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अयोध्या आंदोलन

अयोध्या आंदोलन से राष्ट्र पुनर्जागरण तक: हिन्दू चेतना का नया अध्याय

अयोध्या आंदोलन केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह हिन्दू चेतना के पुनर्जागरण की शुरुआत थी। इसने राष्ट्र की आत्मा को झकझोरा और एक नए सामाजिक व सांस्कृतिक जागरण का मार्ग प्रशस्त किया|

“कश्मीरी कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़” ने एक बार बहुत स्पष्ट रूप से कहा था—

भारतीय मुस्लिमों ने एक फूटी लावारिस बाबरी मस्जिद के लिए भारत के बिखरे और सोये हुए हिन्दुओं को जगा दिया।

वह सच बोल गए थे।

हिन्दुओं की नींद टूटी एकता जागी

  • भारत में तीन लाख से अधिक मस्जिदें बन गईं और हिन्दू समाज चुपचाप सब देखता रहा।
  • जातिवाद, क्षेत्रवाद और राजनीतिक स्वार्थों में उलझा हिन्दू समाज कभी एक नहीं हो पाया।
  • लेकिन जब बात अयोध्या की आई, तो एक फूटी सी बाबरी मस्जिद ने वह क्रांति जगा दी जो वर्षों से दबी थी।
  • अयोध्या आंदोलन ने हिन्दू समाज को फिर से हिन्दूबना दिया।

राजनीतिक चूक और जागरण की पुनः शुरुआत

लेकिन इस जागृति के बाद भी एक भारी भूल हो गई —
हिन्दू समाज फिर से भ्रमित हुआ और अपने इकलौते शुभचिंतक, भारत माता के सच्चे सेवक, श्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को पूर्ण समर्थन नहीं दिया।

  • इस राजनीतिक चूक ने विपक्षी खेमे को गलत संकेत दे दिया।
  • उन्हें लगा कि अब वे फिर से राष्ट्रविरोधी एजेंडे, हिंदूविरोधी षड्यंत्र, वोट बैंक की राजनीति और संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ा करके देश को 2014 से पहले वाली भ्रष्ट अंधकार युग में ले जा सकते हैं।
  • परिणामस्वरूप, हिन्दू समाज ने फिर से अपमान, आघात और असुरक्षा का सामना किया।

लेकिन

हरियाणा चुनाव से नया हिन्दू पुनर्जागरण शुरू हुआ

जब हिन्दुओं ने फिर से अपने आत्मबल को पहचाना, तब हरियाणा चुनाव ने एक निर्णायक मोड़ लिया —
भाजपा को बहुमत देकर हिन्दू समाज ने फिर से स्पष्ट संदेश दे दिया कि हम अब और छले नहीं जाएंगे।

  • इसके बाद…
  • महाराष्ट्र में sweeping जीत
  • कुंभ मेले के दौरान भारी हिन्दू एकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार
  • फिर दिल्ली में ऐतिहासिक जीत ने राष्ट्रवादी लहर को और मज़बूत किया
  • यह हिन्दू चेतना अब रुकने वाली नहीं है।
    हर चुनाव में यह बढ़ती जा रही है, और आगे भी हमें सुनिश्चित करना है कि यह लहर अखंड राष्ट्रवाद में बदल जाए।

अब लक्ष्य है विपक्षी गठबंधन को पूरी तरह सत्ता से बाहर करना

यह न भूलें कि यही विपक्षी पार्टियाँ वही हैं—

  • जिन्होंने वक्फ बोर्ड जैसे कट्टरपंथी कानूनों को बढ़ावा दिया,
  • घोटाले, भ्रष्टाचार और देशद्रोही ताकतों से हाथ मिलाया,
  • भारत को पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और लेबनान जैसी असफल, असुरक्षित, और खोखली दशा की ओर धकेल दिया।

लेकिन अब मुसलमानों में भी एक नई सोच दिख रही है।
वक्फ संशोधन अधिनियम के पास होने के दौरान संसद में जो प्रतिक्रियाएं आईं, वे संकेत देती हैं कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग अब यह समझ रहा है:

  • अगर भारत को सुरक्षित, समृद्ध और भविष्यसक्षम बनाना है तो एक ही विकल्प है नरेंद्र मोदी।
  • वरना यही देश फिर से भिखारी बन जाएगा, गरीबी में डूब जाएगा, और भ्रष्ट नेताओं का अड्डा बन जाएगा।

हिन्दू चेतना को रोकने की कोई ताकत नहीं

अब यह जिम्मेदारी हर राष्ट्रभक्त हिन्दू की है कि:

हर आने वाले चुनाव में इस चेतना को और प्रबल करें,

संगठित होकर हर क्षेत्र में भाजपा और राष्ट्रवादी ताकतों की जीत सुनिश्चित करें,

हिन्दू स्वाभिमान, सनातन संस्कृति, और भारत की सुरक्षा को स्थायी बनाएं।

**यह भारत माता की पुकार है।

  • यह रामराज्य की ओर बढ़ते भारत की हुंकार है।
  • अब ना रुकेंगे, ना झुकेंगे।
  • अब हर चुनाव, राष्ट्रनिर्माण का चरण बनेगा।**

अयोध्या आंदोलन से उपजा जनजागरण केवल एक मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने राष्ट्र के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को गति दी। यह आन्दोलन हिन्दू समाज की आत्मचेतना, अस्मिता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया। आज यह चेतना एक नए भारत के निर्माण में आधारशिला बन चुकी है, जहाँ सनातन मूल्यों के साथ आधुनिकता का संतुलन दिखाई देता है। यही अध्याय आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़ने और राष्ट्रहित में सक्रिय होने की प्रेरणा देता रहेगा।

जय श्रीराम। जय सनातन। भारत माता की जय।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪

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