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अमेरिका भारत से नाराज़ है

अमेरिका भारत से क्यों नाराज़ है?

असली सच 🇮🇳

अमेरिका की मुस्कान भरी कूटनीति के पीछे छिपा शोषण

अमेरिका की मुस्कान भरी कूटनीति के पीछे विनम्रता नहीं, बल्कि एक शोषण की राजनीति छिपी है।
जब भी अमेरिका हाथ बढ़ाता है, उसका असली इरादा साझेदारी नहीं, बल्कि नियंत्रण होता है।

लेकिन आज़ाद भारत ने, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, उन शर्तों पर साफ़ कहा —
👉 “हम अपनी स्वतंत्रता पर समझौता नहीं करेंगे।”

यही कारण है कि अमेरिका भारत से नाराज़ है।

सुनहरी सपने के पीछे छिपा ज़हर

भारत–अमेरिका व्यापार वार्ता का सपना था:
👉 2030 तक 500 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य।

सुनने में शानदार लगा, लेकिन इस सपने के पीछे छिपा था एक ज़हरीला सच।
अमेरिका ने कहा:

“Genetically Modified (GM) बीज और फसलें स्वीकार करो, सौदे पर हस्ताक्षर करो।”

भारत ने साफ़ शब्दों में कहा: नहीं।

क्यों?
क्योंकि यह सिर्फ़ व्यापार का मामला नहीं था —

  • यह भारत की खाद्य सुरक्षा का मामला था।
  • यह किसानों की स्वतंत्रता का मामला था।
  • यह राष्ट्रीय संप्रभुता का मामला था।

GM बीज क्या हैं?

GM बीज सामान्य बीज नहीं, ये तो पेटेंटेड सॉफ़्टवेयर हैं।

  • एक बार बो दो — फिर अपने बीज बचाकर इस्तेमाल नहीं कर सकते।
  • हर बार आपको विदेशी कंपनी से खरीदना होगा।
  • खेत आपकी ज़मीन पर होगा, पर बीज का मालिक वो कंपनी होगी।

और ये बीज किसके हैं?
👉 मॉनसेंटो (अब बायर) — वही कंपनी जिसने एजेंट ऑरेंज बनाया था, जिससे लाखों लोग मरे थे।

नाम बदल गया है, लेकिन शोषण का ढर्रा वही है।

अमेरिका का खाद्य आपदा

अमेरिका ने खुद अपनी ज़मीन पर प्राकृतिक फसलों को GM फसलों से बदल दिया —

  • GM मक्का
  • GM सोया
  • GM कैनोला
  • GM कपास

ये सब “राउंडअप रेडी” हैं — यानी रसायन से छिड़काव करने पर खरपतवार मर जाएगा, लेकिन फसल बचेगी।

आज अमेरिका में:

  • 95% मक्का GM है
  • लगभग सारा सोया उत्पादन GM है

ये सब पहुँचते हैं: शिशु आहार, ब्रेड, स्नैक्स और अस्पताल के खाने तक।

पर नतीजा?
1990 के बाद से:

  • मोटापा दोगुना
  • किशोरों में मधुमेह बढ़ा
  • पीसीओएस और बांझपन आम हुआ
  • अवसाद और चिंता महामारी बनी
  • कैंसर, लीवर और दिल की बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ीं

ये कोई संयोग नहीं — ये है कॉरपोरेट-नियंत्रित खाद्य प्रणाली का परिणाम।

गुलामी का चक्र

यह है अमेरिकी मॉडल:

  1. Big Food → GM फसलें देता है → लोग बीमार होते हैं।
  2. Big Pharma → दवाइयाँ देता है → इलाज नहीं, बस निर्भरता।
  3. Big Insurance → आजीवन भुगतान करवाता है।

आप कभी आज़ाद नहीं हो पाते।
यह खेती नहीं, यह आजीवन गुलामी है।

और इस चक्र को नियंत्रित करते हैं —
👉 Vanguard, BlackRock, और State Street.

अगर यह 15 साल पहले होता…

मान लीजिए यह स्थिति 15 साल पहले आई होती —

  • कोई दलाल प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँचता।
  • बड़े कमीशन और घूस का वादा करता।
  • उस दौर की भ्रष्ट सरकार तुरंत हस्ताक्षर कर देती।

नतीजा?

  • भारत के किसान हमेशा के लिए गुलाम हो जाते।
  • हमारी ज़मीन ज़हर से भर जाती।
  • आने वाली पीढ़ियों की खाद्य स्वतंत्रता नष्ट हो जाती।

क्योंकि तब की सरकारें देश की नहीं, अपनी जेब की चिंता करती थीं।

आज का भारत अलग है 🇮🇳

आज हालात बदल चुके हैं।
हमारे पास है एक ईमानदार, राष्ट्रवादी और जनहितैषी सरकार।

मोदी सरकार की प्राथमिकता:
👉 भारत और भारतवासियों की सुरक्षा व कल्याण।

इसीलिए उन्होंने अमेरिका की मांग ठुकरा दी।
उन्होंने साफ़ कहा —
👉 “हम अपने किसानों और अपनी धरती को कभी गुलाम नहीं बनाएंगे।”

यही वजह है कि आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
क्योंकि आज का नेतृत्व बिकाऊ नहीं है।

अमेरिका की नाराज़गी

भारत के इंकार के बाद नतीजे देखिए —

  • ट्रंप के गुस्से भरे ट्वीट
  • पाकिस्तान से अमेरिकी नज़दीकी
  • पश्चिमी मीडिया का अचानक भारत-विरोधी बनना
  • विपक्ष का वही विदेशी नैरेटिव दोहराना — “मोदी असफल हो गए।”

असल कारण:
👉 भारत गुलाम बनने से इनकार कर रहा है।

इस षड्यंत्र के खलनायक

यह सब एक सुनियोजित जाल है —

  • कृषि क्षेत्र: बायर (मॉनसेंटो), ADM, कारगिल
  • खाद्य क्षेत्र: नेस्ले, पेप्सीको, क्राफ्ट
  • फार्मा: फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, मर्क
  • बीमा: यूनाइटेडहेल्थ

और इन सबके मालिक हैं —
👉 Vanguard, BlackRock, और State Street.

यही है असली खेल:
👉 खाना आपको बीमार करे → दवा आपको गुलाम बनाए → बीमा आपसे पैसा वसूले।

असली सवाल

जब कोई पूछे:
👉 “भारत ने अमेरिका की शर्तें क्यों नहीं मानी?”

तो जवाब दें —
⚖️ “आप अपने बच्चों को खिलाएँगे या उनकी फैक्ट्री को?”

यह अमेरिका-विरोध नहीं 🇺🇸

स्पष्ट रहे — यह अमेरिका से नफ़रत नहीं,
यह भारत की रक्षा है।

  • धरती के पक्ष में 🌱
  • किसानों के पक्ष में 🚜
  • सत्य के पक्ष में 📢
  • भविष्य के पक्ष में 🌏

पश्चिम इसे हठ कहे तो कहे —
पर संप्रभुता की रक्षा करना ही सच्चा राष्ट्रवाद है।

क्योंकि अगर हमने ऐसे समझौते किए,
तो हम केवल एक सौदा नहीं हारेंगे —
👉 हम अपनी ज़मीन ही खो देंगे।

अंतिम संदेश 🇮🇳

यह केवल जानकारी नहीं, यह चेतावनी है।
हर भारतीय को यह सच जानना चाहिए।

आज की आज़ादी केवल सीमा और झंडे की नहीं है,
यह भी है कि हमारे बीज, मिट्टी और अन्न किसके हाथों में हैं।

🇮🇳 भारत ने “नहीं” कहा —
और इस “नहीं” ने हमारे किसानों को आज़ाद,
हमारी मिट्टी को जिंदा,
और हमारे भविष्य को सुरक्षित रखा।

यही वजह है कि अमेरिका नाराज़ है,
लेकिन यही वजह है कि भारत आगे बढ़ रहा है।

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