यह संदेश उन सभी भारतीय नागरिकों के लिए है जो भारत को एक समृद्ध, विकसित और शांतिपूर्ण देश के रूप में देखना चाहते हैं और विश्व में शांति की स्थापना का सपना रखते हैं। विशेष रूप से, सभी हिंदुओं को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आज दुनिया के बदलते परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण सच्चाई उजागर हो रही है: अरब देशों के मूल मुस्लिम समुदाय सनातन धर्म के प्रति गहरा सम्मान प्रकट कर रहे हैं। वे न केवल हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं को समझ रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मसात भी कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय मुसलमान, जो हिंदू पूर्वजों की संतान हैं, उनके लिए यह समय अपनी जड़ों की ओर लौटने का है।
सनातन धर्म का वैश्विक सम्मान
अरब देशों की प्रेरणा:
यूएई और सऊदी अरब जैसे देश हिंदू मंदिर बना रहे हैं।
उनके नेता और नागरिक मंदिरों में पूजा-अर्चना में भाग ले रहे हैं।
उनके स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, और महाभारत जैसे ग्रंथ पढ़ाए जा रहे हैं।
भारत के नेतृत्व का सम्मान:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई अरब देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है।
यह भारत की आध्यात्मिक विरासत और नेतृत्व के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है।
महत्वपूर्ण सबक: जो कभी हिंदू नहीं थे, वे सनातन धर्म का सम्मान कर रहे हैं, तो फिर वे जो हिंदू पूर्वजों के वंशज हैं, क्यों दूर हो रहे हैं?
भारतीय मुसलमानों की स्थिति
भारतीय मुसलमान, जिनके पूर्वज हिंदू थे, अक्सर फंसे हुए हैं:
राजनीतिक षड्यंत्र में: कांग्रेस, वामपंथी, और छद्म धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के प्रभाव में।
धार्मिक भ्रामकताओं में: मजार, दरगाह, और कब्जाई जमीन पर नमाज जैसे कार्य, जो इस्लाम के सिद्धांतों के विपरीत हैं।
गैर-इस्लामिक गतिविधियों में: बैंक के ब्याज का उपभोग करना, फिल्मों में काम करना आदि।
परिणाम:
ये न तो सच्चे मुसलमान बन पाते हैं और न ही अपनी मूल पहचान, यानी हिंदुत्व से जुड़ पाते हैं।
घर वापसी का समय
पूर्वजों की विरासत: अधिकांश भारतीय मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, जो विभिन्न परिस्थितियों में धर्मांतरित हुए।
संस्कृति का पुनर्जागरण: सनातन धर्म में वापसी से:
वे अपनी विरासत से पुनः जुड़ सकेंगे।
देश में शांति और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
राजनीति और गलतफहमियों से बने विभाजन खत्म होंगे।
एक नैतिक जिम्मेदारी: सनातन धर्म से जुड़कर भारतीय मुसलमान अपने पूर्वजों का सम्मान कर सकते हैं और एकजुट, सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।
अभी नहीं तो कभी नहीं
आज सनातन धर्म को जो वैश्विक सम्मान मिल रहा है, वह आत्ममंथन का एक स्वर्णिम अवसर है।
सनातन धर्म को अपनाकर वे:
अपनी सांस्कृतिक पहचान को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
एकजुट और समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।
इस अवसर को गंवाने से विभाजन की खाई और गहरी हो सकती है।
युवाओं के लिए संदेश
युवा पीढ़ी, चाहे किसी भी धर्म से हो, समाज को नया आकार देने की शक्ति रखती है। धर्मांतरित मुसलमानों, विशेषकर युवाओं, के लिए यह आवश्यक है कि:
अपने पूर्वजों की विरासत को समझें।
विभाजनकारी राजनीतिक और धार्मिक एजेंडों को अस्वीकार करें।
सनातन धर्म के सार्वभौमिक सिद्धांतों: शांति, सम्मान और आध्यात्मिकता को अपनाएं।
आइए, अपने पूर्वजों की शाश्वत बुद्धि के साथ एकजुट हों और भारत को एकता और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक बनाएं।
🇮🇳 जय भारत! जय सनातन! 🚩