🔹 1. भूमिका – एक सवाल जो इतिहास से जवाब माँगता है
- क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कांग्रेस, नेहरू और गांधी न होते, तो भारत कैसा होता?
 - क्या विभाजन होता?
 - क्या कश्मीर, तिब्बत और पाकिस्तान जैसी समस्याएँ हमें आज भी सतातीं?
 - क्या भारत कई दशकों पहले ही एक वैश्विक महाशक्ति और विश्वगुरु बन चुका होता?
 
यह केवल कल्पना नहीं — यह वह इतिहास है, जिसे कांग्रेस और वामपंथियों ने जानबूझकर दबा दिया।
🔹 2. कांग्रेस की नीतियों ने भारत को बाँट दिया
- कांग्रेस की राजनीति हमेशा समझौते और मुस्लिम तुष्टीकरण पर आधारित रही।
 - आज़ादी की लड़ाई में जहाँ क्रांतिकारी रणभूमि में बलिदान दे रहे थे, वहीं कांग्रेस नेताओं ने अंग्रेजों से राजनीतिक सौदेबाज़ी की।
 - विभाजन, कश्मीर विवाद, धर्म के आधार पर राजनीति — ये सब कांग्रेस की विरासत हैं।
 - गांधी और नेहरू की “पाकिस्तान-प्रेमी” नीति ने लाखों हिंदुओं को दर-बदर कर दिया।
 
अगर कांग्रेस न होती, तो भारत अखंड, आत्मनिर्भर और अभेद्य होता —
ऐसा भारत जो विश्व मंच पर शक्ति के साथ खड़ा होता।
🔹 3. नेहरू–गांधी की विचारधारा — भारत के पतन की जड़
- नेहरू ने पश्चिमी सोच को भारत की आत्मा पर थोप दिया।
 - कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना, तिब्बत पर मौन रहना, चीन पर भरोसा करना — इन गलतियों ने भारत की सीमाएँ कमजोर कीं।
 - गांधी का “अहिंसा और मुस्लिम तुष्टीकरण” का दर्शन भारत को आत्मरक्षा के अधिकार से वंचित कर गया।
 - इन दोनों के कारण भारत ने 70 वर्षों में जितनी हानि उठाई, उतनी किसी भी अन्य सभ्यता ने नहीं।
 
🔹 4. सावरकर — आत्मगौरव और राष्ट्रशक्ति का प्रतीक
- वीर सावरकर ने दशकों पहले ही कहा था — “शक्ति ही धर्म की रक्षा करती है।”
 - उनका भारत सैन्य, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से आत्मनिर्भर होता।
 - वे कभी वोट-बैंक या तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा नहीं देते।
 - उनके नेतृत्व में भारत न केवल स्वतंत्र होता, बल्कि दशकों पहले ही महाशक्ति और विश्वगुरु बन चुका होता।
 
🔹 5. सरदार पटेल — राष्ट्रनिर्माण के लोहपुरुष
- अगर पटेल पहले प्रधानमंत्री बने होते, तो कश्मीर मुद्दा कभी पैदा ही नहीं होता।
 - उन्होंने 562 रियासतों को भारत में मिलाया — यह उनकी दूरदर्शिता और दृढ़ता का उदाहरण है।
 - वे देश को भावनाओं से नहीं, राष्ट्रहित से चलाते।
 - पटेल का भारत अनुशासन, राष्ट्रवाद और एकता का प्रतीक होता।
 
🔹 6. नेताजी सुभाषचंद्र बोस — सैन्य शक्ति और आत्मगौरव के प्रतीक
नेताजी ने दिखाया कि आज़ादी भीख में नहीं, रणभूमि में जीती जाती है।
उनकी आज़ाद हिंद फ़ौज ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी।
बोस का भारत रक्षा, विज्ञान और तकनीक में आत्मनिर्भर बनकर दशकों पहले विश्व में अग्रणी बन जाता।
उनका नेतृत्व भारत को साहस, गौरव और शक्ति का प्रतीक बना देता।
🔹 7. सावरकर–पटेल–बोस का भारत
- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ हिंदू विरोध नहीं, सबका सम्मान होता।
 - शिक्षा में भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ाया जाता।
 - भारत की सीमाएँ अभेद्य होतीं, सेना सबसे शक्तिशाली होती।
 - हिंदू समाज जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर एकजुट होता।
 - और भारत दशकों पहले ही सुपरपावर और विश्वगुरु बन चुका होता।
 
🔹 8. 70 वर्षों का संघर्ष और आज का पुनर्जागरण — मोदी युग का भारत
- 70 वर्षों तक भारत कांग्रेस के भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण और झूठे सेक्युलरिज़्म से ग्रसित रहा।
 - लेकिन आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी अधूरे स्वप्न को साकार कर रहे हैं —
सावरकर, पटेल और बोस के भारत का पुनर्जागरण। - मोदी जी ने भारत को आत्मगौरव और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ाया है
 - डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, रक्षा सशक्तिकरण, और विश्व नेतृत्व की ओर अग्रसरता — ये सब उसी दृष्टि के पुनर्जन्म हैं।
 - उन्होंने बाहरी शत्रुओं को पूरी तरह निष्प्रभावी कर दिया है —
चाहे वह पाकिस्तान की दहशतगर्दी हो या चीन की सीमा नीति। - अब शेष है केवल आंतरिक शत्रुओं से निपटना —
जो देश के भीतर रहकर भारत की एकता, संस्कृति और विकास को कमजोर करने की साज़िश करते हैं। - यह एक संवेदनशील और रणनीतिक कार्य है, जिसमें मोदी जी को हमारे पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता है।
 
🔹 9. भविष्य — देशभक्तों का कर्तव्य
- भारत कितनी जल्दी विश्वगुरु और महाशक्ति बनेगा — यह अब हम पर निर्भर है।
 - अगर हम सब देशभक्त एकजुट होकर मोदी जी का साथ दें,
तो अगले दशक में भारत विश्व मंच पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर लेगा। - 2024 के लोकसभा चुनावों में भले ही जनता ने कमजोर जनादेश दिया,
फिर भी मोदी जी पहले से अधिक ऊर्जा, ईमानदारी और संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं। - वे हमारे सच्चे सुपरहीरो हैं — जो सिखाते हैं कि कठिनाइयाँ हमें रोकने के लिए नहीं, बल्कि ऊँचा उठाने के लिए होती हैं।
 - इसलिए, हर आने वाले चुनाव में हमें पूरे उत्साह और समर्पण से
मोदी जी और एनडीए को सशक्त बनाना है - ताकि भारत शीघ्र ही वैश्विक महाशक्ति और वास्तविक विश्वगुरु बन सके।
 
🔹 10. नया भारत, सनातन भारत
- आज भारत उसी दिशा में बढ़ रहा है,
जहाँ सावरकर, पटेल और बोस ने इशारा किया था —
एक ऐसा भारत जो शक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम हो। - यह मोदी युग का भारत है —
संघर्ष से तपकर, राष्ट्रगौरव से निखरकर, विश्व को दिशा देने के लिए तैयार। - अब ज़िम्मेदारी हमारी है कि हम इस परिवर्तन को स्थायी बनाएँ —
और एक बार फिर भारत को विश्व का पथप्रदर्शक बनायें। 
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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