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आपातकाल

आपातकाल : जब लोकतंत्र को कैद कर लिया गया — एक ऐतिहासिक सत्य

🛑 पृष्ठभूमि: संकट में भारत

  • महंगाई 20% से अधिक, बेरोज़गारी चरम पर।
  • 50% से ज्यादा जनता गरीबी रेखा के नीचे जी रही थी।
  • विदेशी मुद्रा भंडार केवल $1.3 बिलियन पर पहुंच गया था।
  • पूरे देश में कांग्रेस की सरकार, लेकिन भ्रष्टाचार और परिवारवाद चरम पर था।
  • प्रमुख घोटाले:

> रुस्तम नगरवाला ने इंदिरा गांधी की आवाज़ बनाकर बैंक से ₹60 लाख निकाल लिए।

> सांसद तुलमोहन राम का लाइसेंस घोटाला उजागर हुआ।

  • रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की रहस्यमयी हत्या हो गई।
  • जनता सड़कों पर उतर आई:
  • गुजरात में नव निर्माण आंदोलन
  • बिहार में जेपी आंदोलन
  • जयप्रकाश नारायण को “लोकनायक” की उपाधि मिली।

🛑 12 जून 1975: जब न्यायपालिका ने भूचाल ला दिया

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया।
  • उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया।

संजय गांधी व दरबारी मंत्रियों ने इंदिरा को इस्तीफा न देने और विरोधियों को कुचलने के लिए उकसाया।

🛑 25 जून 1975: वह रात जब लोकतंत्र की हत्या हुई

  • रात 11:45 बजे, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल पर बिना कोई सवाल किए दस्तखत करवा लिए गए।
  • 1 बजे रात, जेपी, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी समेत हज़ारों नेता गिरफ्तार
  • 45,000 से अधिक राष्ट्रवादी और स्वयंसेवक जेल में डाले गए।
  • प्रेस की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप थोप दी गई।
  • सूचना मंत्री आई. के. गुजराल को हटाकर विद्याचरण शुक्ल को लाया गया, जिसने कहा – “प्रेस की अकड़ उतार दूंगा।”

🛠️ संविधान और न्यायपालिका पर हमला

  • 39वां संशोधन: इंदिरा पर आए अदालती फैसले को निरस्त किया गया।
  • 40वां संशोधन: प्रधानमंत्री को न्यायालय के दायरे से बाहर किया गया।
  • 42वां संशोधन: संसद और विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष किया गया।

संविधान का स्वरूप तानाशाही में बदल दिया गया

💣 संजय गांधी की तानाशाही

जबर्दस्ती नसबंदी अभियान:

  • लाखों हिन्दू पुरुषों की ज़बरदस्ती नसबंदी की गई।
  • रायबरेली के पास 13 ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या हुई।

तुर्कमान गेट कांड:

  • 13 अप्रैल 1976: बुलडोज़रों से हज़ारों घर उजाड़े गए।
  • 150+ लोग मारे गए।
  • संजय गांधी होटल से दूरबीन से सब देख रहे थे।

जेलों में अमानवीयता:

  • 98 संघ स्वयंसेवकों की मौत जेलों में।
  • विजयाराजे सिंधिया और गायत्री देवी को वेश्याओं के साथ रखा गया।

🔥 भूमिगत संघर्ष

  • RSS और लोक संघर्ष समिति ने भूमिगत रहकर आंदोलन किया।
  • 14 नवम्बर 1975 – 26 जनवरी 1976 तक देशभर में सत्याग्रह:
  • 1.3 लाख सत्याग्रही — इनमें 80,000 से अधिक स्वयंसेवक।
  • अकाली दल ने पंजाब में रोज सत्याग्रह किया।
  • जॉर्ज फर्नांडिस की सहयोगी स्नेहलता रेड्डी को यातना देकर मार दिया गया।
  • पांडुरंगपंत क्षीरसागर की पुणे की जेल में मौत हो गई।

⚠️ संवैधानिक ढांचे पर हमला

  • तमिलनाडु और गुजरात की चुनी हुई सरकारें बिना कारण बर्खास्त
  • 5वीं लोकसभा का कार्यकाल, चुनाव कराए बिना बढ़ाया गया।
  • लोकतंत्र की हत्या खुलेआम की गई

🗳️ 1977 चुनाव: जनता का प्रतिशोध

  • जनवरी 1977: इंदिरा ने चुनाव कराने की घोषणा की।
  • RSS, जनसंघ, लोकदल, सोशलिस्ट पार्टी आदि ने मिलकर जनता पार्टी बनाई।
  • 30 जनवरी 1977: दिल्ली के रामलीला मैदान में पहली रैली — 2 लाख से अधिक लोग जुटे
  • 16–19 मार्च 1977: लोकसभा चुनाव संपन्न।

परिणाम (20–21 मार्च):

  • जनता पार्टी को 295 सीटें, स्पष्ट बहुमत।
  • कांग्रेस उत्तर भारत में लगभग साफ — यूपी में सिर्फ 1 सीट।
  • इंदिरा, संजय, बंसीलाल, विद्याचरण शुक्ल सभी बुरी तरह हारे।
  • 21 मार्च 1977: आपातकाल रद्द, RSS पर लगा प्रतिबंध हटाया गया।

🚨 आज के लिए चेतावनी

  • आज भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल परिवारवाद, वोट बैंक की राजनीति, और निजी स्वार्थ में लिप्त हैं।
  • वे देश की सुरक्षा, संप्रभुता और विकास की चिंता नहीं करते
  • केवल मुस्लिम तुष्टिकरण और सत्ता की लालसा उनकी नीति है।

यदि इन्हें फिर सत्ता मिल गई तो भारत बन सकता है:

  • पाकिस्तान, लेबनान या बांग्लादेश जैसा — गरीब, अस्थिर और इस्लामीकरण की ओर।
  • ग़ैरमुस्लिमों को या तो इस्लाम कबूल करना पड़ेगा, या भागना होगा, या मरना पड़ेगा — जैसा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और कश्मीर में हुआ।

🛑 यदि भारत को विश्व की टॉप 3 महाशक्तियों में लाना है:

  • तो हमें चाहिए एक राष्ट्रवादी, हिंदुत्ववादी और ईमानदार सरकार — केंद्र और राज्यों में।
  • इस समय BJP/NDA के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
  • यदि हम असावधान हुए, तो अगली पीढ़ियों को इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ना पड़ेगा

✅ निष्कर्ष

1975 की आपातकाल केवल एक राजनीतिक गलती नहीं थी, यह था भारत की आत्मा पर हमला

  • 1977 के चुनावों ने दिखा दिया — भारत की जनता तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करती।
  • लेकिन इतिहास को केवल याद नहीं, समझा और सीखा जाना चाहिए
  • अब और नहीं। भारत को फिर से झुकने नहीं देंगे।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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