ो मत!”
— ये नारे कांग्रेस के स्थानीय दफ्तरों से सुनाई देते थे। - दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, भोपाल, इंदौर, हरियाणा — हर जगह खून की नदियाँ बह रही थीं।
> हजारों सिख परिवारों का सर्वनाश हो गया।
> उनकी संपत्तियाँ लूटी गईं, महिलाओं की अस्मिता रौंदी गई,
>और पुलिस प्रशासन ने आंख मूंद ली।
⚖️ राजीव गांधी का अमानवीय बयान — सत्ता बनाम इंसानियत
जब चारों ओर चीखें गूंज रही थीं, तब प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने कहा —
- “जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।” इस वाक्य ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया
- कांग्रेस की नज़र में हजारों सिखों की हत्या कोई अपराध नहीं,
बल्कि एक ‘प्राकृतिक प्रतिक्रिया’ थी। - क्या किसी लोकतांत्रिक देश में ऐसा बेशर्मी भरा तर्क स्वीकार्य हो सकता है?
- लेकिन कांग्रेस के लिए सत्ता ही सर्वोच्च थी — इंसानियत, न्याय, धर्म और राष्ट्रहित — सब उसके नीचे।
🧨 कांग्रेस की गंदी राजनीति: देशहित नहीं, वोट-बैंक सर्वोपरि
कांग्रेस ने कभी भी भारत को एक राष्ट्र के रूप में नहीं देखा।
- उनके लिए देश केवल एक राजनीतिक प्रयोगशाला था, जहाँ वोट-बैंक ही उनका भगवान था।
- उन्होंने सिखों के दर्द पर मौन साधा।
- हिंदू शरणार्थियों की पुकार अनसुनी की।
- कश्मीर, पंजाब, असम में आतंकवाद को बढ़ावा दिया
ताकि मुस्लिम वोट-बैंक खुश रहे। - जब भी राष्ट्रहित की बात आई, कांग्रेस ने इस्लामी appeasement को चुना।
- लेकिन जब हिंदू या देशभक्त समाज पर अत्याचार हुआ — तो वही कांग्रेस “सिक्युलरिज़्म” के नाम पर मौन रही।
कांग्रेस का इतिहास यह बताता है कि
- उन्होंने हमेशा देश की जनता के हितों की बलि दी
ताकि अपनी राजनीतिक दुकान चलती रहे।
🕳️ लोकतंत्र और संविधान का गला घोंटने वाली पार्टी
- 1975 का आपातकाल कांग्रेस की सबसे बड़ी तानाशाही थी,
जहाँ इंदिरा गांधी ने संविधान को रौंद डाला। - मीडिया पर सेंसरशिप, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी,
और न्यायपालिका पर दबाव — यही कांग्रेस का चेहरा था। - 1984 में फिर वही मानसिकता दिखी —
कानून को लात मारकर अपराधियों को बचाना,
गवाहों को धमकाना और सच्चाई को दबाना। - यह कोई एक गलती नहीं थी —
यह कांग्रेस की सिस्टमेटिक मानसिकताथी: - “अगर अपराधी हमारे काम के हैं, तो वो निर्दोष हैं।
अगर देशभक्त हमें चुनौती देते हैं, तो वो अपराधी हैं।”
⚔️ अगर आज भी कांग्रेस सत्ता में होती…
कल्पना कीजिए — अगर आज भी वही कांग्रेस सत्ता में होती:
- सिख आज भी न्याय की बाट जोह रहे होते,
- कश्मीरी पंडित आज भी विस्थापित होते,
- पाकिस्तान के आतंकियों को आज भी “शांति प्रक्रिया” कहकर छोड़ा जा रहा होता,
- और भारत फिर से भ्रष्टाचार, घोटालों और आर्थिक तबाही के दलदल में धंसा होता।
कांग्रेस के लिए भारत नहीं, ‘भारत पर राज’ ही महत्वपूर्ण था। उनका लक्ष्य हमेशा रहा —
- “देश टुकड़े-टुकड़े हो जाए पर सत्ता हमारे पास रहे।”
🌅 मोदी युग: न्याय, साहस और राष्ट्र पुनर्जागरण
- 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने,
तब पहली बार देश ने देखा कि सत्ता सेवा और राष्ट्रहितका माध्यम भी हो सकती है। - मोदी सरकार ने सिख दंगों की जांच के लिए SIT का गठन किया।
- दोषियों पर मुकदमे चले, और कई कांग्रेसी नेता सलाखों के पीछे पहुंचे।
- पीड़ित सिख परिवारों को मुआवज़ा और पुनर्वास मिला।
- कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, जिससे आतंकवाद की कमर टूटी।
- CAA और NRC जैसे कदमों से भारत की नागरिकता की गरिमा पुनर्स्थापित हुई।
- आज जो दीपावली लाल चौक, श्रीनगर में जल रही है,
वह उसी निर्णायक नेतृत्व की देन है — जो बंदूक के साये को भगाकर दीपक की रोशनी लाया।
🛡️ मोदी सरकार: बाहरी और आंतरिक दुश्मनों पर प्रहार
- बाहरी दुश्मनों — पाकिस्तान, चीन और पश्चिमी शक्तियों — को मोदी सरकार ने
आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक युद्ध में परास्त किया। - वहीं आंतरिक दुश्मनों —
कांग्रेस, वामपंथी विचारधारा, विदेशी NGO नेटवर्क, और इस्लामी आतंक समर्थकों — को भी बेनकाब किया जा रहा है। - ये वही ताकतें हैं जो भारत की तेज़ प्रगति से डरती हैं,
और अंतरराष्ट्रीय जिहादी संगठनों व डीप स्टेट लॉबी से धन पाकर
भारत को अस्थिर करने में लगी हैं।
🗳️ आपका एक वोट: राष्ट्र की रक्षा का संकल्प
- 2014 में आपका एक वोट भारत को भ्रष्टाचारमुक्त युग में ले गया।
- 2019 में आपका वोट भारत को राष्ट्रवादी नवजागरण की राह पर ले आया।
- 2024 मैं सनातन अस्मिता को पुनर्जीवित किया
- और आगे — आपका एक वोट तय करेगा कि
भारत विश्वगुरु बनेगा या फिर पुराने दलदल में धकेला जाएगा।
इसलिए याद रखें —
- “आपका वोट केवल एक अधिकार नहीं,
बल्कि राष्ट्ररक्षा का सबसे बड़ा शस्त्र है।”
🌄 नया भारत — जहां न्याय की जीत होती है
- आज भारत बदल रहा है।
- जहाँ पहले “राजनीति” न्याय को दबा देती थी,
- अब “राष्ट्रनीति” न्याय को सशक्त बना रही है।
यह नया भारत है, जहाँ
- अपराधी बच नहीं सकता,
- देशद्रोही छिप नहीं सकता,
- और राष्ट्रभक्ति कभी झुक नहीं सकती।
हम सबका दायित्व है —
- ऐसे नेतृत्व को मजबूत करना,
जो राष्ट्र को पहले रखता है और सत्ता को बाद में।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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