बंगाल में इस्लामी जिहाद एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है, जहां आतंकी गतिविधियों की आड़ में सांप्रदायिक जहर फैलाया जा रहा है। वहीं ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति ने इन तत्वों को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया है। इस लेख में हम विश्लेषण करेंगे कि कैसे बंगाल में इस्लामी जिहाद के बढ़ते प्रभाव और राजनीतिक तुष्टिकरण के मेल ने राज्य की स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है।
पश्चिम बंगाल, जो कभी भारत की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता था, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ राज्य के मूल निवासी हिंदू समुदाय को अपने ही घर, गाँव, और शहर में असुरक्षित महसूस करना पड़ रहा है। यह स्थिति किसी प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं, बल्कि एक सुनियोजित वैचारिक और राजनैतिक षड्यंत्र का नतीजा है—जिसे ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने जन्म दिया है।
🔥 मुर्शिदाबाद में क्या हुआ?
वक्फ संशोधन कानून की आड़ में शुक्रवार की नमाज़ के बाद मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हजारों की भीड़ ने:
- ट्रेनों की पटरियाँ जाम कर दीं
- हिंदुओं के घरों और दुकानों को आग के हवाले किया
- मंदिरों में तोड़फोड़ की
- मूर्ति-निर्माता एक हिंदू पिता-पुत्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी
- पुलिस पर बमबारी और हमला कर 15 से अधिक पुलिसकर्मियों को घायल किया
- एंबुलेंस को रोककर उसमें आग लगा दी
- क्या ये सिर्फ “प्रदर्शन” था, या भारत विरोधी कट्टरपंथी एजेंडे का नग्न रूप?
⚠️ यह पहली बार नहीं है — हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है
पिछले कुछ वर्षों में बंगाल के अलग-अलग जिलों से ऐसी सैकड़ों घटनाओं की रिपोर्ट आई हैं जहाँ:
- हिंदू महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया
- दुकानों और घरों पर हमले हुए
- कश्मीरी हिन्दू एक्सोडस जैसी स्थिति बनती जा रही है — मुस्लिम भीड़ हिंदुओं को डराकर, धमकाकर राज्य से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है
इसका असली मकसद है—धार्मिक जनसांख्यिकी बदलना और बंगाल को एक “पूर्वी बांग्लादेश” में तब्दील करना, जहाँ संविधान नहीं, मजहबी कट्टरता का शासन चले।
🔍 ममता सरकार की भूमिका: एक जानबूझी चुप्पी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भले कह दिया कि राज्य में वक्फ संशोधन कानून लागू नहीं होगा, लेकिन उन्होंने एक भी बयान दंगाइयों के खिलाफ नहीं दिया। क्यों?
- क्या उन्हें डर है कि कड़ी कार्रवाई से उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा?
क्या बंगाल में अब कानून का शासन नहीं, भीड़ का दबदबा है?
⚠️ मुस्लिमों की असंतुलित भर्ती: पुलिस और प्रशासन भी अब तटस्थ नहीं रहा
- राज्य पुलिस बल और सरकारी तंत्र में पिछले 2-3 वर्षों में मुस्लिमों की असंतुलित भर्ती ने स्थिति को और अधिक बिगाड़ा है:
- मुस्लिम अफसरों की संख्या कई जिलों में 60% से अधिक हो गई है
- कई संवेदनशील पदों पर कट्टर सोच रखने वाले लोगों की नियुक्ति की गई है
इससे प्रशासनिक निष्पक्षता पूरी तरह खत्म हो गई है और हिन्दुओं का भरोसा पुलिस पर से उठ गया है
🗳️ चुनाव आते ही हिंसा क्यों बढ़ती है?
हर चुनाव से पहले बंगाल में:
- मुस्लिम क्षेत्रों में उग्रता बढ़ जाती है
- हिंदू इलाकों में डर का माहौल फैलाया जाता है
- हिंदू मतदाताओं को धमकाया जाता है, ताकि वे वोट न डालें
क्या यह एक सोची–समझी रणनीति नहीं है कि मुस्लिम भीड़ के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जाए और लोकतंत्र को ध्वस्त कर दिया जाए?
🚨 केंद्र सरकार को क्या करना चाहिए?
अब केवल निंदा करने से बात नहीं बनेगी। केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से:
- NIA/CBI जांच शुरू करानी चाहिए
- संवेदनशील जिलों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होनी चाहिए
- राष्ट्रपति शासन लगाने पर गंभीर विचार होना चाहिए
- चुनाव आयोग को हस्तक्षेप कर, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहिए
हिंदू समुदाय के जान–माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए
📢 अब हिंदुओं को भी खामोश नहीं रहना चाहिए
बंगाल का हिन्दू समाज अब चौराहे पर खड़ा है—या तो अब उठ खड़ा हो, या अपने बच्चों के लिए एक गुलाम और इस्लामी बंगाल की कल्पना कर ले।
- मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, लेकिन कोई secular चुप्पी नहीं तोड़ता
- हिंदुओं को जिंदा जलाया जा रहा है, लेकिन कोई international media नहीं चीखती
- ये चयनित सेक्यलरिज़म ही नहीं, खुलेआम हिंदूफोबिया है
📌 यह बंगाल की लड़ाई नहीं, भारत की अस्मिता की लड़ाई है
यदि बंगाल में हिंदू विरोधी जिहादी उग्रवाद को अभी नहीं रोका गया, तो यह धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल जाएगा।
हिन्दू समाज एकजुट होकर इसका सामना करे।
बंगाल में इस्लामी जिहाद की बढ़ती घटनाएं केवल राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए भी खतरा हैं। ऐसे समय में जब देश को कठोर और संतुलित नीति की ज़रूरत है, ममता बनर्जी की तुष्टिकरण आधारित राजनीति इन चुनौतियों को और गहरा कर रही है। अब वक्त आ गया है कि इस मुद्दे को केवल वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाए और राज्य को एक सुरक्षित, निष्पक्ष और समावेशी दिशा में आगे बढ़ाया जाए।
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪
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