हमारा इतिहास बार-बार यह बताता है कि छोटी-छोटी गलतियों और क्षणिक निर्णयों ने भारत की तस्वीर और तकदीर को कितना बदल दिया। कुछ ऐतिहासिक घटनाएं ऐसी हैं, जिन पर यदि सही समय पर सही निर्णय लिए गए होते, तो आज हमारा देश और समाज पूरी तरह से अलग होता।
ऐतिहासिक गलतियों की पड़ताल:
पोरस और सिकंदर:
यदि पोरस ने पराजित सिकंदर को भागने देने के बजाय युद्ध के मैदान में खत्म कर दिया होता, तो शायद भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास दूसरा होता।
जयचंद और मुहम्मद गोरी:
यदि जयचंद ने स्वार्थ के कारण गोरी का साथ न दिया होता, तो भारत इस्लामी आक्रमणों से लंबे समय तक सुरक्षित रहता।
पृथ्वीराज चौहान और गोरी:
अगर पृथ्वीराज चौहान ने पहली बार गोरी को हराने के बाद उसे माफ न किया होता, तो भारत को सदियों की गुलामी नहीं झेलनी पड़ती।
राणा सांगा और बाबर:
यदि राणा सांगा ने बाबर को हराकर उसे भारत से हमेशा के लिए बाहर खदेड़ दिया होता, तो मुगलों की सत्ता का सपना यहीं खत्म हो जाता।
सुभाषचंद्र बोस:
अगर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया होता, तो भारत का स्वतंत्रता संग्राम और इसका परिणाम कहीं अधिक गौरवशाली होता।
देश का विभाजन:
यदि विभाजन के समय गांधीजी ने समझौते के अनुसार सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेज दिया होता और हिंदुओं को भारत बुला लिया होता, तो सांप्रदायिक संघर्ष और विभाजन की त्रासदी से देश को बचाया जा सकता था।
नेहरू के बजाय पटेल:
अगर आजादी के बाद नेहरू की जगह सरदार पटेल प्रधानमंत्री बने होते, तो भारत का नक्शा और राजनीतिक संरचना कहीं अधिक मजबूत और संगठित होती।
“भारत एक हिंदू राष्ट्र”
अगर भारतीय संविधान में केवल एक वाक्य लिख दिया गया होता— “भारत, जिसे भारत कहते हैं, एक हिंदू राष्ट्र है,” तो शायद देश की आज की सारी समस्याएं समाप्त हो गई होतीं।
आज का परिदृश्य:
इतिहास को बदला नहीं जा सकता, लेकिन उससे सीखा जरूर जा सकता है। हमें यह समझना होगा कि हमारे पूर्वजों के सामने कौन-सी परिस्थितियां थीं और उन्होंने जो निर्णय लिए, वे क्यों लिए। हालांकि, उनकी गलतियों से सबक लेना हमारा कर्तव्य है।
आज के भारत में कई सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं:
प्रधानमंत्री आवास में इफ्तार की जगह कन्या पूजन हो रहा है।
हज सब्सिडी को समाप्त कर दिया गया है।
कश्मीर और अयोध्या को इस्लामी प्रभुत्व से मुक्त किया गया है।
असम में मदरसों को बंद करने का साहसिक निर्णय लिया गया है।
हिंदू धर्म और संस्कृति को पुनः गौरव प्रदान करने के प्रयास हो रहे हैं।
यह स्थिति वैसी ही है जब हेमू ने अकबर के खिलाफ निर्णायक बढ़त बना ली थी। लेकिन उस समय एक तीर ने हेमू की आंख को भेद दिया, और भारत की तकदीर बदल गई।
क्या आज हम वही गलती दोहरा रहे हैं?
आज की हिंदूवादी सरकार ने देश को सही दिशा में ले जाने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन क्या हम अपने उतावलेपन और आपसी फूट के कारण खुद को कमजोर कर रहे हैं?
आज जो लोग कहते हैं कि सरकार ने यह नहीं किया, वो नहीं किया—उन्हें ग्लास को आधा खाली देखने के बजाय आधा भरा हुआ देखने की जरूरत है।
यदि यह सरकार 10-15 साल और बनी रही, तो इतिहास फिर से लिखा जाएगा।
भविष्य के लिए दृष्टिकोण:
हमें यह समझना होगा कि बड़ी चीजों को पूरी तरह से देखने के लिए समय चाहिए। इतिहास की गलतियों से सबक लेकर वर्तमान में सुधार करना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
यदि हम अभी भी जागरूक नहीं हुए और अपने धर्म, संस्कृति, और देश की रक्षा के लिए कदम नहीं उठाए, तो आने वाला समय हमें रोने पर मजबूर कर देगा।
क्या करना है?
एकजुट रहें: आपसी फूट और गलतफहमियों को दूर करें।
समर्थन दें: यदि आप खुद कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम समर्थन देने से न चूकें।
सतर्क रहें: हमारे विरोधी पूरी तैयारी में हैं। हमें भी मानसिक, शारीरिक और सामरिक रूप से तैयार रहना होगा।
सार्वजनिक जागरूकता: धर्म, संस्कृति, और इतिहास के प्रति लोगों को जागरूक करें।