चीन और पाकिस्तान लंबे समय से भारत के बाहरी शत्रु रहे हैं, लेकिन एक और गंभीर खतरा हमारे भीतर है। इसे अनदेखा करना हमारी सबसे बड़ी भूल होगी। यह खतरा केवल पप्पू समझे जाने वाले व्यक्ति तक सीमित नहीं है। इसके पीछे ऐसी योजनाएं और विचारधाराएं काम कर रही हैं जो भारत की एकता और अखंडता को खत्म करने की साजिश रच रही हैं।
गजवा-ए-हिंद का खतरनाक एजेंडा
गजवा-ए-हिंद (भारत पर इस्लामी वर्चस्व) का सपना कोई नई बात नहीं है। इसे दुनिया के 56 इस्लामिक देशों, हजारों आतंकी संगठनों, और भारत में मौजूद लाखों मस्जिदों, मदरसों और मौलवियों के माध्यम से भारत को अस्थिर करने का माध्यम बनाया जा रहा है।
भारत जोड़ो यात्रा की असली सच्चाई
इसे भारत जोड़ो यात्रा नहीं, बल्कि मुस्लिम जोड़ो यात्रा कहना ज्यादा सही होगा।
यह यात्रा मुस्लिम-बहुल जिलों से गुजरते हुए समुदाय को लामबंद करने का प्रयास थी।
इसका उद्देश्य देश में विभाजन पैदा करना और गजवा-ए-हिंद के एजेंडे को मजबूत करना था।
सामाजिक विभाजन की साजिश
हिंदुओं को दलित, आदिवासी, पिछड़े और वंचित वर्गों के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है।
उद्देश्य है कि हिंदू कमजोर हों और सांप्रदायिक विभाजन इतना गहरा हो जाए कि भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का रास्ता साफ हो।
हमें इस खतरे को पहचानने की जरूरत क्यों है?
आतंरिक षड्यंत्र: यह केवल बाहरी दुश्मनों की बात नहीं है। देश के भीतर ऐसी ताकतें सक्रिय हैं, जो बाहरी एजेंडे को बढ़ावा दे रही हैं।
भारत का भविष्य: अगर युवा पीढ़ी समय पर सतर्क नहीं हुई, तो देश की सांस्कृतिक और भौगोलिक अखंडता खतरे में पड़ सकती है।
धार्मिक संतुलन: भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन इसे मजहबी कट्टरता के सहारे टुकड़ों में बांटने का प्रयास किया जा रहा है।
कैसे पहचानें और रोकें यह खतरा?
सतर्क रहें:
उन नेताओं और संगठनों को पहचानें जो राष्ट्रहित के खिलाफ काम कर रहे हैं।
तथ्यों की जांच करें और प्रोपेगेंडा के झांसे में न आएं।
समुदाय को जोड़ें:
सभी धर्मों और जातियों के लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दें।
विभाजनकारी राजनीति का विरोध करें।
शिक्षा और जागरूकता:
गजवा-ए-हिंद और भारत-विरोधी एजेंडे के बारे में समाज को शिक्षित करें।
युवाओं को इतिहास और वर्तमान खतरों की जानकारी दें।
राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दें:
धर्म और जाति से ऊपर उठकर देश के लिए सोचें।
उन नेताओं और नीतियों का समर्थन करें जो भारत को मजबूत और सुरक्षित बनाते हैं।
युवाओं से आह्वान
यह समय हिंदू, मुस्लिम, दलित, आदिवासी जैसे लेबलों को पीछे छोड़कर एक भारतीय के रूप में सोचने का है।
हमें उन ताकतों को हर हाल में हराना होगा, जो भारत को तोड़ने के प्रयास कर रही हैं।
यह संघर्ष केवल एक विचारधारा या संगठन के खिलाफ नहीं है, यह भारत की आत्मा को बचाने का संघर्ष है।
अब वक्त आ गया है कि हम जागें, संगठित हों, और भारत को इन षड्यंत्रों से बचाएं।
वंदे मातरम्!
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