“अब युद्ध केवल हथियारों से नहीं, धन, बाज़ार और मानसिकता से लड़े जाते हैं।”
🇮🇳 भारत में एक हिंदू आर्थिक युद्ध की आवश्यकता क्यों अत्यंत आवश्यक है?
भारत ने सदियों तक इस्लामी आक्रमणों और उपनिवेशवाद का सामना किया — सिर्फ़ भूमि और मंदिरों पर ही नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था, संस्कृति और चिंतन प्रणाली पर भी। आज एक नया और कहीं अधिक घातक हमला चल रहा है — आर्थिक जिहाद।
- यह युद्ध शांत है लेकिन विनाशकारी क्योंकि:
- यह उग्रवादी संगठनों को आर्थिक मदद देता है,
- राष्ट्र-विरोधी आंदोलनों को पोषित करता है,
- हिंदू व्यापार को कमजोर करता है,
- और देश को धीरे-धीरे इस्लामीकरण की ओर ले जाता है।
मोदी सरकार का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस सच्चाई को जगजाहिर कर चुका है कि आर्थिक प्रतिबंध किसी मिसाइल से कम नहीं, बल्कि एक बेहद असरदार आर्थिक युद्ध का हिस्सा हैं। जो देश पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे, उन पर हुए आर्थिक प्रहार ने उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
📿 म्यांमार के “969 आंदोलन” से प्रेरणा – एक सच्चा सभ्यतागत प्रहार
म्यांमार में बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु ने “969 आंदोलन” की शुरुआत की — एक शांति आधारित लेकिन शक्तिशाली अभियान:
- बौद्ध नागरिकों से कहा गया कि वे केवल उन्हीं दुकानों से खरीदारी करें जहाँ 969 का चिन्ह लगा हो,
- मुसलमानों की दुकानों, सेवाओं और हलाल व्यापार से दूर रहें।
परिणाम?
- जिहादी व्यापार ढह गया,
- धर्मांतरण और उग्रवाद में भारी गिरावट,
- मस्जिदें वीरान पड़ीं,
- अवैध मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ा।
🕉 भारत को चाहिए “ॐ 108” – हिंदू आर्थिक रक्षा योजना
म्यांमार की तरह अब भारत में हिंदुओं को एक आर्थिक एकता के प्रतीक के नीचे संगठित होना होगा — वह है “ॐ 108”।
क्यों “108”?
- 108 उपनिषद, 108 माला की मनकियाँ, 108 नाम — सनातन की पूर्णता का प्रतीक।
- “ॐ” — सनातन धर्म की अनादि ध्वनि।
- “ॐ 108” बन जाए हिंदू एकता, आध्यात्मिक ऊर्जा और आर्थिक प्रतिरोध का प्रतीक।
🧱रणनीति — हर हिंदू का कर्तव्य: एक सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध का संकल्प
✅ अपनी दुकानों, वाहनों, व्यवसायों और क्लीनिकों पर ‘ॐ 108’ का लोगो लगाएँ।
✅ केवल उन्हीं स्थानों से उत्पाद और सेवाएं लें जहाँ यह प्रतीक स्पष्ट रूप से दिखे।
✅ हलाल प्रमाणित उत्पादों, मुस्लिम स्वामित्व वाली सेवाओं और क्षेत्रों (जैसे मांस व्यापार, ई-कॉमर्स, गारमेंट्स, कॉस्मेटिक्स, सैलून आदि) का शांतिपूर्ण लेकिन ठोस बहिष्कार करें।
✅ एक मजबूत हिंदू-केवल सप्लाई चेन बनाएं — कच्चे माल से लेकर बिक्री तक, यही आज के आर्थिक युद्ध की सबसे सशक्त रणनीति है।
- “जो पैसा तुम गलत हाथों में देते हो, वह तुम्हारे धर्म के दुश्मन को ताकत देता है।”
🔥 आर्थिक जिहाद से रीढ़ तोड़ दो!
क्या आप जानते हैं?
- हलाल प्रमाणन एक समानांतर अर्थव्यवस्था है, जो मुस्लिम संगठनों के नियंत्रण में है।
- मुस्लिम व्यापारी केवल मुसलमानों को रोजगार देते हैं, पर मुनाफ़ा हिंदुओं से कमाते हैं।
- यही पैसा जाता है: दंगों, धर्मांतरण, कट्टरपंथ, विरोध प्रदर्शनों और आतंकी गतिविधियों में।
🔺 जब हिंदू धन, हिंदू हाथों में आएगा — तभी टूटेगा:
- आतंकवाद का आर्थिक ईंधन,
- धर्मांतरण की संस्थागत शक्ति,
- इस्लामी विस्तारवाद का अहंकार।
🧘♂️ संतों, धार्मिक संगठनों की जिम्मेदारी:
यह केवल राजनीतिक नहीं, धार्मिक युद्ध है — इसलिए:
- संत, महंत, आचार्य और हर हिंदू संगठन को खुलकर नेतृत्व करना होगा,
- आर्थिक एकता को धार्मिक दायित्व के रूप में प्रचारित करना होगा,
- मौन और तटस्थता को त्यागना होगा।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था:
“जब अधर्म बढ़े, तब साम, दाम, दंड, भेद — सभी उपाय धर्म की रक्षा के लिए उचित हैं।”
अब समय है – “गौ से भी ज़्यादा पवित्र” बनने की मानसिकता छोड़ो, क्योंकि अधर्म तलवार तेज़ कर चुका है और तुम्हारी अगली पीढ़ी को गुलाम बनाने को तैयार है।
🚩 यह बहिष्कार नहीं है — यह आत्मरक्षा है।
यह घृणा नहीं — यह अस्तित्व की लड़ाई है।
आइए, “ॐ 108” को बनाएं सनातन धर्म का आर्थिक ध्वज।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
🕉 जय श्री राम • जय भारत • जय सनातन धर्म
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