पिछले तीन महीने पहले शुरू किए गए मेरे व्हाट्सएप समूह “नेशनल हिंदुत्व बोर्ड” के माध्यम से, मैंने अक्सर एक सवाल का सामना किया है, विशेष रूप से उन लोगों से जो खुद को धर्मनिरपेक्ष, शिक्षित और परिष्कृत मानते हैं: “आप हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर ही क्यों ध्यान देते हैं?” यह सवाल एक चिंताजनक वास्तविकता को उजागर करता है—हमारे देश के इतिहास और वर्तमान चुनौतियों के प्रति व्यापक अज्ञानता।
मैं इन मुद्दों को उठाने की कोशिश क्यों कर रहा हूं? मेरा उद्देश्य विभाजन करना नहीं है, बल्कि जागरूकता पैदा करना है। यह दिखाना है कि कैसे सदियों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट किया गया है और आज हमारे राष्ट्र की पहचान, शांति और संप्रभुता के लिए खतरे बढ़ रहे हैं।
अज्ञानता की जड़ें: विकृत इतिहास
पिछले 70 वर्षों में हमारे स्कूलों में पढ़ाया जाने वाला इतिहास इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह मुगलों और ब्रिटिश शासकों को महिमामंडित करता है और हमारे नायकों—राजपूतों, स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों—के बलिदानों और योगदानों को कम करके आंका गया है।
मुगल और ब्रिटिश शासन:
इन शासकों ने हमारी शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया, पुस्तकालयों को जला दिया और ज्ञान को ऐसे आख्यानों से बदल दिया जो उनके उपनिवेशवादी एजेंडों के अनुकूल थे। उन्होंने सनातन धर्म की मान्यताओं को मिटाने और बदनाम करने की कोशिश की, साथ ही अपनी संस्कृति और धर्म को थोपने की भी।
स्वतंत्रता के बाद की स्थिति:
1947 के बाद, विशेष रूप से कांग्रेस के शासन के दौरान, इस मिटाने की प्रक्रिया जारी रही। पाठ्यपुस्तकों में मुगलों और ब्रिटिश शासकों का महिमामंडन किया गया और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दबा दिया गया। धर्मनिरपेक्षता की एक पक्षपातपूर्ण परिभाषा पेश की गई, जिसमें समानता केवल हिंदुओं पर लागू होती दिखी।
सनातन धर्म का विस्मरण:
जैसे-जैसे शिक्षा प्रणाली अधिक पश्चिमी होती गई, सनातन धर्म के सिद्धांत और सांस्कृतिक मूल्य पीछे छूटते गए। पीढ़ी दर पीढ़ी यह दूरी बढ़ती गई, और हिंदू पश्चिमी जीवनशैली अपनाने लगे, जबकि पश्चिम योग, ध्यान और आयुर्वेद जैसे सनातन धर्म के पहलुओं को अपनाने लगा।
विरोधाभास: पश्चिम अपना रहा है, भारत छोड़ रहा है
विडंबना यह है कि पश्चिमी देश आज सनातन धर्म के मूल्यों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कई पश्चिमी संसदों में वैदिक मंत्रों और योग को अपनाया गया है। इसके विपरीत, यदि भारतीय संसद में ऐसा होता है, तो यह विवादों और विरोधों का विषय बन जाता है। यह दिखाता है कि हमने कैसे बाहरी आख्यानों को अपनी धारणाओं पर हावी होने दिया है।
यह बढ़ती दूरी हमारे लिए शर्मनाक है और हमारी पहचान को पुनः प्राप्त करने की तत्काल आवश्यकता का एक स्पष्ट संकेत है।
नेशनल हिंदुत्व बोर्ड का मिशन
नेशनल हिंदुत्व बोर्ड की स्थापना निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए की गई है:
1.भारतीयों को उनके सच्चे इतिहास के बारे में शिक्षित करना, जो विकृतियों से मुक्त हो।
2.सनातन धर्म के मूल्यों का पुनरुत्थान करना और हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत पर गर्व करना।
3.हिंदुओं के दमन को उजागर करना:
1.अपने ही देश में हिंदुओं की उपेक्षा और दमन को उजागर करना।
2.पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों में हिंदुओं की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करना।
4.वर्तमान खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना:
1.भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए तेजी से बढ़ रहे खुले और संगठित प्रयास।
2.हिंदू एकता को कमजोर करने और भारत को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक और सामाजिक तत्वों का कार्य।
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एक कड़वी सच्चाई: पाकिस्तान और बांग्लादेश से सबक
पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी इस्लामी देशों में हिंदुओं के सामने केवल तीन विकल्प होते हैं:
1.इस्लाम कबूल करें।
2.अपना घर-बार छोड़कर भाग जाएं।
3.अमानवीय यातनाओं के बाद मृत्यु को स्वीकार करें।
यह न केवल इतिहास है, बल्कि आज भी सच्चाई है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू समुदायों को दशकों से समाप्त किया जा रहा है, और उनकी आबादी नगण्य रह गई है। यदि यह वहां हो सकता है, तो भारत इससे अछूता क्यों रहेगा?
यदि मोदीजी सत्ता में नहीं आते तो?
एक दशक पहले, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, भारत गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा था:
1.एक कमजोर अर्थव्यवस्था, जो विदेशी सहायता पर निर्भर थी।
2.भ्रष्टाचार और घोटालों से ग्रस्त शासन।
3.हमारे इतिहास और पहचान को विकृत करने वाली शिक्षा प्रणाली।
4.एक असुरक्षित राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा।
यदि कांग्रेस का शासन जारी रहता, तो भारत आज अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा होता और एक इस्लामी राष्ट्र बनने की कगार पर पहुंच चुका होता। मोदीजी के नेतृत्व ने इन रुझानों को उलट दिया:
आर्थिक पुनरुत्थान: भारत को सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बदल दिया।
डिजिटल इंडिया: पारदर्शिता और डिजिटलीकरण के माध्यम से भ्रष्टाचार को कम किया।
वैश्विक छवि: भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में बढ़ाया।
बुनियादी ढांचे का विकास: कनेक्टिविटी और रोजगार सृजन के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और विनिर्माण हब में निवेश।
हम जिन खतरों की अनदेखी कर रहे हैं
आज भी, विपक्षी दल और हिंदू विरोधी ताकतें भारत को कमजोर करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं:
1.विभाजनकारी राजनीति: जाति, धर्म और आर्थिक समस्याओं (जैसे पेट्रोल की कीमतें, मुद्रास्फीति) का उपयोग करके लोगों का ध्यान वास्तविक खतरों से भटकाना।
2.प्रचार तंत्र: सरकार को कमजोर करने और नागरिकों को गुमराह करने के लिए झूठी जानकारी फैलाना।
3.वैश्विक साजिशें: विदेशी शक्तियां भारत की प्रगति से असंतुष्ट हैं और आंतरिक अशांति फैलाकर हमें अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं।
हमारे सामने विकल्प
भारत आज एक चौराहे पर खड़ा है:
1.एक हिंदू समर्थक, देशभक्त सरकार का समर्थन करें:
oआर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक प्रभाव में पिछले दशक की प्रगति को जारी रखें।
2.पुनः दुर्व्यवस्था की ओर लौटें:
oउन्हीं भ्रष्ट और हिंदू विरोधी राजनीतिक ताकतों को सत्ता में लौटने दें, जिन्होंने भारत को पिछड़ेपन और अराजकता में धकेला।
कार्रवाई का आह्वान
यदि हम, हिंदू और भारतीय, अब कार्य नहीं करते, तो हम सब कुछ खो देंगे:
1.अपनी संस्कृति और विरासत
2.अपना लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण जीवन।
3.अपनी अगली पीढ़ियों का भविष्य।
“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
आइए हम एक साथ आएं, अपनी संस्कृति की रक्षा करें, अपने देश को सुरक्षित करें, और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करें। नेशनल हिंदुत्व बोर्ड इस मिशन का एक मंच है। आइए, इस यात्रा में शामिल हों और भारत की आत्मा को सुरक्षित रखें।
जय हिन्द! जय भारत!!
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