1. ✍️ 17 दिसंबर 1928 – अज्ञात FIR जिसने इतिहास को बदल दिया
- लाहौर के अनारकली पुलिस स्टेशन में दर्ज विशुद्ध कागज़ी FIR—जिसमें भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव का नाम कहीं नहीं था।
- उस FIR में दूसरी कई संदिग्ध गतिविधियाँ दर्ज थीं, लेकिन जो जोश-ए-क्रांति देखी गई — उसका ज़िक्र तक नहीं।
- अब जब यह दस्तावेज़ सार्वजनिक हो गया है, तब हकीकत सामने आ रही है:
- ये फाँसी किसी बड़े राजनीतिक दबाव में की गई, न कि न्यायिक प्रक्रिया से।
2. 🕵️♂️ बड़ा आदमी कौन था? सत्ता की लालच या उपेक्षा?
भगत सिंह का जनप्रिय और दमदार राजनीतिक सरोकार ऐसे थे कि वे तब के किसी भी नेता से बड़े दिखते थे।
अगर वह आज़ादी के बाद बचे होते, तो वे स्वयं प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन सकते थे।
और कौन था जो इस भविष्य के शक्तिशाली नेता को आगे बढ़ते देखना नहीं चाहता था?
शायद वही जिसने “आजादी के सेहरे को” अपने सर पर बाँधने की सोच रखी थी…
3. 🇵🇰 Bhagat Singh Foundation का लंबा न्याय संग्राम
- 2013 से लाहौर कोर्ट तक, यह संस्था ब्रिटिश जंग को लेकर पाकिस्तान में बची हुई विरासत को उजागर करने की कोशिश कर रही है।
- आश्चर्यजनक रूप से, देश का सारा सरकारी, मीडिया और विद्वानी वर्ग यहाँ मौन है — पर हाल ही में पाक टीवी ने गंभीरता से इस विषय पर चर्चा शुरू कर दी।
4. 🧨 नेहरू-गाँधी परिवार का राजनैतिक सौदा
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारी कभी कांग्रेस नेतृत्व में स्वीकार नहीं किए गए।
- भगत सिंह को मर्यादित और अनवांछित क्रांतिकारी बताया गया—एक तरह की राजनीतिक सफाई।
- तब बिजली कहीं नहीं थी – इंडिया गेट के गर्भगृह में ढेरों शहीद स्मृति चिन्ह दबाए गए।
नेहरू-गाँधी वंश ने सत्ता की लालच में, उस सूरज को बुझा दिया।
5. 📚 संस्कृतियों का विष – किन किताबों में इतिहास लिखा गया?
क्रांतिकारियों को प्रमुख इतिहास और पाठ्यक्रमों से बहिष्कृत कर दिया गया –
फोटो, फाउंडेशन और सबूत छुपाए गए, ताकि केवल ‘आजादी का वंश’ ही चमके।
इतिहास की किताबों में:
- नेहरू-गाँधी को स्वतंत्रता की वाहक बनाया गया।
- बोस, भगत सिंह और अन्य शहीद युवा केवल ‘द्वितीय’ योग्यता के रूप में सम्मिलित किए गए।
6. 🧠 अब क्या हो सकता है?
भावी योजनाएं तैयार हैं:
- नए मुकदमों की मांग — वास्तविक न्याय के लिए।
- स्कूलों में पाठ्यचर्या में क्रांतिकारियों को प्रमुखता देना।
- नेहरू-गाँधी परिवार की भूमिका की जांच — अगर गद्दारी की राजनीति सिद्ध हुई तो भारी कार्रवाई ।
- Bhagat Singh Foundation को समर्थन और संरक्षण प्रदान करना।
- राष्ट्रीय शहीद दिवस के रूप में एक समर्पित सार्वजनिक स्मरण कार्यक्रम।
7. 🇮🇳 अगर हम सच को नकारते रहे…
- इतिहास अधूरा रहेगा।
- झूठे नायकों का महाकाव्य बन जाएगा।
- हमारी आने वाली पीढ़ियां केवल एक निर्मित साजिश वाले इतिहासको पढेंगी।
“जब आत्मा को दबा दिया जाता है, तब राष्ट्र भी पिछड़ जाता है।”
👉 अब चुनाव का समय:
- क्या हम सच के साथ खड़े रहेंगे?
- या फिर झूठी महिमा में खो कर कुछ और पीढ़ियों के कंधों पर अपमान-चिन्ह छोड़ जायेंगे?
“भगत सिंह की आत्मा तभी संतुष्ट होगी जब भारत सरकार उनसे माफी माँगेगी, न्याय देगा, और उन जैसा उदाहरण सामने लाएगी।”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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