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अमेरिका – एक अविश्वसनीय मित्र

अमेरिका – एक अविश्वसनीय मित्र और हमारी रणनीतिक जिम्मेदारी

  • भारत जैसे उभरते हुए राष्ट्र को यह समझना आवश्यक है कि दुनिया की राजनीति केवल “दोस्ती और दुश्मनी” से नहीं चलती, बल्कि हितों और रणनीतियों पर आधारित होती है।
  • अमेरिका ने हमेशा अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रखा है, और इतिहास इस बात का गवाह है कि उसने कभी भी किसी देश का भला बिना अपने फायदे के नहीं किया।

1. अमेरिका का इतिहास – स्वार्थ और युद्ध की राजनीति

संयुक्त राज्य अमेरिका ने अक्सर स्वयं को लोकतंत्र और स्वतंत्रता का वैश्विक नेता प्रस्तुत किया है। लेकिन इतिहास एक अलग तस्वीर दिखाता है।

अमेरिका की कार्रवाइयाँ बार-बार यह साबित करती हैं कि उसने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है, भले ही इसका ख़ामियाज़ा दूसरों को भुगतना पड़ा हो।

अपने हथियार उद्योग को बढ़ावा देने और विनाश से मुनाफ़ा कमाने के लिए युद्धों को फंड किया।

शीत युद्ध के दौरान, जहाँ उसकी रणनीति को सूट करता था, वहाँ उसने तानाशाहियों का समर्थन किया।

  • वियतनाम, इराक, अफगानिस्तान और लीबिया जैसे देशों पर आक्रमण या हस्तक्षेप किया और उनके पीछे केवल अराजकता छोड़ दी।
  • उन कमजोर देशों पर प्रतिबंध लगाए जिन्होंने उसके आदेशों का पालन करने से इनकार किया।
  • तेल, बाज़ार और राजनीतिक प्रभाव सुरक्षित करने के लिए क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा की।

👉 सबक: अमेरिका की  दोस्ती अक्सर अवसरवाद पर आधारित होती है, सिद्धांतों पर नहीं।

2. भारत के लिए सबक – संतुलित लेकिन सतर्क नीति

  • भारत को अमेरिका से संबंध बनाए रखने चाहिए, परंतु अत्यधिक निर्भरता से बचना अनिवार्य है
  • हाल ही में देखे गए टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध) में अमेरिका ने भारत को झुकाने की कोशिश की, लेकिन मोदीजी ने ठोस नेतृत्व दिखाकर भारत के हितों से कोई समझौता नहीं किया।
  • हमें अपनी अर्थव्यवस्था और व्यापारिक ढाँचे को ऐसा बनाना होगा कि किसी भी बाहरी दबाव में न झुकना पड़े।

3. भारत की सच्ची दोस्ती – निष्ठा और भरोसे पर आधारित

भारत को यह समझना होगा कि कुछ देश हैं जिन्होंने हमेशा कठिन समय में भारत का साथ दिया है:

  • रूस – चाहे परमाणु परीक्षण हो, संयुक्त राष्ट्र में वीटो का प्रयोग हो या रक्षा उपकरण की आपूर्ति, रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है।
  • इज़राइल – आतंकवाद और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में भारत का सच्चा सहयोगी, जिसने कभी शर्तें नहीं रखीं।
  • जापान – आर्थिक और तकनीकी विकास में सहयोगी, जिसने भारत के बुनियादी ढांचे और स्मार्ट शहरों में बड़ा योगदान दिया है।

4. रणनीतिक दिशा – स्वदेशी मजबूती और बहुपक्षीय विकल्प

  • भारत को हर हाल में विकल्प तैयार रखने होंगे – चाहे वह आयात हो या निर्यात।
  • स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) को और मजबूत करना होगा ताकि किसी भी देश की धमकी का असर हमारी अर्थव्यवस्था पर न पड़े।
  • हमें ऐसे गठजोड़ों में शामिल होना चाहिए जहाँ पारस्परिक हित हों, न कि दबाव और शोषण।

5. भारत की वैश्विक भूमिका

भारत की नीति स्पष्ट होनी चाहिए:

  • सबके साथ मित्रता, पर किसी पर निर्भरता नहीं।
  • हितों की रक्षा, आत्मसम्मान की रक्षा।
  • सच्चे मित्रों पर भरोसा, अवसरवादी देशों से सावधानी।

मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत झुकने वाला नहीं, बल्कि बराबरी के स्तर पर दोस्ती निभाने वाला राष्ट्र है।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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