भारत, जो सनातन धर्म का उद्गम स्थल और आध्यात्मिक विरासत से समृद्ध भूमि है, आज इस्लामीकरण के गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। विपक्षी दलों की तुष्टिकरण की राजनीति और विभाजनकारी रणनीतियां इस खतरे को बढ़ा रही हैं। यदि यह स्थिति जारी रही, तो हिंदुओं और सनातन धर्म का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
ऐतिहासिक चेतावनी: पाकिस्तान और बांग्लादेश से सबक
- पाकिस्तान: 1947 में 15% हिंदू जनसंख्या, आज 2% से भी कम।
- बांग्लादेश: 1947 में लगभग 30% हिंदू, अब घटकर 8%।
भारत में वर्तमान चुनौतियां
1. राजनीतिक तुष्टिकरण
विपक्षी दल अल्पसंख्यकों के वोट बैंक को प्राथमिकता दे रहे हैं।
2. जनसांख्यिकीय बदलाव
मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि और अवैध घुसपैठ भारत की सांस्कृतिक पहचान बदल रहे हैं।
3. सांस्कृतिक क्षरण
धर्मनिरपेक्षता का दुरुपयोग कर हिंदू त्योहारों को बदनाम किया जा रहा है।
4. बढ़ता कट्टरपंथ
चरमपंथी विचारधाराएं हिंसा और असुरक्षा बढ़ा रही हैं।
चुप्पी की कीमत: परिणाम क्या होंगे?
- हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक बन सकता है।
- मंदिर, परंपराएं और धर्मग्रंथ खतरे में पड़ सकते हैं।
तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता
1. जागरूकता फैलाएं
लोगों को संस्कृति और पहचान के खतरों से अवगत कराएं।
2. राजनीतिक एकजुटता
जाति और भाषा के विभाजनों से ऊपर उठें।
3. संस्थाओं पर अधिकार
मंदिरों का नियंत्रण और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दें।
4. कठोर कानून लागू करें
अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण रोकें।
जागने का समय: हिंदू एकता का आह्वान
हर हिंदू को भारत के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अभी कार्य करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था:
“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
सनातन धर्म के लिए यह लड़ाई भारत के अस्तित्व की लड़ाई है। एकजुट होइए, कार्य कीजिए और हमारी विरासत को बचाइए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
जय हिन्द, जय भारत
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