आम आदमी पार्टी (AAP) कभी कोई साधारण राजनीतिक दल नहीं थी। यह एक सुनियोजित और घातक प्रयोग था, जो अमेरिका, पाकिस्तान और चीन के डीप स्टेट द्वारा भारत को अस्थिर करने के लिए रचा गया था। 10 वर्षों तक चले इस प्रयोग ने भारत की राजनीति और समाज में गहरा असर डाला, लेकिन अब इसका अंत निकट है।
“भारत का मोहम्मद यूनुस भी यूनुस से बड़ा बदमाश निकला!”
अरविंद केजरीवाल की राजनीति को आमतौर पर बॉलीवुड फिल्म “नायक” की वास्तविक जीवन में पुनरावृत्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया। लेकिन जो लोग बांग्लादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रम को समझते हैं, वे इस कहानी को कहीं अधिक संदिग्ध दृष्टि से देखते हैं।
बांग्लादेश में, एक सहज ‘छात्र विरोध‘ अचानक शासन परिवर्तन का मंच बन गया। बिल्कुल अरविंद केजरीवाल की तरह, जो अचानक राष्ट्रीय स्तर पर उभरा और कुछ ही महीनों में दिल्ली का मुख्यमंत्री बन गया।
लेकिन सवाल उठता है कि यह सब कैसे हुआ? और इसके पीछे कौन था?
डीप स्टेट का कुटिल हस्तक्षेप: AAP का असली चेहरा
आइए समझते हैं कि कैसे अमेरिकी डीप स्टेट ने इस प्रयोग को अंजाम दिया।
1. एनजीओ की आड़ में विदेशी फंडिंग
- सरकारी कर्मचारियों को आमतौर पर एनजीओ (NGO) स्थापित करने की अनुमति नहीं होती, लेकिन केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने 2000 में “परिवर्तन” नामक एनजीओ बनाया।
- 2005 में “कबीर” नामक एक और एनजीओ बनाया, जिसे फोर्ड फाउंडेशन से भारी फंडिंग मिली।
- फोर्ड फाउंडेशन, कार्नेगी और रॉकफेलर फाउंडेशन वे तीन संस्थाएँ हैं जिनके माध्यम से अमेरिकी डीप स्टेट और सीआईए दुनिया भर में हस्तक्षेप करते हैं।
- इन एनजीओ की वेबसाइटें 2012 में अचानक बंद कर दी गईं, ताकि फोर्ड फाउंडेशन से मिले पैसे का रिकॉर्ड मिटाया जा सके।
2. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार: CIA का प्रमाणपत्र?
- केजरीवाल को 2006 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला, जिसे फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
- कई देशों में, इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले लोग CIA से जुड़े पाए गए हैं।
- भारत में भी CIA ने AAP को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया।
3. केजरीवाल के विदेशी कनेक्शन
- मनी ट्रेल और दस्तावेज़ यह स्पष्ट करते हैं कि केजरीवाल को अमेरिकी संगठनों से समर्थन मिला।
- लेकिन AAP के बेहतरीन मीडिया प्रबंधन ने इस सच्चाई को छुपा दिया।
AAP का भारत विरोधी षड्यंत्र
केजरीवाल और AAP को उनके विदेशी आकाओं ने एक उपकरण की तरह इस्तेमाल किया।
1. शाहीन बाग और दिल्ली दंगे: AAP की साजिश
- केजरीवाल ने CAA का पुरजोर विरोध किया।
- AAP नेताओं और विधायकों ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश रची।
- शाहीन बाग का अराजक आंदोलन पूरी तरह AAP-समर्थित था।
2. किसान आंदोलन और खालिस्तानी कनेक्शन
- AAP ने “किसान आंदोलन” का खुलकर समर्थन किया, जबकि असल में यह बिचौलियों और खालिस्तानी संगठनों द्वारा प्रायोजित था।
- खालिस्तानी नेता पन्नून ने खुद स्वीकार किया कि उसने केजरीवाल को 114 करोड़ रुपये दिए, ताकि तिहाड़ जेल में बंद एक खालिस्तानी आतंकी को रिहा किया जाए।
- AAP को पंजाब में सत्ता दिलाने के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल किया गया।
AAP: अमेरिका का सबसे सफल प्रयोग?
शीतयुद्ध के दौरान भी भारतीय नेताओं को अमेरिकी और सोवियत संघ से फंडिंग मिलती रही थी, लेकिन AAP पूरी तरह अलग था।
- यह केवल दिल्ली की सत्ता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक सीमावर्ती राज्य (पंजाब) पर भी कब्जा कर लिया।
- 10 वर्षों तक सत्ता में बने रहने के बावजूद, इसका एजेंडा भारत–विरोधी ही रहा।
केजरीवाल का पतन: AAP का अंत?
अब जब केजरीवाल तिहाड़ जेल में हैं, डीप स्टेट और उनके विदेशी आकाओं का असली चेहरा भी उजागर हो रहा है।
- जैसे ही शराब घोटाले में केजरीवाल जेल गए, उनके अमेरिकी आकाओं ने “लोकतंत्र खतरे में” का प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया।
- भारतीय न्यायपालिका को भी बदनाम करने की कोशिशें तेज़ हो गईं।
लेकिन यह सिर्फ भारत में नहीं हुआ—
- डोनाल्ड ट्रंप ने USAID को खत्म करके अमेरिकी डीप स्टेट को भी कमजोर कर दिया।
- केजरीवाल और उनके विदेशी आका—दोनों का अंत एक ही समय पर हुआ।
AAP का भविष्य: खत्म होने की कगार पर
- AAP का पुनरुद्धार अब लगभग असंभव है।
- पंजाब में भी AAP के दिन गिने–चुने हैं।
- केजरीवाल को लंबी जेल की सजा होगी।
अब जब AAP का 2000 में शुरू हुआ खतरनाक प्रयोग आखिरकार समाप्त हो गया है, केजरीवाल हमेशा भारत के खिलाफ किए गए षड्यंत्रों के लिए याद किए जाएंगे।
“हर हर महादेव! 🚩”
“भारत माता की जय! 🔥”
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