भारत में हिंदू न्याय और इतिहास की सच्चाई को अक्सर नज़रअंदाज़ किया गया है। अब समय आ गया है कि हम अपने अधिकार, संस्कृति और भविष्य की रक्षा के लिए जागरूक हों।
- सत्तर साल तक हिंदू समाज यह नहीं समझ पाया कि एक ही परिवार और उसकी राजनीतिक वंशपरंपरा इस देश को इस्लामी राज्य बनाने का सपना देख रही थी।
- लेकिन केवल पिछले पाँच वर्षों में मुसलमान यह समझ गए कि हिंदू अब भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। यह उनकी बेचैनी की असली वजह है।
* धोखों का इतिहास, फिर भी कोई आक्रोश नहीं
- देश का विभाजन हुआ… कोई बगावत नहीं।
- आधा कश्मीर पाकिस्तान को चला गया… कोई विरोध नहीं।
- तिब्बत चीन ने छीन लिया… कोई प्रतिरोध नहीं।
- आपातकाल आया… फिर भी खामोशी।
- घोटाले (2G, CWG, बोफोर्स)… और जनता चुप।
- कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया… कोई मोर्चा नहीं।
> लेकिन जब गाय की रक्षा हुई, तो इसे “होलोकॉस्ट” कहा गया।
> जब राष्ट्रगान अनिवार्य हुआ, तो इसे “दमन” कहा गया।
> जब “वंदे मातरम्” कहा गया, तो जुबानें बंद हो गईं।
* 50,000 मंदिरों की सच्चाई
- केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने खुलासा किया कि कश्मीर में 50,000 मंदिर आतंकवाद से बंद या ध्वस्तहो गए।
सोचिए—यह संख्या कितनी भयावह है!
- अगर किसी चर्च की खिड़की टूट जाए, या मस्जिद की दीवार पर होली का रंग लग जाए, तो मीडिया हफ्तों तक चीखता है। लेकिन 50,000 हिंदू मंदिरों के विध्वंस पर कोई चर्चा नहीं।
- क्योंकि पहले हिंदुओं को घाटी से निकाला गया, फिर उनके धार्मिक प्रतीक मिटाए गए और अंत में हिंदू धर्म की जड़ें उखाड़ दी गईं।
* न्यायपालिका का पक्षपात – सबसे बड़ा सवाल
अब आइए असली मुद्दे पर।
हिंदू समाज को सबसे ज़्यादा धोखा वहाँ से मिला, जहाँ उसे सबसे ज़्यादा न्याय की उम्मीद थी—न्यायपालिका से।
- कश्मीरी पंडित – 35 साल से न्याय की प्रतीक्षा। कोई त्वरित सुनवाई नहीं।
- राम जन्मभूमि – 500 साल तक झूला गया, फैसला केवल मोदी काल में हुआ।
- धारा 370 हटाने पर दर्जनों याचिकाएँ पड़ी रहीं, सुनवाई लटकाई गई।
- लेकिन जब बात एनजीओ द्वारा स्ट्रीट डॉग्स के अधिकारों की आई, तो सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ़ 10 दिनों में सुनवाई करके आदेशपारित कर दिया।
यानी—कुत्तों के लिए न्याय तुरंत, लेकिन हिंदुओं और राष्ट्रवादी मुद्दों के लिए न्याय पीढ़ियों तक लटका दिया जाता है।
> और यह सिर्फ़ एक उदाहरण नहीं है।
- पिछले पाँच वर्षों में लगभग हर हिंदू मुद्दे (मंदिर, धर्मांतरण, आतंक पीड़ित हिंदू) पर मुकदमे अटके रहे, जबकि मुसलमानों, घुसपैठियों, आतंकियों या तथाकथित “अल्पसंख्यक अधिकार” से जुड़े मामलों पर कोर्ट ने तुरंत सुनवाई की।
> क्या यह संयोग है?
- या फिर यह साबित करता है कि एक एंटी-हिंदू, एंटी-नेशनल इकोसिस्टम न्यायपालिका पर गहरी पकड़ बनाए हुए है?
* असली कारण
हमारे दुखों का कारण यह नहीं कि दुश्मन अधिक मज़बूत हैं या अधिक संख्या में हैं। असली कारण यह है कि –
- हमें जाति, भाषा, क्षेत्र और पंथ के आधार पर बाँटा गया।
- हमारी पहचान और इतिहास को विकृत किया गया।
- हमारी सनातन अस्मिता को दबाया गया।
- विपक्षी दलों ने सत्ता के लिए हमें इस्लामीकरण की ओर धकेला।
और हम सात दशकों तक चुपचाप यह सब सहते रहे।
* मोदीजी ने किया बदलाव
इन सबके बावजूद, केवल ग्यारह सालों में मोदीजी ने –
- भारत को बीमार अर्थव्यवस्था से उठाकर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया।
- धारा 370 हटाकर कश्मीर में नया युग शुरू किया।
- राम मंदिर निर्माण को वास्तविकता बनाया।
- भारत को सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाया और वैश्विक महाशक्तिबनने की राह खोली।
मुसलमानों ने यह समझ लिया कि मोदीजी ने उनकी राजनीतिक पकड़ तोड़ दी है। लेकिन हिंदू अब भी शिकायतों में उलझे हुए और आपसी मतभेदों में बंटे हुए हैं। यही सच्चाई भारत के न्याय और भविष्य की दिशा तय करेगी।
* आखिरी पुकार – फैसला हमारा है
👉 अगर हम अभी भी जाति और भाषा में बंटे रहे…
👉 अगर हम अब भी न्यायपालिका और विपक्षी तुष्टिकरण को सहते रहे…
👉 अगर हम मोदीजी और राष्ट्रवादी ताक़तों को राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर पूरा समर्थन नहीं देंगे…
तो भारत अगले 10–15 वर्षों में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसा विफल इस्लामी राष्ट्र बन जाएगा।
- लेकिन अगर हम जाग गए, एकजुट हुए और सनातन मूल्यों के साथ मोदीजी का साथ दिया…
- तो भारत न केवल इस्लामीकरण से बचेगा बल्कि दुनिया की टॉप-3 महाशक्तियों में गिना जाएगा।
- फैसला उनका नहीं है— फैसला हमारा है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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