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आज का लंदन का हाल

🔥 “आज का लंदन का हाल  कल का भारत होगा – अगर अब भी हिंदू नहीं जागे” 🔥

आज का लंदन सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतावनी है। आज का लंदन का हाल बताता है कि कैसे तुष्टिकरण की राजनीति, धार्मिक कट्टरता और जनसांख्यिकीय बदलाव एक समृद्ध सभ्यता को झुका सकते हैं। यह परिवर्तन सिर्फ ब्रिटेन की समस्या नहीं है, बल्कि उन सभी देशों के लिए एक चेतावनी है जो अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्यों की अनदेखी कर रहे हैं।

एक सांस्कृतिक चेतावनी जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता 

🔻 लंदन की वर्तमान स्थिति: एक ऐतिहासिक नगर का पतन

महज़ 25 साल पहले लंदन सभ्यता, संस्कृति, कानून व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए जाना जाता था। आज वहाँ हालात बदल चुके हैं। 

  • लंदन का मेयर एक कट्टरपंथी मुस्लिम है। 
  • कई इलाकों में गैर-मुस्लिम महिलाओं पर हिजाब पहनने का दबाव है। 
  • शराब की दुकानें और पब बिना किसी क़ानूनी पाबंदी के बंद हो गए – धार्मिक दबाव और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण। 
  • पुलिस “धर्मनिरपेक्षता” और “राजनीतिक शुद्धता” के नाम पर मूकदर्शक बनी रहती है। 
  • चर्च बंद हो रहे हैं, वहीं मस्जिदों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

🔻 ऐसा कैसे हुआ?

  • स्थानीय ब्रिटिश लोग वोट की ताकत को समझ नहीं सके। “एक वोट से क्या फर्क पड़ेगा?” सोचकर चुप बैठे रहे।  
  • वहीं मुस्लिम समुदाय एकजुट होकर धर्म आधारित एजेंडा चलाने वाले नेताओं को चुनता रहा। 

नतीजा: लोकतंत्र एक हथियार बन गया, बहुसंख्या होते हुए भी मूल निवासी पीछे छूट गए। 

🔻 यही कहानी सिर्फ लंदन की नहीं है – पूरे पश्चिम की है

फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, कनाडा और स्वीडन भी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं। 

  • शरिया ज़ोन बन चुके हैं 
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है 
  • तुष्टिकरण के चलते पुलिस कानून का पालन कराने से डरती है 
  • स्कूलों में अलग नियम, मुस्लिम छात्रों के लिए विशेष अधिकार 
  • चर्चों को बेचकर मस्जिदें बनाई जा रही हैं 

🔻 समस्या सिर्फ आतंकवाद नहीं है यह सांस्कृतिक उपनिवेशीकरण है 

  • यह इस्लामीकरण की सुनियोजित वैश्विक योजना है, जो धीरे-धीरे स्थानीय संस्कृति, आस्था और नागरिक स्वतंत्रताओं को नष्ट कर रही है। 

🌍 क्या भारत इससे अलग है? नहीं! 

🇮🇳 भारत में भी वही खतरा सिर उठाता दिख रहा है: 

जनसंख्या विस्फोट 

  • 1951 में मुस्लिम आबादी 9.8% थी, आज 15% से ज्यादा है। 
  • कई ज़िलों में 30% पार, जैसे असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से। 
  • जबकि हिंदू सीमित परिवार रखते हैं, मुस्लिम समुदाय में 5-10 बच्चों वाले परिवार आम हैं। 
  • पूरे देश की धार्मिक संरचना बदल रही है।  

राजनीतिक तुष्टिकरण और वोट बैंक का खेल 

  • कांग्रेस, टीएमसी, सपा, राजद जैसी पार्टियाँ खुलेआम मुस्लिम कट्टरपंथियों को बढ़ावा देती हैं। 
  • मदरसे बिना सरकारी निगरानी के पनप रहे हैं – जहाँ बच्चों को जिहादी मानसिकता दी जा रही है। 
  • वक्फ बोर्ड ने लाखों करोड़ की हिंदू जमीन हड़प ली। 
  • लव जिहाद, ज़मीन जिहाद, दंगे और सड़कें कब्जा करने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। 

हिंदू प्रतीकों पर हमला 

  • मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण 
  • त्योहारों पर कोर्ट की पाबंदियाँ 
  • गाय, यज्ञ, भगवा जैसे प्रतीकों को बदनाम करना 
  • हर हिंसा के मामले मैं हिंदुओं को दोषी और मुसलमानों को पीड़ित दिखलाना  

📉 अगर अब भी हिंदू नहीं जागे, तो परिणाम होंगे: 

  • राजनीतिक ग़ुलामी: बहुसंख्या होकर भी सत्ता से दूर होंगे – जैसा ब्रिटेन में हुआ। 
  • मंदिर और परंपराएँ विलुप्त होंगी: मंदिरों को कब्ज़ाया जाएगा या मस्जिदों में बदला जाएगा। 
  • शरिया समानान्तर कानून लागू होंगे: हिजाब विवाद से लेकर हलाला, बहुविवाह, शरीयत कोर्ट – भारत का धर्मनिरपेक्ष संविधान दब जाएगा। 

क्या है समाधान न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए: 

  • वोट बैंक की राजनीति बंद करो राष्ट्रहित सर्वोपरि रखो। 
  • जनसंख्या नियंत्रण कानून सख्ती से लागू करो सभी के लिए समान। 
  • वक्फ बोर्ड खत्म करो उसकी संपत्ति वापस करो। 
  • मदरसे नियंत्रित करो आधुनिक शिक्षा और निगरानी आवश्यक। 
  • कट्टरपंथी संगठनों को बैन करो सिर्फ नाम नहीं, नेटवर्क खत्म करो। 
  • देशभक्ति, संस्कृति और अध्यात्म को स्कूलों में अनिवार्य करो।  

🔊 आपकी चुप्पी आज की सबसे बड़ी हार है। 

  • आपका वोट, आपकी आवाज़ और आपकी जागरूकता ही असली हथियार हैं। 
  • अगर आज नहीं जागे, तो कल भारत का हाल भी आज का लंदन का हाल जैसा हो जाएगा — या उससे भी बदतर। क्योंकि हमारे देश मैं गद्दारों की भरमार है।  

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳 

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