- जब बंगाल में हिंदू समुदाय पर नृशंस अत्याचार हो रहा है,
- जब मंदिर जलाए जा रहे हैं,
- जब हिंदू बेटियाँ असुरक्षित हैं,
- जब गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं —
तब देश के करोड़ों सनातनियों के मन में एक ही सवाल उठता है: 👉 हमारे तमाम हिंदू संगठन और धर्म संस्थाएं कहाँ हैं?
🧡 राष्ट्रवादी संगठनों का मौन — एक पीड़ा, एक प्रश्न
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)
- विश्व हिन्दू परिषद (VHP)
- बजरंग दल
- संत समाज और अखाड़ा परिषद
- आर्य समाज, वैष्णव संप्रदाय, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा
- इस्कॉन (ISKCON)
- रामकृष्ण मिशन व मठ
- ब्रह्माकुमारीज
- अयप्पा संघ, नाथ संप्रदाय, लिंगायत संस्थाएं
- भारत सेवाश्रम संघ
और न जाने कितनी धार्मिक संस्थाएं…
- इनमें से कितने संगठन बंगाल पहुँचे हैं?
- कितनों ने हिंसा-पीड़ित हिंदुओं को आश्रय दिया है?
- कितनों ने सरकार से पूछताछ की है या जनांदोलन छेड़ा है?
उत्तर है: लगभग कोई नहीं।
📛 धर्म संकट में, लेकिन धर्मगुरु मूकदर्शक
हमें यह मान लेना चाहिए कि:
- क्या ये संगठन केवल त्योहारों में शोभायात्राएं निकालने तक सीमित हैं?
- क्या मठों का काम अब सिर्फ करोड़ों की संपत्ति बचाने तक है?
- क्या धर्म अब केवल प्रवचन, टीवी चैनलों और भंडारों तक सिमट गया है?
बंगाल में हिन्दू जल रहा है,
और हिन्दू धर्मगुरु, संत, संगठन – सब केवल चुप हैं।
🕉️ धर्म रक्षक की भूमिका से पलायन?
- राम मंदिर उद्घाटन में बड़े-बड़े संत सक्रिय थे।
- राजनीति पर प्रवचन देने में कोई पीछे नहीं रहता।
- महिलाओं के वस्त्रों पर टिप्पणी, या कुंभ स्नान के अधिकारों पर फतवे – यहाँ हर संस्था तत्पर रहती है।
- लेकिन जब बंगाल में हिंदुओं के घर जले,
- बेटियाँ रोती रहीं,
- पुरुष काटे गए,
मंदिर तोड़े गए —
तो यह सारा संत समाज, राष्ट्रवादी संगठन, और मठों का तंत्र चुप हो गया।
❗ क्या इनकी जिम्मेदारी नहीं बनती?
- क्या RSS, जिसकी शाखाएं गाँव-गाँव में हैं, को बंगाल नहीं जाना चाहिए?
- क्या VHP और बजरंग दल, जो “हिंदू रक्षा” की बात करते हैं, कोई सुरक्षा नहीं दे सकते?
- क्या अखाड़ा परिषद, जो कुंभ में हज़ारों संतों को संगठित करता है, अब पीड़ित हिन्दुओं के लिए चुप क्यों है?
- क्या ISKCON, जो पूरी दुनिया में सनातन धर्म फैलाता है, बंगाल में अपने ही धर्म के पीड़ितों की सेवा नहीं कर सकता?
- क्या रामकृष्ण मिशन, जो विवेकानंद जी के नाम से चलता है, उनके बताए ‘त्याग और सेवा’ के मार्ग से भटक गया है?
- क्या ब्रह्माकुमारीज, जो “विश्व शांति” की बात करती हैं, बंगाल में हिंसा रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकतीं?
📣 जनता पूछ रही है — जवाब चाहिए
हिंदू समाज अब जागरूक हो चुका है।
वह सवाल पूछ रहा है।
वह जानना चाहता है कि जब आग लगी है,
तब ये तथाकथित “धर्म रक्षक” कहाँ हैं?
- क्या इन संगठनों का कार्य केवल धार्मिक पर्यटन और टीवी डिबेट्स तक सीमित रह गया है?
- क्या मठों के वैभव की रक्षा ही अब धर्म है, न कि आम हिन्दू की सुरक्षा?
- क्या गरीब, पीड़ित हिन्दू अब इन संस्थाओं की प्राथमिकता नहीं रह गया?
🔥 अगर आप नहीं बचा सकते, तो हट जाइए मार्ग से
- यदि आप पीड़ितों के घर नहीं जा सकते,
- यदि आप सड़कों पर उतरकर विरोध नहीं कर सकते,
- यदि आप सरकार के साथ मिलकर हिन्दुओं की सुरक्षा नहीं कर सकते —
तो फिर अपने संगठन के सामने “धर्म रक्षा“ का बोर्ड लगाना बंद कीजिए।
सच्चा धर्म वही है, जो संकट में साथ निभाए।
बाकी सब पाखंड है।
🛡️ अब जनता को नेतृत्व करना होगा
आइये, हम संकल्प लें:
- कि हम अब अंधभक्ति नहीं करेंगे – संगठनों से जवाब मांगेंगे।
- कि हम संघठित होकर स्वयंसेवकों की एकजुट सेना बनायेंगे।
- कि हम सेवा और रक्षा को ही सनातन धर्म का आधार मानेंगे।
- कि हम धर्म के नाम पर सोई हुई संस्थाओं को जगायेंगे या नकार देंगे।
✊ धर्म संकट में है – अब धर्मगुरुओं, मठों और संगठनों को जवाब देना होगा।
📌 यदि आप धर्म के साथ नहीं खड़े, तो आप धर्म के विरुद्ध हैं।
📌 अब केवल भाषण नहीं – समाधान और सेवा चाहिए।
| जय भारत, वन्देमातरम |
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