2024–2029: भारत की सनातनी पहचान की आखिरी लड़ाई
2024–2029 का समय केवल राजनीतिक बदलावों का नहीं, बल्कि भारत की सनातनी पहचान के भविष्य को तय करने वाला काल है। क्या हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों को बचा पाएंगे या चुपचाप उनके क्षय के गवाह बनेंगे? आइए इस गहराई से जुड़ी लड़ाई को समझने की कोशिश करें।
🧨 यह शायद अंतिम चुनाव हो जिसमें हिंदू निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं
क्या आपने कभी गहराई से सोचा कि यह चुनाव इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
- अगले 5 वर्षों में, लाखों मुस्लिम किशोर (13-17 वर्ष के) वोटर बन जाएंगे।
- उनका वोटिंग पैटर्न संगठित, आक्रामक और स्थानीय रूप से केंद्रित होता है — जिससे वे कई सीटों पर जीत-हार तय करेंगे।
वहीं, हिंदू युवा:
- शिक्षा और नौकरी के कारण राज्यों में बिखरे होंगे।
- जातियों और पार्टियों में बँटे होंगे।
- और कई तो वोट देने ही नहीं जाएंगे।
❗ लोकतंत्र में संख्या ही शक्ति है। जब जनसंख्या संतुलन बदलता है, तो सत्ता की दिशा भी बदल जाती है — और वह परिवर्तन स्थायी होता है।
📊 धीरे-धीरे जनसंख्यात्मक परिवर्तन का खतरा अब यथार्थ बन चुका है
बंगाल, असम, केरल, यूपी और बिहार के कई हिस्सों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो रहा हैं।
जहाँ मुस्लिम आबादी 25% से ज़्यादा होती है, वहाँ:
- त्योहारों पर पथराव होता है।
- लव जिहाद और कन्वर्ज़न के केस सामने आते हैं।
- इस्लामिक वोट बैंक एकतरफा चुनावों को प्रभावित करता है।
यह कोई कल्पना नहीं — यह सब भारत के कई हिस्सों में हो रहा है।
😐 और हिंदू क्या कर रहे हैं?
वे व्यस्त हैं:
- गुड मॉर्निंग फॉरवर्ड करने में 🌞
- परिवार और बच्चों की फोटो भेजने में 📷
- चुटकुले और ग्रीटिंग्स शेयर करने में 🎉
और जब कोई कहे “देश की बात करें”, तो कहते हैं:
- “भाई, ग्रुप में राजनीति मत लाओ।”
- “हम सब पढ़े-लिखे हैं, धर्म की बात मत करो।”
- “हमें तो बस शांति चाहिए।”
और इस चुप्पी ने वो जगह खाली छोड़ दी जहाँ देशद्रोही तत्व संगठित होकर आगे बढ़ रहे हैं।
🤯 अगर आप अभी भी चुप रहे, तो आगे क्या होगा?
- सड़कें मिलेंगी, बिजली भी मिल जाएगी।
- पर आप रामनवमी की शोभायात्रा नहीं निकाल सकेंगे।
- आप माथे का तिलक छिपाएंगे।
- मंदिरों पर कब्ज़ा होगा, त्योहारों पर प्रतिबंध लगेंगे।
- आपकी बेटी लव जिहाद का शिकार हो सकती है।
- और सबसे बड़ा खतरा — आपका वोट महत्वहीन हो जाएगा।
अल्पसंख्यक अगर संगठित और रणनीतिक हो, और बहुसंख्यक विभाजित और मौन — तो परिणाम क्या होगा, सोचिए।
🧱 लोकतंत्र स्थायी नहीं होता — वह उस बहुमत का प्रतिबिंब होता है जो संगठित हो
जब वोट धर्म के आधार पर डाले जाएँ, और सरकारें तुष्टिकरण के बल पर चलें — तो लोकतंत्र स्वयं सनातन के लिए खतरा बन सकता है।
- आज आपका वोट और प्रयास धर्म की रक्षा करेगा।
- कल आपका वोट शायद किसी काम का न रह जाए।
💥 यह सिर्फ़ कांग्रेस बनाम भाजपा नहीं — यह सनातन बनाम मिटाया जाना है
- राम मंदिर बनने में 500 साल लग गए।
लेकिन जब सत्ता बदलेगी, उसे तोड़ने में कितने दिन लगेंगे? - UCC, लव जिहाद विरोधी कानून, CAA/NRC, गो–रक्षा कानून, मंदिरों की सुरक्षा — सब उलटे पड़ सकते हैं।
🧘♂️ अब क्या करें?
1. जाति को भूलकर धर्म के आधार पर वोट दें
- मुसलमान कभी आपस में नहीं लड़ते — हम क्यों लड़ते हैं?
2. परिवार, बच्चों और मित्रों को जागरूक करें
- उन्हें असली संकट की जानकारी दें — सिर्फ नौकरी या पढ़ाई नहीं, यह अस्तित्व का प्रश्न है।
3. हर फोरम, हर ग्रुप में खुलकर बोलें
l “राजनीति मत लाओ” — यह बहाना अब नहीं चलेगा।
✅ 4. देशभक्त और सनातन समर्थक नेताओं का साथ दें
- वोट, अभियान, और आवाज़ से उनके साथ खड़े हों।
✅ 5. कन्वर्ज़न, जिहाद नेटवर्क और घुसपैठ के खिलाफ सख्त कानूनों की माँग करें
- सरकारों को जगाएँ, मजबूर करें।
📣 अगर आज नहीं बोले, तो कल पछताना पड़ेगा — और तब शायद बहुत देर हो चुकी होगी
- मंदिर दोबारा बन सकता है,
- पर गिरी हुई पहचान दोबारा नहीं लौटती।
- बँटा हुआ वोट कभी जीत नहीं सकता।
- अपने धर्म की रक्षा में शर्म नहीं, गर्व महसूस करो।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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