क्या भारत की शिक्षा व्यवस्था में घुसपैठ कर आतंकी नेटवर्क नया तंत्र बना रहे हैं?
🔷 1. डॉक्टर निसार उल हसन: नौकरी से बर्खास्त — और फिर एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर!
नवंबर 2023, जम्मू–कश्मीर:
- LG प्रशासन ने श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर निसार उल हसन को आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
- यह व्यक्ति कश्मीर डॉक्टर एसोसिएशन का अध्यक्ष भी रह चुका था, और उसके आतंकी कनेक्शन सार्वजनिक रूप से मीडिया में चर्चा में थे।
- इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद यह डॉक्टर कुछ महीनों में ही अल–फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद पहुँचता है—और आश्चर्यजनक रूप से उसे मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर लिया जाता है!
यह सवाल उठना स्वाभाविक है—
- क्या यूनिवर्सिटी को उसके बैकग्राउंड की जानकारी नहीं थी?
- क्या उन्होंने कोई जांच ही नहीं की?
यह बिल्कुल असंभव है।
🔷 2. बैकग्राउंड चेक नहीं? — या जानबूझकर अनदेखी?
सामान्य निजी संस्थान भी चपरासी जैसी छोटी नौकरी के लिए:
- पुलिस वेरिफिकेशन,
- दस्तावेज़ सत्यापन,
- रेफरेंस चेक जरूर करता है।
तो फिर एक मेडिकल प्रोफेसर जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया, जिसे सरकार ने आतंकी संबंधों के कारण बर्खास्त किया था
- यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ है।
🔸 यह बात असत्य है कि यूनिवर्सिटी को कुछ नहीं पता था
- क्योंकि निसार उल हसन का मामला पूरे मीडिया में हफ्तों चर्चा में रहा था।
- वह कश्मीर में बड़े पद पर था; उसका नाम अनजान नहीं था।
- यूनिवर्सिटी के HR विभाग, प्रबंधन या वाइस चांसलर को यह बात पता न होना किसी भी तरह संभव नहीं है।
इससे केवल एक ही निष्कर्ष निकलता है
- अल–फलाह यूनिवर्सिटी ने जानबूझकर इस तथ्य को नजरअंदाज किया और आतंकी–संबंधित व्यक्ति को अपने संस्थान में जगह दी।
🔷 3. आतंकियों से संबंध और अचानक लापता! — खतरा और गहरा
अब सामने आया है कि:
- दिल्ली धमाके के बाद डॉक्टर निसार उल हसन लापता है।
- उसके संबंध कुख्यात आतंकियों मुजम्मिल, उमर और शाहीन सईद से होने की जानकारी मिली है।
- सुरक्षा एजेंसियां उसके हर ठिकाने पर छापे मार रही हैं।
यह कोई सामान्य अपराधी नहीं था। यह एक आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था — और यह पूरा नेटवर्क एक भारतीय यूनिवर्सिटी के भीतर पनप रहा था।
🔷 4. अल–फलाह यूनिवर्सिटी का बचाव — और वाइस चांसलर का संदिग्ध बयान
आज ही यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने बयान दिया:
- “हमारी यूनिवर्सिटी का आतंकियों से कोई संबंध नहीं है।”
- “सरकार हमें बदनाम कर रही है।”
यह बयान समझ से परे है, क्योंकि सवाल है:
🔸 आपकी नाक के नीचे इतने समय तक:
- आतंकी संबंध वाला डॉक्टर प्रोफेसर बनकर पढ़ा रहा था,
- कैंपस में कौन-कौन आता-जाता था,
- किससे उसकी मीटिंग होती थी,
- कौन उसे संरक्षण दे रहा था— और आपको कुछ पता नहीं?
यह असंभव है।
👉 जांच एजेंसियों को सबसे पहले वाइस चांसलर और पूरी हायरिंग कमेटी को पूछताछ में लेना चाहिए।
- क्योंकि यह केवल एक “अभियुक्त” की नियुक्ति का मामला नहीं है—
यह राष्ट्रीय सुरक्षा, शैक्षणिक संस्थानों में आतंकी घुसपैठ, और विस्तृत मॉड्यूल ऑपरेशन का मामला है।
🔷 5. यह अकेला मामला नहीं — पूरी लॉबी सक्रिय है
भारत में:
- कुछ संस्थान,
- कुछ NGOs,
- कुछ वामपंथी-इस्लामी गठजोड़,
- और विदेशी फंडेड संगठन
> शिक्षण संस्थानों को ब्रेनवॉशिंग और अर्बन–टेररिज़्म का आधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
> अल-फलाह जैसे संस्थान इसी इकोसिस्टम का हिस्सा प्रतीत होते हैं।
जहाँ
- “धर्मनिरपेक्षता” का मुखौटा
- “मानवाधिकारों” का बहाना
- और “अल्पसंख्यक अधिकार” का ढाल का इस्तेमाल करके
राष्ट्र-विरोधी तत्वों को सुरक्षा और संरक्षण देने की योजनाएँ चलती हैं।
🔷 6. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा — तत्काल कठोर कार्रवाई आवश्यक
इस प्रकार के मामले केवल एक अपराध नहीं — यह भारत को भीतर से कमजोर करने की रणनीति है।
इसलिए आवश्यक है:
- अल-फलाह यूनिवर्सिटी की पूरी फंडिंग की जांच
- सभी शिक्षकों और स्टाफ का बैकग्राउंड वेरिफिकेशन
- वाइस चांसलर, HR और मैनेजमेंट की पूछताछ
- यूनिवर्सिटी में आतंकी नेटवर्क की संपूर्ण जांच
- यूनिवर्सिटी का लाइसेंस रद्द करने पर विचार
यदि इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मॉडल भविष्य में अन्य संस्थानों में भी दोहराया जाएगा।
🔷 7. देश का सवाल — क्या हमारी यूनिवर्सिटियाँ सुरक्षित हैं?
- क्या हमारी शैक्षणिक संस्थान आतंकी पकड़ के केंद्र बन रहे हैं?
- क्या हम अपने ही देश में शिक्षित आतंक तैयार कर रहे हैं?
- क्या यह “शिक्षा” का स्थान है — या “आतंक के प्रजनन केंद्र”?
भारत के नागरिकों को जागरूक होना होगा
- क्योंकि यह केवल एक जाँच का मामला नहीं, पूरे राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न है।
🔷 8. एक यूनिवर्सिटी नहीं, एक पूरा नेटवर्क उजागर हो रहा है
- डॉक्टर निसार उल हसन का मामला अकेले व्यक्ति की गलती नहीं — यह भारत के विरुद्ध काम कर रहे इस्लामिक–लिबरल–लेफ्ट गठबंधन, अवैध यूनिवर्सिटियों,
और विदेशी एजेंडों का संयुक्त मॉड्यूल है। - इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं— और आने वाले दिनों में कई और नाम सामने आएँगे।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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