समान चुनौतियाँ, भिन्न सामाजिक संस्कार — और यही अंतर क्यों निर्णायक है
1. जब राष्ट्र केवल सीमाएँ नहीं, सभ्यता की रक्षा करते हैं
इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब कुछ राष्ट्र केवल अपनी भूमि, सरकार या सत्ता की रक्षा नहीं कर रहे होते
- वे अपनी सभ्यता के अस्तित्व के अधिकार की रक्षा कर रहे होते हैं।
आज भारत और इज़राइल ऐसे ही मोड़ पर खड़े हैं।
- दोनों प्राचीन, जीवित सभ्यताएँ हैं
- दोनों की जड़ें आस्था, संस्कृति, भूमि और ऐतिहासिक निरंतरता में हैं
- दोनों ने सदियों से निरंतर विरोध और दबाव झेला है
- दोनों वैचारिक, जनसांख्यिकीय और नैरेटिव वर्चस्व चाहने वाली शक्तियों के मार्ग में बाधा हैं
इसीलिए इन दोनों पर दबाव निरंतर, समन्वित और तीव्र है।
2. 1400 वर्षों का पैटर्न: तरीके बदले, लक्ष्य नहीं
- सभ्यताओं पर आक्रमण केवल सैन्य रूप में नहीं होता।
समय के साथ तरीके बदले:
- जब सैन्य विजय असफल हुई → जनसांख्यिकीय दबाव
- जब जनसांख्यिकी धीमी पड़ी → धार्मिक और वैचारिक प्रवेश
- जब विचारधारा को चुनौती मिली → राजनीतिक प्रभाव और वोट-बैंक इंजीनियरिंग
- जब राजनीति कठिन हुई → नैरेटिव युद्ध और वैश्विक राय निर्माण
लक्ष्य वही रहा:
- भीतर से सभ्यतागत मूल को कमजोर करना।
भारत और इज़राइल इसलिए टिके रहे क्योंकि उन्होंने लंबे समय तक प्रतिरोध किया।
3. कई देश बिना युद्ध के क्यों ढह गए
- जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, यूरोप और उत्तर अमेरिका के कई हिस्से मुख्यतः राज्य-आधारित समाज हैं, गहराई से सभ्यतागत नहीं।
उनकी पहचान आधारित है:
- संस्थानों पर
- संविधानों पर
- आर्थिक व्यवस्थाओं पर
- आधुनिक राजनीतिक अनुबंधों पर
जब सांस्कृतिक आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है:
- जनसांख्यिकीय बदलाव तेज़ हो जाते हैं
- वैचारिक कब्ज़ा आसान हो जाता है
- राजनीतिक प्रभाव चुपचाप बदलता है
- पहचान का क्षरण कानूनी रूप से होता है, हिंसक नहीं
कोई आक्रमण आवश्यक नहीं— तंत्र भीतर से ढल जाता है।
- भारत और इज़राइल अलग हैं क्योंकि उनकी पहचान वैकल्पिक नहीं, सभ्यतागत है।
4. इज़राइली अंतर: देशभक्ति एक सामाजिक संस्कार
इज़राइल की सबसे बड़ी ताकत उसके हथियार या तकनीक नहीं—उसके लोग हैं।
इज़राइली समाज की प्रमुख विशेषताएँ
- बचपन से गहरी देशभक्ति का संस्कार
- अनिवार्य सैन्य सेवा,
जिससे:
- शारीरिक तत्परता
- मानसिक अनुशासन
- राष्ट्रीय सुरक्षा की समझ विकसित होती है
देश और आस्था सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं
- देशद्रोह या राष्ट्रविरोध के प्रति लगभग शून्य सहनशीलता
- राष्ट्रीय सुरक्षा को सामूहिक जिम्मेदारी माना जाता है, केवल सरकार का काम नहीं
इसी कारण:
- नेतृत्व जानता है कि संकट में समाज एकजुट रहेगा
- समाज संघर्ष के समय राष्ट्र को भीतर से कमजोर नहीं करता
- नागरिक आवश्यकता पड़ने पर स्वयं की रक्षा में सक्षम होते हैं
इसीलिए इज़राइल, छोटा देश होने और शत्रुओं से घिरा होने के बावजूद, बार-बार बचा और प्रतिरोध करता रहा।
5. इज़राइल में निर्णायक नेतृत्व क्यों संभव है
नेतन्याहू जैसे नेता कठोर निर्णय इसलिए ले पाते हैं क्योंकि:
- उन्हें जनता के निर्विवाद समर्थन का भरोसा होता है
- राष्ट्रीय हित के विरुद्ध आंतरिक गद्दारी नहीं होती है
- समाज समझता है कि जीवित रहना सुविधा से पहले है
निर्णायक नेतृत्व सामाजिक निश्चय के बिना संभव नहीं। इज़राइल में यह निश्चय मौजूद है।
6. भारत की दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई: 70 वर्षों का कमजोर राष्ट्रीय संस्कार
- भारत की समस्या नेतृत्व की इच्छा नहीं—ऐतिहासिक सामाजिक संस्कार है।
स्वतंत्रता के बाद क्या गलत हुआ
- देशभक्ति को कमजोर किया गया, कभी-कभी खतरनाक बताया गया
- राष्ट्रीय गर्व को अतिवाद से जोड़ा गया
- अनिवार्य नागरिक/सैन्य प्रशिक्षण नहीं हुआ
- अधिकारों पर जोर, कर्तव्यों की उपेक्षा
राष्ट्रविरोधी तत्व:
- सहन किए गए
- सामान्यीकृत हुए
- कई बार राजनीतिक संरक्षण मिला
इससे पैदा हुआ:
- राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर भ्रम
- आंतरिक खतरों से निपटने में झिझक
- यह अपेक्षा कि केवल राज्य ही सब कुछ करेगा
इज़राइल के विपरीत, भारत में आंतरिक विरोधाभास बने रहे।
7. राजनीतिक बाधाएँ: भारत को सावधानी से क्यों चलना पड़ता है
- नेतृत्व शून्य में काम नहीं करता।
चुनावी और संस्थागत यथार्थ
हाल के लोकसभा चुनावों में:
- कार्यकारी बहुमत मिला, पूर्ण स्वतंत्र बहुमत नहीं
वर्षों तक:
- राज्यसभा में संख्या अपर्याप्त
- विपक्ष का निरंतर अवरोध
- नौकरशाही जड़ता
- सुधारों पर न्यायिक सावधानी/असहयोग
परिणामस्वरूप, हर बड़े निर्णय के लिए:
- कानूनी सुरक्षा
- राजनीतिक संतुलन
- संस्थागत तैयारी आवश्यक हुई
रणनीतिक धैर्य कमजोरी नहीं, मजबूरी बना।
8. बाधाओं के बावजूद भारत की प्रगति निर्विवाद
इन सीमाओं के बावजूद नेतृत्व ने दिया:
- भारत को चौथी सबसे बड़ी और सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
- मजबूत और विश्वसनीय सैन्य प्रतिरोधक क्षमता
- वैश्विक सम्मान और रणनीतिक महत्व
- बाहरी निर्भरता में कमी
- बाहरी शत्रुओं पर प्रभावी नियंत्रण
आज:
- विश्व भारत से सावधानी से संवाद करता है
- भारत को सुना और माना जाता है
- भारत उभरती महाशक्ति के रूप में देखा जाता है
यह सब अनुशासन, संयम और दीर्घकालिक दृष्टि से संभव हुआ।
9. सबसे बड़ी चुनौती: आंतरिक शत्रु और सामाजिक निष्क्रियता
- बाहरी शत्रुओं को राज्य संभाल सकता है।
- आंतरिक शत्रुओं को समाज के बिना नहीं।
आंतरिक खतरे पनपते हैं जब:
- समाज विभाजित रहता है
- देशभक्ति पर प्रश्न उठते हैं
- सजगता की जगह उदासीनता आती है
- लोग जिम्मेदारी बिना सुरक्षा चाहते हैं
- यही आज भारत की सबसे गंभीर चुनौती है।
10. क्या बदलना होगा: हर नागरिक की भूमिका
यदि भारत को सुरक्षित रखना है:
- समाज
- सनातन धर्म
- राष्ट्रीय एकता
- भविष्य की पीढ़ियाँ
तो नागरिकों को जिम्मेदार बनना होगा।
राजनीतिक रूप से
- राष्ट्रवादी शासन को निर्णायक समर्थन
- सुधारों के लिए स्पष्ट जनादेश
सामाजिक रूप से
- अहंकार, जाति, गुट से ऊपर एकता
- विभाजनकारी और राष्ट्रविरोधी नैरेटिव का अस्वीकार
व्यक्तिगत रूप से
- मानसिक सजगता
- शारीरिक तैयारी
- वैध संस्थाओं का समर्थन
- स्वार्थ से ऊपर देश और धर्म
तैयारी का अर्थ अराजकता नहीं— अनुशासन, एकता और जिम्मेदारी है।
11. भारत के लिए इज़राइल का मूल सबक
इज़राइल एक शाश्वत सत्य सिखाता है:
- राष्ट्र इसलिए नहीं बचता कि सरकार मजबूत है, बल्कि इसलिए कि समाज एकजुट, तैयार और प्रतिबद्ध है।
यदि भारत निर्णायक नेतृत्व चाहता है, तो समाज को पहले निर्णायक रूप से एकजुट होना होगा।
12. चिंतन: राष्ट्र के सामने विकल्प
यह व्यक्तियों या चुनावों का प्रश्न नहीं। यह सभ्यतागत अस्तित्व का प्रश्न है।
यदि हम:
- उदासीन
- विभाजित
- निष्क्रिय रहे
तो इतिहास दोहराया जा सकता है और कीमत आने वाली पीढ़ियाँ चुकाएँगी।
लेकिन यदि हम:
- स्वार्थ से ऊपर देश
- अहंकार से ऊपर एकता
- आराम से ऊपर जिम्मेदारी रखें
तो भारत, इज़राइल की तरह, केवल बचेगा नहीं— अटल रहेगा, सशक्त होगा और दुनिया का नेतृत्व करेगा।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
पुराने ब्लॉग्स के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
हमारे व्हाट्सएप कम्यूनिटी में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/FMr2WNIgrUVG9xK78FW5Dl?mode=r_t
टेलीग्राम ग्रुप से जुडने के लिए https://t.me/+T2nsHyG7NA83Yzdl पर क्लिक करेँ। पुराने ब्लॉग्स टेलीग्राम ग्रुप पर भी उपलब्ध हैं।
