आपदा में अवसर
- यह विस्तृत परिचर्चा मोदी युग की मौन लेकिन अत्यंत प्रभावी आंतरिक सुरक्षा रणनीति तथा राष्ट्रीय–सामाजिक जिम्मेदारी को स्पष्ट करती है।
- यह बताती है कि मोदी सरकार किस प्रकार चुपचाप, योजनाबद्ध और सटीक कदमों से देश को आतंरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षित कर रही है
- और इसमें जनता की एकजुट भूमिका क्यों अनिवार्य है।
1. राजनीतिक पृष्ठभूमि और संकट के बीच अवसर
- पिछले एक दशक में मोदी, योगी, अमित शाह और अजीत डोभाल की नेतृत्व टीम ने भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया है।
- इस टीम का प्रमुख उद्देश्य था — कट्टरपंथी नेटवर्कों का सफाया करना और भारत को विदेशी हस्तक्षेप व आतंकी प्रभाव से मुक्त करना।
- कई दशकों तक उग्रवादी संगठनों ने गरीब और अशिक्षित लोगों का हथियार की तरह उपयोग किया।
- आज स्थिति बदल चुकी है — बुलडोजर जैसी कड़े प्रशासनिक कार्रवाइयों ने सड़क-स्तर की हिंसा को काफी हद तक रोका है।
- अब चुनौती उन उच्च शिक्षित, फंडेड और संगठित कट्टरपंथी नेटवर्कों की है जो परदे के पीछे से हिंसा संचालित करते हैं।
- यह वर्ग सबसे खतरनाक है, क्योंकि इनके पास संसाधन, तकनीक और अंतरराष्ट्रीय संपर्क हैं।
2. मोदी युग की मौन रणनीति — धीमी, लेकिन अचूक
मोदी सरकार की पहचान है — शोर के बिना कार्रवाई, योजनाएँ पहले, घोषणा बाद में।
- बाहर से कदम धीमे दिख सकते हैं, पर हर कदम दीर्घकालिक स्थिरता और सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया जाता है।
- सुरक्षा एजेंसियाँ ‘प्रतिक्रिया आधारित’ नहीं, बल्कि ‘रोकथाम आधारित’ मॉडल पर काम कर रही हैं।
- जोखिम को बढ़ने से पहले पहचानकर खत्म करना — यही रणनीतिक आधार है।
- चुप्पी को अक्सर लोग निष्क्रियता समझ लेते हैं, लेकिन यही चुप्पी सरकार का सबसे बड़ा हथियार है।
यह मौन रणनीति राजनीतिक वातावरण को स्थिर रखती है और बड़े कदम उठाने की ज़मीन तैयार करती है।
3. सामाजिक और राजनीतिक समर्थन की शक्ति
सरकारी गति अक्सर समाज के समर्थन पर निर्भर करती है।
- जब जनता एकजुट होकर राष्ट्रवादी सरकार के साथ खड़ी होती है, तो प्रशासन और भी साहसिक कदम उठा सकता है।
- हर देशभक्त का दायित्व है कि वह वोट, विचार और जागरूकता के माध्यम से राष्ट्रहित का समर्थन करे।
- परिवार, समाज, धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए सतर्कता और सामाजिक जागरूकता आवश्यक है।
व्यापक जनसमर्थन सरकार की कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।
4. आतंकी नेटवर्क की पहचान और उनका सफाया
- हाल के वर्षों में आतंरिक उग्रवादी नेटवर्क ने विदेशी समर्थन के साथ अपनी गतिविधियों को तेज किया।
- एजेंसियों ने जानबूझकर इन्हें कुछ समय तक बढ़ने दिया — ताकि पूरे नेटवर्क की जड़ें, फंडिंग, और कनेक्शन उजागर हो सकें।
- जब पूरा जाल सामने आ गया, तभी निर्णायक आतंकी-विरोधी अभियान चलाया गया।
- दिल्ली विस्फोट प्रयास ऐसे ही अधूरे पड़ गए हमलों का परिणाम थे जिन्हें समय रहते रोका गया।
- अभी कई गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ जारी है, जिससे बड़े नेटवर्क सामने आ रहे हैं।
5. “आधे मोर्चे” पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी
- अब संघर्ष केवल पाकिस्तान के साथ नहीं — बड़ा खतरा देश के भीतर मौजूद कट्टरपंथी ठिकानों का है।
- कई ऐसे क्षेत्रों में कार्रवाई की जाएगी जहाँ पुलिस या सुरक्षा बल खुलकर कदम नहीं रख पाते थे।
- उद्देश्य है — भय और नेटवर्क दोनों को जड़ से उखाड़ फेंकना।
- यह “अंदरूनी मोर्चा” चिन्हित किया जा चुका है और उस पर रणनीतिक प्रहार की तैयारी है।
इसके लिए जनता की जागरूकता और सहयोग भी उतना ही आवश्यक है जितना सुरक्षा एजेंसियों का कौशल।
6. राष्ट्रीय एकता और सामूहिक जिम्मेदारी
- इस संघर्ष में जनता की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- धर्म, संस्कृति, समाज और राष्ट्र का एकजुट रहना ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।
- सतर्क नागरिक आतंकवाद के खिलाफ पहली सुरक्षा-रेखा होते हैं।
- मोहल्लों, बाजारों और सामाजिक स्थलों पर सतर्कता मज़बूत करनी होगी।
- हर भारतीय को प्रण लेना होगा — “माँ भारती की रक्षा मुझसे शुरू होती है।”
7. मोदी टीम की सक्षमता और भविष्य की तेज़ गति
- मोदी टीम पूरी शांति से बड़े निर्णयों की तैयारी कर रही है।
- भारत के पास अब अत्यधिक प्रशिक्षित अधिकारी, एजेंसियाँ और खुफिया तंत्र मौजूद हैं।
- जैसे-जैसे जनसमर्थन बढ़ेगा, सरकार की कार्रवाई और दुर्जेय, और तीव्र होती जाएगी।
- आने वाले वर्षों में आतंरिक कट्टरपंथ, फंडिंग नेटवर्क और उग्रवादी ढाँचों पर निर्णायक प्रहार होंगे।
- भारत को पूरी तरह सुरक्षित बनाने की रणनीति अब अंतिम चरणों की दिशा में पहुँच रही है।
8. मोदी युग का संदेश — धैर्य, विश्वास और एकजुटता
मोदी की नीति है — “सोच–समझकर कदम उठाओ, पूरी तैयारी के बाद ही वार करो।”
- मजबूत बदलाव धीरे-धीरे आते हैं, लेकिन आते स्थायी और अटूट रूप में हैं।
- जनता को इस प्रक्रिया पर विश्वास रखना चाहिए और हर स्तर पर सरकार का सहयोग करना चाहिए।
- हमारी एकजुटता ही सरकार को गति और शक्ति प्रदान करती है।
- राष्ट्रवाद, संस्कृति और सामाजिक अनुशासन — यह तीनों भारत की ढाल हैं।
9. एकजुटता ही विजय का मार्ग
- भारतवासियों को अपनी राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी समझनी होगी।
- मोदी सरकार की रणनीति शांत है, लेकिन निश्चित और दूरगामी है।
- हर नागरिक की जागरूकता और एकता भारत को इस कठिन संघर्ष में विजय दिला सकती है।
- हमें मानसिक, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होना होगा।
यह अंतिम निर्णायक लड़ाई है — आतंकवाद और कट्टरपंथ को खत्म करने की।
- और इसे जीतना ही भारत का सुखद भविष्य का आधार है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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