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अमित शाह का भाषण

संसद में धमाका – हिंदू गर्व की आवाज़ गूंजी!

🐕 विपक्ष में हड़कंप — जैसे कोने में घिरा हुआ सियार

आज संसद में विपक्ष सिर्फ बेचैन नहीं था — बल्कि डरा हुआ था।
वे ऐसे दिख रहे थे जैसे फ्लडलाइट में फँसा सियार, इधर-उधर भागते, बिना मतलब भौंकते, और सच को दबाने की कोशिश करते हुए।

क्यों?

क्योंकि मोता भाई — अमित शाह — खड़े हुए,
और उन्होंने करियर पॉलिटिशियन की डिप्लोमैसी से नहीं,
बल्कि शेर की दहाड़ के साथ बात की —
100 करोड़ हिंदुओं के गर्व की रक्षा करने वाले शेर की,
जिनकी आवाज़ दशकों से दबाई गई थी।

🗡️ शब्द जो इस्पात की धार जैसे चुभे

  • शाह ने राजनीतिक मिठास में वक्त बर्बाद नहीं किया।
    उन्होंने उनके अपराधों की धूल भरी फाइलें,
    उनकी सड़ चुकी तुष्टिकरण की राजनीति
    निकालकर संसद के बीचोंबीच पटक दीं, ताकि पूरा देश देख सके।
  • जब उन्होंने सदन को सोनिया गांधी के आँसू याद दिलाए —
    आँसू जो देश के लिए नहीं,
    शहीदों के लिए नहीं,
    बल्कि बाटला हाउस में मारे गए आतंकियोंके लिए थे —
    तो सदन का माहौल जम गया।
    यह सिर्फ एक तथ्य नहीं था…
    यह एक आईना था, और विपक्ष को अपना चेहरा देखना पसंद नहीं आया।

🎯 पाखंड पर सर्जिकल स्ट्राइक

शाह के जवाब सटीक थे:

जब पी. चिदंबरम ने उन्हें “होमग्रोन टेररिस्ट” का मुलायम लेबल देने की कोशिश की,
शाह का सीधा वार —

  • “होमग्रोन? तुम्हारे बगीचे में या पाकिस्तान के आँगन में?”
    — उनके नैरेटिव को चीर गया।
  • जब नेहरू और मनमोहन की विफल विदेश नीतियों का पर्दाफाश हुआ,
    तो हिमालयन ब्लंडर्स और मौन आत्मसमर्पण की आत्माएँ विपक्ष की बेंचों पर मंडराने लगीं।
  • अब बात सहनशीलता की नहीं थी।
    यह देर से मिला न्याय था, जो आखिरकार सुनाया जा रहा था।

📜 दशकों का विश्वासघात बेनकाब

हमें एक प्रधानमंत्री का चौंकाने वाला बयान याद दिलाया गया:

  • “देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।”

यह बोले थे मनमोहन सिंह

  • लेकिन असल में स्क्रिप्ट 10 जनपथ पर सोनिया गांधी के दरबार में लिखी गई थी। मनमोहन तो सिर्फ चेहरा थे;
  • पीछे था एक ईकोसिस्टम जो हिंदू पहचान को अपराध मानता था,
    और मुस्लिम तुष्टिकरण को सेक्युलर सम्मान समझता था।

💣 ऑपरेशन सिंदूर — सबूत जिन्हें वे नकार नहीं सकते

शाह ने बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य बताए:

  • आतंकियों के पास पाकिस्तानी चॉकलेट,
  • पाकिस्तानी वोटर आईडी,
  • AK-47,
  • और जैश-ए-मोहम्मद की साजिश के ब्लूप्रिंट

फिर भी विपक्ष बेशर्मी से पूछता रहा:

  • “सबूत कहाँ है?”

सच यह है कि उन्हें सबूत की ज़रूरत नहीं थी —

  • उन्हें तो बस अपने वोट बैंक को बचाने का बहाना चाहिए था,
    चाहे इसके लिए शहीदों की कब्र पर थूकना ही क्यों न पड़े।

🌋 77 साल बाद फूटा ज्वालामुखी

  • दशकों से हिंदू वेदना को बोतल में बंद रखा गया,
    मजाक उड़ाया गया, “सांप्रदायिक” कहकर खारिज किया गया।
    आज वह बोतल फट गई।
  • अमित शाह के शब्द सिर्फ भाषण नहीं थे —
    वे दबी हुई हिंदू चेतना का विस्फोट थे,
  • एक ज्वालामुखी जो याद दिला रहा था कि भारत माता चुनावी सौदेबाजी की वस्तु नहीं है।

⚔️ यह पार्टी पॉलिटिक्स से परे है

  • आप किसी पार्टी के मेनिफेस्टो से सहमत न हों।
  • आप उसके नेताओं से असहमत हो सकते हैं।

लेकिन जब कोई खड़ा हो:

  • आतंकवाद के खिलाफ,
  • तुष्टिकरण के खिलाफ,
  • और शहीदों के सम्मान के लिए,

तो उसका समर्थन करना सिर्फ राजनीति नहीं —
यह राष्ट्र धर्म है —

  • वह कर्तव्य जो आप अपनी मातृभूमि के प्रति निभाते हैं।

🚩 संदेश साफ है

  • यह पोस्ट सिर्फ फॉरवर्ड करने के लिए नहीं है।
    यह आसमान में छोड़ी गई चेतावनी की मशाल है — जागरण का आह्वान।
    हम एक सभ्यतागत मोड़ पर खड़े हैं:
  • या तो हम अब बोलें,
    या फिर इतिहास में दर्ज होंगे उस पीढ़ी के रूप में जिसने चुपचाप सब दोहराने दिया।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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