वह भूगोल जिसे बाँट दिया गया, वह सत्य जो छिपा दिया गया
1. प्रस्तावना – वह सच जो हमें कभी नहीं बताया गया
- पिछले 2500 वर्षों में भारत पर सैकड़ों आक्रमण हुए। इतिहास की किताबें हर आक्रमणकारी का नाम बताती हैं — यूनानी, हूण, शक, कुषाण, तुर्क, मुगल, अंग्रेज आदि।
लेकिन एक सच कभी नहीं बताया जाता:
- इनमें से किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, तिब्बत, मालदीव, बांग्लादेश या पाकिस्तान पर अलग से हमला नहीं किया।
क्यों?
- क्योंकि ये क्षेत्र उस समय अलग देश थे ही नहीं। ये सभी अखंड भारत — एकीकृत सांस्कृतिक सभ्यता — का हिस्सा थे।
इन्हें अलग-अलग देश बनाया गया:
- औपनिवेशिक षड्यंत्रों से
- भू-राजनीतिक खेलों से
- मतांतरण द्वारा
- नकली “धर्मनिरपेक्ष” इतिहासकारों द्वारा
- और स्वतंत्रता के बाद की वोट बैंक राजनीति से
अखंड भारत को समझने के लिए हमें वह सत्य पहचानना होगा जिसे कई पीढ़ियों से हमसे छुपाया गया।
2. अखंड भारत की वास्तविक सीमाएँ
अखंड भारत केवल आज का “इंडिया” नहीं था। प्राकृतिक और सभ्यतागत सीमा-रेखाएँ थीं:
- उत्तर: हिमालय, कैलाश, मानसरोवर
- दक्षिण: हिंद महासागर
- पूर्व: आज का इंडोनेशिया (जावा, सुमात्रा, बाली)
- पश्चिम: आर्यना (आज का ईरान)
यह विशाल भूभाग था:
🕉️ आर्यावर्त — धर्म, ज्ञान और सभ्यता का केंद्र
इस पूरे क्षेत्र की समानताएँ:
- संस्कृत-आधारित भाषाएँ
- वैदिक, सनातनी, बौद्ध परंपराएँ
- समान खान-पान, वेशभूषा और रीति-रिवाज
- दीपावली, होली, नवरात्रि, वैशाख जैसे समान पर्व
- समान नृत्य, संगीत, कला, स्थापत्य
- समान देवता और मंदिर संस्कृति
यह कोई राजनीतिक साम्राज्य नहीं था — यह एक सभ्यता परिवार था, जिसे धर्म–संस्कृति ने एक सूत्र में बाँध रखा था।
3. सागरमाथा / गौरीशंकर को “एवरेस्ट” क्यों बनाया गया?
दुनिया की सबसे ऊँची चोटी का नाम था:
- सागरमाथा/गौरीशंकर
- 1835 में अंग्रेजों ने इसका नाम बदलकर “एवरेस्ट” कर दिया।
- यह सिर्फ एक नाम बदलना नहीं था — यह था सांस्कृतिक स्मृति का विनाश।
इसी तरह उन्होंने बदले:
- प्रयागराज → इलाहाबाद
- काशी → बनारस
- इंद्रप्रस्थ → दिल्ली
यह सब इसीलिए कि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों को भूल जाएँ।
4. 2500 वर्षों में 24 बार विभाजन – सभ्यता का टुकड़ा-टुकड़ा होना
लोग सोचते हैं कि भारत का विभाजन सिर्फ 1947 में हुआ। सच यह है कि अखंड भारत पिछले ढाई हजार वर्षों में 24 बार टुकड़ों में बाँटा गया।
भूभाग की तुलना:
- अखंड भारत (1800 ई.): 83 लाख वर्ग किमी
- वर्तमान भारत: 33 लाख वर्ग किमी
- बचा हुआ भूभाग (9 देश): 50 लाख वर्ग किमी
अंग्रेजों ने केवल जमीन नहीं बाँटी — उन्होंने हमारी सांस्कृतिक चेतना को खंडित किया।
5. 1800 के पहले — ये सभी क्षेत्र “विदेश” नहीं थे
ब्रिटिश काल से पहले:
- अफगानिस्तान = गांधार
- बांग्लादेश = गौड़/वरेंद्र
- पाकिस्तान = सिंधु–सप्त सिंधु क्षेत्र
- नेपाल = हिमालय का भारतीय राज्यक्षेत्र
- श्रीलंका = रामायण की लंका
- म्यांमार = ब्रह्मदेश
- तिब्बत = भारतीय आध्यात्मिक क्षेत्र
- भूटान- सिक्किम = वैदिक-बौद्ध समाज
- मालदीव = हिंद महासागर की भारतीय सांस्कृतिक पट्टी
ये क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से भारतीय, वैदिक, सनातनी थे।
6. 2500 वर्षों में सिर्फ “भारत” पर ही आक्रमण क्यों हुए?
- इतिहास में दर्ज सभी आक्रमण “इंडिया” पर हुए।
- कभी “नेपाल” पर आक्रमण नहीं हुआ।
- कभी “श्रीलंका” पर नहीं।
- कभी “अफगानिस्तान” पर नहीं।
कारण:
आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण कर पूरे सभ्यता-क्षेत्र को नियंत्रित कर लेते थे।
भारत पर विजय का अर्थ था:
- हिमालयी राज्यों पर नियंत्रण
- गांधार और सिंधु क्षेत्र पर नियंत्रण
- लंका के समुद्री मार्गों पर नियंत्रण
- म्यांमार और तिब्बत के व्यापार मार्गों पर नियंत्रण
इसलिए निशाना सिर्फ भारतवर्ष, सभ्यता का हृदय, था।
7. 1834–1876: अफगानिस्तान को कैसे गढ़ा गया?
- अफगानिस्तान प्राकृतिक देश नहीं, बल्कि एक कृत्रिम निर्माण था।
- इसका निर्माण ब्रिटिश और रूसी साम्राज्यों ने गंडामक संधि (1876) से किया।
उद्देश्य:
- भारत और रूस के बीच एक कुशन स्टेट बनाना
- भारत को मध्य एशिया से काट देना
- गांधार को भारत से अलग कर देना
- पठानों को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से तोड़ देना
इस तरह “गांधार” को “अफगानिस्तान” बना दिया गया।
8. नेपाल – अंग्रेजों का ‘नकली स्वतंत्रता’ मॉडल (1904)
सुगौली संधि (1904)के बाद:
- नेपाल को “स्वतंत्र राष्ट्र” घोषित किया गया
- पर एक ब्रिटिश रेजीडेंट को सर्वोच्च अधिकार दिए गए
- नेपाल की विदेश नीति, व्यापार और हथियार खरीद पर रोक लगा दी गई
- नेपाली राजाओं की स्वतंत्रता अंग्रेजों के अधीन कर दी गई
नेपाल वास्तव में 1947 के बाद ही स्वतंत्र हुआ।
9. भूटान और सिक्किम – धीरे-धीरे भारत से तोड़ना
1906 के बाद अंग्रेजों ने:
- इन क्षेत्रों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित किया
- भारतीय सांस्कृतिक प्रभाव को घटाया
- मतांतरण नेटवर्क को बढ़ाया
- इन्हें अलग पहचान के “देश” के रूप में तैयार करना शुरू किया
यह भारत–तिब्बत–हिमालय की सांस्कृतिक कड़ी को तोड़ने की साज़िश थी।
10. 1914 – तिब्बत को भारत से काटने की साजिश (मैकमोहन लाइन)
1914 में ब्रिटिश भारत और चीन के बीच:
- तिब्बत को “बफर स्टेट” घोषित किया
- हिमालय को तीन हिस्सों में बाँट दिया
- मैकमोहन रेखा बनाकर भारत को तिब्बत से अलग कर दिया
इससे भारत का:
- कैलाश–मानसरोवर से आध्यात्मिक संबंध, हिमालय की सुरक्षा, उत्तर का व्यापार मार्ग सब कुछ टूट गया।
- बाद में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया — यह सब अंग्रेजी षड्यंत्रों का परिणाम था।
11. श्रीलंका और म्यांमार – रणनीतिक विभाजन (1935, 1937)
अंग्रेजों ने:
- 1935 में श्रीलंका
- 1937में म्यांमार
को अलग राष्ट्र बनाया।
कारण:
- हिंद महासागर पर पश्चिमी कब्जा बनाए रखना
- ईसाई मिशनरियों की सुरक्षा
- भारत की नौसैनिक शक्ति कम करना
- भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र को तोड़ना
रंगून जेल भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए काला पानी बन गया।
12. 1947–1971: दो से बने तीन देश
ब्रिटिशों ने:
- भारत और पाकिस्तान का विभाजन किया।
- लेकिन पाकिस्तान भौगोलिक रूप से असंभव था — दो टुकड़े, 2500 किमी की दूरी पर।
- 1971 में भारत की मदद से बांग्लादेश बना।
- यह विभाजन इतिहास का सबसे कृत्रिम भू-राजनीतिक प्रयोग था।
13. सबसे बड़े गुनहगार – भारत के नकली इतिहासकार
इन वामपंथी “इतिहासकारों” ने:
- ब्रिटिश और वेटिकन की कथा को कॉपी किया
- भारत का भूगोल छोटा दिखाया
- संस्कृत और सनातन की जड़ों को छिपाया
- अखंड भारत को “मिथक” कहा
- एशिया में भारतीय प्रभाव को नकारा
- और काँग्रेस ने वोट बैंक राजनीति के लिए सत्य दबा दिया
आज के बच्चों को नहीं बताया जाता कि:
- लंका राम की थी
- गांधार कौरवों का क्षेत्र था
- बाली, जावा, कंबोडिया में राम-शिव मंदिर आज भी हैं
- तिब्बत भारत का आध्यात्मिक द्वार था
यह इतिहास दबाकर पीढ़ियों की चेतना कुंद कर दी गई।
14. आने वाला खतरा – अगर हम नहीं जागे तो फिर विभाजन होगा
अगर भारत ने:
- अपनी सभ्यता
- अपना इतिहास
- अपनी संस्कृति
- अपना भूगोल
- को नहीं पहचाना, तो वही शक्तियाँ जो भारत को 24 बार तोड़ चुकी हैं, फिर नए विभाजनों की तैयारी करेंगी।
15. अखंड भारत कोई सपना नहीं, यह हमारी सभ्यतागत पहचान है
अखंड भारत है:
- एक सांस्कृतिक एकता
- एक साझा भाषा परिवार
- एक आध्यात्मिक धरोहर
- एक ऐतिहासिक सत्य
- एक भू-सांस्कृतिक सभ्यता
सीमाएँ नक्शों पर बदलती हैं — लेकिन सभ्यता अमर रहती है।
- अखंड भारत था। अखंड भारत है। अखंड भारत फिर उठेगा।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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