हाल के घटनाक्रम और गुप्त राजनयिक गतिविधियाँ इस ओर इशारा कर रही हैं कि अमेरिका एक बड़े भू-राजनीतिक खेल की योजना बना रहा है, जिसमें भारत को पाकिस्तान के साथ लंबे समय तक चलने वाले युद्ध में उलझाना शामिल है। यह रणनीति यूक्रेन-रूस युद्ध जैसी होगी, जहाँ अमेरिका सीधे मैदान में नहीं उतरेगा, लेकिन लाइव इंटेलिजेंस फ़ीड, लॉजिस्टिक्स और हथियारों की आपूर्ति करके युद्ध को लंबा खींचेगा।
🔍 पर्दे के पीछे की गतिविधियाँ
- पाकिस्तान के सेना प्रमुख और बांग्लादेश के उच्च अधिकारियों के साथ अमेरिका की कई बैठकें हो चुकी हैं।
- योजना यह है कि पश्चिम से पाकिस्तानी सेना का हमला, पूर्व से बांग्लादेश समर्थित जिहादी घुसपैठ, और भीतर से देशद्रोही नेटवर्क के ज़रिये तोड़फोड़करवाई जाए।
- इस बार, अमेरिका पाकिस्तान को युद्ध रोकने की अनुमति नहीं देगा, जैसा अतीत में कई बार हुआ। लक्ष्य होगा — अमेरिका द्वारा तय किए गए रणनीतिक ठिकानों पर हमला जारी रखना।
- संभावना है कि फ़ॉल्स फ़्लैग ऑपरेशन करके कुछ इस्लामी देशों को भारत के खिलाफ खड़ा किया जाए।
- इसके अलावा, पाकिस्तान के जिहादियों को शरणार्थियों के रूप में भारत में घुसपैठकराने की कोशिश भी हो सकती है।
⚔ ऑपरेशन सिंदूर — अमेरिका और चीन की साज़िश को नाकाम करने का सबूत
- ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने दुनिया को अपनी आधुनिक युद्ध क्षमता दिखाई। यह शक्ति अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के बराबर थी। कुछ मामलों में भारत उनसे भी बेहतर साबित हुआ।
- पाकिस्तान ने देखा कि उसका चीनी हथियारों पर निर्भर रहना पूरी तरह विफल रहा।
- इस ऑपरेशन में भारत ने रणनीतिक रूप से पाकिस्तान के परमाणु हथियार भंडारण केंद्र को गंभीर नुकसान पहुँचाया — एक ऐसा ठिकाना जहाँ अमेरिकी परमाणु हथियार भी रखे गए थे। इस वार ने अमेरिका को मजबूर कर दिया कि वह तुरंत अपने कदम पीछे खींचे।
- चीन, जो पर्दे के पीछे पाकिस्तान का समर्थन कर रहा था, इस घटना के बाद चुपचाप पीछे हट गया।
🌏 RIC का उभार — अमेरिका के लिए रणनीतिक चुनौती
- ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने भारत, रूस और चीन को पहले से ज़्यादा नज़दीक ला दिया है, जिससे RIC (Russia-India-China) मंच मजबूत हुआ है।
- अमेरिका ने भिन्न-भिन्न टैरिफ नीति अपनाकर भारत-चीन के बीच दरार डालने की कोशिश की, लेकिन दोनों देशों ने इस मंशा को समझकर इस जाल में नहीं फंसे।
- अब RIC का मज़बूत होना, अमेरिका और NATO के लिए बड़ी भू-राजनीतिक चुनौती है।
🤝 भारत के भरोसेमंद मित्र और वैश्विक प्रतिष्ठा
- आज भारत के पास केवल सैन्य ताकत ही नहीं, बल्कि राजनयिक मजबूती भी है।
- रूस, जापान, इज़रायल और उत्तर कोरिया जैसे भरोसेमंद मित्र देशों का साथ है।
- भारत ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, एशिया और अरब जगत में भी अपना विश्वसनीय और संतुलित साझेदारका दर्जा कायम किया है।
- यही वैश्विक goodwill भारत को किसी भी लंबे युद्ध में फंसने से बचाने में मदद कर सकती है — जैसे हमने ऑपरेशन सिंदूर में किया।
- अमेरिका की रणनीति साफ़ है — भारत को पाकिस्तान के साथ लंबे युद्ध में फंसाकर आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से कमजोर करना। लेकिन आज का भारत 1971 या 1999 का भारत नहीं है।
- हमारे पास उन्नत मिसाइल तकनीक, सटीक खुफिया तंत्र और वैश्विक समर्थन है।
- ऑपरेशन सिंदूर जैसे तेज़ और निर्णायक अभियान से हमने साबित कर दिया है कि हमें लंबे युद्ध की ज़रूरत नहीं। हम दुश्मन को कुछ ही दिनों में घुटने टेकने पर मजबूर कर सकते हैं।
भारत तैयार है — हर मोर्चे पर, हर साज़िश के खिलाफ!
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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