भारत का इतिहास अक्सर एक खास दृष्टिकोण से पढ़ाया जाता है, और इसके परिणामस्वरूप हम अक्सर पूरी सच्चाई को नहीं जान पाते। अनगिनत नायक जिन्होंने अपना बलिदान दिया, उनका नाम और उनकी कथाएं अक्सर हाशिए पर रहती हैं। भारत के युवा, अब वक्त आ गया है कि हम असली कहानी को समझें। आइए हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीदों के बलिदान और साहस को समझें, और पहचानें उन सच्चे वीरों को जिन्होंने अपनी जान दी।
जौहर की अग्नि में जलती रही नारियां, फिर भी भेड़िये मौन रहे। हमें सिखाया गया ‘अकबर महान था’, तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे?
हमें अकबर के बारे में बहुत कुछ सिखाया गया है, लेकिन क्या हमने कभी महाराणा प्रताप के बारे में विस्तार से जाना है, जिन्होंने अपनी ज़मीन और अपने लोगों की रक्षा के लिए जीवनभर संघर्ष किया? हैल्दीघाटी की लड़ाई में अपनी वीरता दिखाते हुए महाराणा प्रताप ने किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया। क्या हमें उनके संघर्ष की पूरी जानकारी है?
अकबर के साम्राज्य की महिमा में हम अक्सर खो जाते हैं, लेकिन महाराणा प्रताप का शौर्य और उनकी धरती की रक्षा की कहानी कम क्यों बताई जाती है? युवा वर्ग, क्या हमें इस पर कभी सोचने का मौका मिला है?
सड़कों पर सड़ती लाशें, फिर भी गांधी मौन थे। हमें सिखाया गया गांधी के चरखे से आज़ादी मिली, तो वह 25 साल के युवा कौन थे, जो फांसी पर चढ़े थे?
जब हम गांधी के अहिंसक आंदोलन के बारे में पढ़ते हैं, तो क्या हमने उन वीरों की कहानी सुनी है जिन्होंने अपने शहीदी संघर्ष से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बलिदान दिया? क्या हम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद जैसे साहसी युवाओं को जानते हैं, जिन्होंने अपनी जान को हथेली पर रखकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया?
क्या हम जानते हैं कि गांधी जी के चरखे के बाद भी वो वीर दिलों ने अपनी धड़कनें अपनी नम आंखों के साथ फांसी पर लटकाई? उनकी वीरता की कोई किताब क्यों नहीं बताती?
“मुल्क के हालात देख कर रोने का मन हुआ, कोशिश की, लेकिन मुँह ढक के सोया नहीं गया…”
भारत की स्वतंत्रता किसी चरखे या आंदोलन से नहीं मिली। असली संघर्ष उन वीरों से था जिन्होंने अपनी सैन्य शक्ति और बलिदान से हमें स्वतंत्रता दिलाई। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, वीर सावरकर, और अनेकों ऐसे नाम हैं जिनका बलिदान हमेशा हमारे दिलों में एक प्रेरणा बनेगा। इनकी युवावस्था, उनके सपने, उनके परिवार—इन सभी को नष्ट कर दिया गया, लेकिन क्या हम उनकी कुर्बानियों को सही तरीके से जानते हैं?
गांधी-नेहरू परिवार पर कुछ सवाल
अब एक जरूरी सवाल, जो अक्सर हमारे इतिहास में नजरअंदाज किया जाता है: क्यों अंग्रेजों ने गांधी और नेहरू को कभी सजा नहीं दी?
महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के केंद्रीय नेता थे, लेकिन क्या वे अकेले थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया? भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव को फांसी पर चढ़ा दिया गया, लेकिन गांधी या नेहरू पर अंग्रेजों का कोई प्रभाव क्यों नहीं पड़ा? क्या यह सच नहीं है कि इन दोनों के पास ऐसा कोई सुरक्षात्मक कवच था, जिसने उन्हें अंग्रेजों से बचाए रखा?
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के असली वीर
भारत की स्वतंत्रता केवल चरखे से नहीं मिली। असली नायक वो थे जिन्होंने बलिदान, बम विस्फोट, और कायरताहीन मौत के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी। ये थे:
मंगल पांडे – जिन्होंने 1857 के विद्रोह की शुरुआत की और अपना जीवन बलिदान किया।
रानी लक्ष्मीबाई – जिन्होंने अंग्रेजों से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव – जिन्होंने फांसी के फंदे को हंसते-हंसते चूमा।
वीर सावरकर – जिन्होंने काला पानी में अनगिनत यातनाएं सही।
लाला लाजपत राय – जिनकी लाठीचार्ज के बाद मौत हो गई।
चंद्रशेखर आजाद – जिनका अंग्रेजों से एनकाउंटर हुआ।
यह केवल कुछ नाम हैं। हमारे पास अनगिनत अनाम शहीदों के बलिदानों की भी एक लंबी सूची है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी।
भारत के युवाओं के लिए संदेश
हमें यह याद रखने की जरूरत है कि सच्ची आजादी सिर्फ चरखे से नहीं, बल्कि क्रांति की आग से आई, अनगिनत बहादुर दिलों के बलिदान से, जिन्होंने फाँसी, गोलियों और जेल की कोठरियों का सामना किया। यह उन गुमनाम नायकों को याद करने का समय है जिन्होंने भारत को बचाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
हमारे इतिहास का सही ज्ञान और सम्मान तभी संभव है, जब हम अपनी जवानी को इस महान धरोहर को समझने और बढ़ाने में निवेश करें।
यह समय है कि हम उन शहीदों को सम्मान दें जिनके कारण हम आज एक स्वतंत्र राष्ट्र में जी रहे हैं।
जय हिंद! जय श्री राम!
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