गद्दारों ने देश को तोड़ा, वरना भारत बनता विश्वगुरु
भारत की महानता और उसकी खोई हुई शक्ति पर विचार करते हुए, अगर देश को गद्दारों ने न तोड़ा होता, तो आज भारत विश्वगुरु बन चुका होता।
1. गद्दारों ने भारत के स्वर्णिम भविष्य को रोक दिया
- स्वतंत्रता के बाद भारत का भविष्य अत्यंत उज्जवल था — एक ऐसा भारत जो ज्ञान, विज्ञान, धर्म, संस्कृति और सैन्य शक्ति के माध्यम से विश्व का नेतृत्व कर सकता था।
- लेकिन दुर्भाग्यवश, सत्ता-लोभी और स्वार्थी नेताओं ने इस सपने को बार-बार तोड़ा।
- इन लोगों ने धर्म, जाति और भाषा के नाम पर समाज में ज़हर घोला ताकि वे अपनी राजनीतिक कुर्सी बचा सकें।
- उनके परिवारवाद और वोट बैंक की राजनीति ने देश को अंदर से कमजोर किया।
- अगर ये गद्दार न होते, तो आज भारत विश्व की सबसे बड़ी शक्ति होता — एक सशक्त, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से गौरवान्वित राष्ट्र।
2. आम जनता ने झेली दशकों की गरीबी, अन्याय और शोषण
- स्वतंत्रता के बाद किसानों, मजदूरों और गरीबों को कभी वास्तविक आज़ादी नहीं मिली।
- किसान गरीबी और कर्ज़ के दलदल में फंसे रहे, मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तक नसीब नहीं हुई।
- युवाओं से रोजगार और अवसर छीने गए — जिससे उनकी प्रतिभा और क्षमता व्यर्थ चली गई।
- भ्रष्टाचार और परिवारवाद ने देश की संपत्ति को लूटा और जनता को लाचार बनाया।
- वह भारत जिसे “सोने की चिड़िया” कहा जाता था, भ्रष्टाचार और घोटालों का केंद्र बन गया।
3. सहिष्णुता के नाम पर मौन ने बढ़ाई देशद्रोहियों की ताकत
- दशकों तक देश ने “सहिष्णुता” के नाम पर गद्दारों और अलगाववादियों को बढ़ावा दिया।
- देशभक्तों ने शांत रहना पसंद किया, जबकि राष्ट्रविरोधी ताकतें संगठित होती गईं।
- विपक्षी दलों ने तुष्टिकरण की राजनीति कर जिहादियों और चरमपंथियों को संरक्षण दिया।
- विदेशी एजेंसियों और NGOs ने भारत में विभाजन और हिंसा फैलाने का काम किया।
- इससे भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता पर गहरा संकट मंडराने लगा।
- सनातन धर्म और हिन्दू समाज पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा — उनकी संस्कृति और अस्तित्व को चुनौती दी जा रही है।
4. देश, समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
- अगर भारत को सशक्त और वैश्विक महाशक्ति बनाना है, तो सबसे पहले हमें अपने समाज और संस्कृति की रक्षा करनी होगी।
- देश की सुरक्षा के बिना कोई भी विकास स्थायी नहीं हो सकता।
- आंतरिक दुश्मन आज पहले से ज्यादा संगठित हैं — वे सोशल मीडिया, राजनीति और विदेशों में बैठे नेटवर्क के जरिए भारत को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।
- इस समय मौन रहना देशद्रोह के समान है।
- हर नागरिक को सजग, संगठित और राष्ट्रहित में सक्रिय रहना होगा।
- यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर भारतीय की है।
5. 2014 में परिवर्तन की शुरुआत और मोदी सरकार का योगदान
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने राष्ट्र निर्माण का नया युग शुरू किया।
- इस सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम उठाए।
- भारत ने आर्थिक, वैज्ञानिक, और सैन्य शक्ति के क्षेत्र में असाधारण प्रगति की।
- आज भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है।
- चंद्रयान-3, आदित्य मिशन और रक्षा तकनीक में स्वदेशीकरण ने भारत की वैज्ञानिक और सामरिक क्षमता को सिद्ध किया।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों — G20, BRICS, QUAD — पर भारत की आवाज अब निर्णायक और प्रभावशाली है।
6. मोदी युग की अभूतपूर्व उपलब्धियां
- भारत अब विदेशी निवेश के लिए सबसे सुरक्षित और आकर्षक देश बन चुका है।
- भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर दुनिया को भारत की नई नीति दिखाई — “अब भारत चुप नहीं बैठेगा।”
- रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन बढ़ा है, और भारत हथियार निर्यातक देशों में शामिल हुआ है।
- राम मंदिर निर्माण और कुम्भ मेले ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण करके भारत की आत्मा को पुनः जीवित किया है।
- आत्मगौरव और राष्ट्रभक्ति की भावना ने देश को नई दिशा दी है।
7. वर्तमान चुनौतियां और आंतरिक खतरे
- आज भी भारत के भीतर कुछ शक्तियां सक्रिय हैं जो विदेशी एजेंडों पर काम कर रही हैं।
- विपक्षी “ठगबंधन” देश की स्थिरता को कमजोर करने और सरकार को अस्थिर करने की साज़िश रच रहा है।
- नकली सेक्युलरिज़्म और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति फिर से लौट रही है।
- विदेशी NGOs और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारत-विरोधी विचारधारा फैलाने में लगे हैं।
- यह एक वैचारिक युद्ध है — जहां धर्म, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति को निशाना बनाया जा रहा है।
- अगर देशभक्त अब भी मौन रहे, तो यह विकास और राष्ट्रीय एकता को नष्ट कर देगा।
8. देशभक्तों, धार्मिक नेताओं और सामाजिक संगठनों के लिए आह्वान
- हर देशभक्त, हिन्दू संगठन, और धर्मगुरु को अब निर्णायक भूमिका निभानी होगी।
- उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनकर देश के शत्रुओं का सामना करना होगा।
- यह केवल सरकार की लड़ाई नहीं है — यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
- राष्ट्रवादी सरकार को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर पूरा समर्थन देना होगा ताकि वह आवश्यक निर्णय ले सके।
- हमें देश के हर हिस्से में एकजुट होकर “राष्ट्र प्रथम” की भावना को जीवंत रखना होगा।
- निष्क्रियता और उदासीनता अब राष्ट्रघात के समान है।
9. सामाजिक और राजनीतिक एकता का महत्व
- भारत की आंतरिक शक्ति उसकी एकता और जागरूकता में है।
- समाज को एकजुट रहकर राष्ट्रवादी नीतियों और सरकार का समर्थन करना चाहिए।
- हर राज्य में राष्ट्रवादी दलों को बहुमत दिलाना जरूरी है ताकि देश की नीति मजबूत और निर्णायक बनी रहे।
- राजनीतिक स्थिरता ही विकास, सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी है।
- “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना तभी साकार होगा जब हर नागरिक अपनी भूमिका निभाए।
10. भारत विश्वगुरु की दिशा में अग्रसर
भारत फिर से विश्वगुरु बनने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रहा है, अपनी सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति को सामने लाते हुए।
- भारत ने विज्ञान, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सैन्य शक्ति के क्षेत्र में नया पुनर्जागरण शुरू किया है।
- इस पुनर्जागरण को सफल बनाने के लिए देश की आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षा सर्वोपरि है।
- जब हर भारतीय एकजुट होकर राष्ट्रहित में कार्य करेगा, तभी भारत विश्वगुरु के रूप में पुनः प्रतिष्ठित होगा।
- भारत वह देश बनेगा जो धर्म, ज्ञान और संस्कृति से विश्व का मार्गदर्शन करेगा।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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