गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में बेट द्वारका के दो द्वीपों पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे के प्रयास को खारिज कर दिया। यह फैसला हिंदू समाज के लिए राहत की खबर है, लेकिन यह एक बड़े प्रश्न को जन्म देता है—आखिर हिंदुओं को अपनी ही भूमि पर कब्जे के खिलाफ संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है?
बेट द्वारका सिर्फ एक द्वीप नहीं है, बल्कि यह भारत में हिंदू पलायन और भूमि–जिहाद की एक सुनियोजित रणनीति का प्रतीक है।
भूमि-जिहाद: कैसे किया जाता है हिंदू भूमि पर कब्जा?
अगर आप यह समझना चाहते हैं कि भूमि–जिहाद कैसे काम करता है, तो बेट द्वारका इसका एक स्पष्ट और भयावह उदाहरण है।
1. हिंदू बहुल क्षेत्र को टारगेट करना
बेट द्वारका, जो ओखा नगरपालिका के अंतर्गत आता है, समुद्र से घिरा एक द्वीप है, जहां जाने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है।
- यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसकी स्थापना 5000 साल पहले देवी रुक्मिणी ने की थी।
- यह हिंदू बहुल क्षेत्र था, जहाँ के निवासी मुख्य रूप से मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े थे।
2. बाहरी मुस्लिम आबादी का व्यवस्थित आगमन
धीरे-धीरे बाहरी मुस्लिम मछुआरे यहाँ बसने लगे।
- हिंदू समाज ने दयालुता और सहिष्णुता दिखाते हुए उन्हें रहने और मछली पकड़ने की अनुमति दी।
- लेकिन जल्द ही, मुस्लिम मछुआरों ने पूरे मछली व्यापार पर नियंत्रण कर लिया।
3. आर्थिक हथियार: हिंदुओं को बेरोजगार करना
इसके बाद बाहरी इस्लामी फंडिंग के तहत, मुस्लिम व्यापारियों ने बाजार में सस्ती दरों पर मछली बेचना शुरू किया।
- इससे स्थानीय हिंदू मछुआरे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाए और धीरे–धीरे बेरोजगार होते चले गए।
- जब रोजगार समाप्त हुआ, तो हिंदू आबादी ने बेट द्वारका से पलायन करना शुरू कर दिया।
4. परिवहन पर कब्जा और हिंदुओं के लिए भेदभावपूर्ण नीति
जब बेट द्वारका से ओखा जाने के लिए सभी नावों पर मुस्लिमों का नियंत्रण हो गया, तो उन्होंने नाव के किराए में भेदभाव शुरू कर दिया—
- मुस्लिमों के लिए किराया मात्र 8 रुपये।
- हिंदुओं के लिए किराया 100 रुपये।
अब सोचिए—
अगर कोई हिंदू रोज़ ओखा काम पर जाए और आने–जाने में ही 200 रुपये खर्च करे, तो वह कैसे जीवित रहेगा?
इसी आर्थिक दबाव के कारण और अधिक हिंदू परिवार द्वीप छोड़कर जाने लगे।
भूमि-जिहाद का अंतिम चरण: बेट द्वारका का इस्लामीकरण
- जब हिंदू अल्पसंख्यक हो गए, तो शरिया आधारित नियम थोपे जाने लगे।
- अतिक्रमण कर हिंदू भूमि को मस्जिदों और दरगाहों में बदला जाने लगा।
- बेट द्वारका पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने द्वीप पर अपना अधिकार जताने का प्रयास किया।
गुजरात हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और मोदी जी की डुबकी
गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अवैध दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि बेट द्वारका किसी इस्लामी संगठन की संपत्ति नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी जी का समंदर में डुबकी लगाकर द्वारका के दर्शन करना केवल एक आध्यात्मिक कृत्य नहीं था, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश था कि द्वारकाधीश की भूमि पर कोई भी अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
क्या यह सिर्फ बेट द्वारका तक सीमित है?
बिल्कुल नहीं!
बेट द्वारका लैंड–जिहाद की एक झलक भर है।
- असम, बंगाल, केरल, काशी, मथुरा, अयोध्या—हर जगह यही रणनीति अपनाई जा रही है।
- मजहबी कट्टरपंथ और बाहरी फंडिंग के जरिए हिंदू बहुल क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल बनाया जा रहा है।
- जमीनों पर कब्जा कर उन्हें मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है।
अब सवाल उठता है—
- क्या हिंदू समाज फिर से बेट द्वारका जैसी गलती दोहराएगा?
- क्या हम अपनी जमीन, अपने मंदिर, अपनी आस्था की रक्षा करेंगे?
- या हम भी उन्हीं हिंदुओं की तरह पलायन को अपनी नियति मान लेंगे, जो कभी बेट द्वारका में बहुसंख्यक थे?
🚩 “अब जागने का समय है—संघर्ष अभी बाकी है!” 🚩
जय भारत! जय हिन्द!!
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