भारत का मौन युद्ध
- भारत आज एक बहुत बड़े आंतरिक संघर्ष के दौर से गुजर रहा है।
यह संघर्ष सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद और वोट–बैंक राजनीति,
सुरक्षा और तुष्टिकरण, और सत्य और भ्रम के बीच का है। - एक तरफ भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ दिन-रात हमारे लिए लड़ रही हैं—
>स्लीपर सेल तोड़ रही हैं,
>विस्फोटक बरामद कर रही हैं,
>विदेश-प्रेरित नेटवर्क का भंडाफोड़ कर रही हैं,
> और लाखों नागरिकों की जान बचा रही हैं।
दूसरी तरफ एक पुराना, शक्तिशाली इकोसिस्टम है— जो आतंकवाद को खत्म करने की बजाय उनके राजनीतिक तुष्टिकरण को बचाने में लगा है।
🔥 1. असली खतरा — आतंकवाद नहीं, बल्कि तुष्टिकरण की सोच
भारत में आतंकवाद बढ़ इसलिए जाता है क्योंकि—
- कुछ राजनीतिक दल कट्टर तत्वों के खिलाफ बोलने से डरते हैं।
- घुसपैठ पर चुप्पी साध ली जाती है।
- चरमपंथी नेटवर्क पर कठोर कदम नहीं उठाए जाते।
- वोट-बैंक के चक्कर में राष्ट्रहित को पीछे कर दिया जाता है।
- कुछ मीडिया अपराधियों को “पीड़ित” बनाकर दिखाती है।
यह समस्या किसी व्यक्ति की नहीं—
यह समस्या कट्टरता, हिंसक विचारधारा, और तुष्टिकरण पर टिके राजनीतिक मॉडल की है।
💣 2. अभी-अभी भारी मात्रा में हथियार मिलने पर चुप्पी क्यों?
जब विभिन्न स्थानों से—
- AK-47
- अमोनियम नाइट्रेट
- डेटोनेटर
- टाइम्ड सर्किट
- हथियारों के जखीरे
- विदेशी चैट
- मेडिकल प्रोफेशन में सक्रिय मॉड्यूल
मिले, तो सवाल यह नहीं था कि अपराधी कौन है… सवाल यह था कि कुछ राजनीतिक दलों की चुप्पी इतनी गहरी क्यों है?
- क्या वोट-बैंक राष्ट्रीय सुरक्षा से बड़ा हो गया है?
- क्या तुष्टिकरण देश की रक्षा से महत्वपूर्ण हो गया है?
- एक राष्ट्रवादी समाज यह सवाल पूछेगा— और जवाब भी मांगेगा।
🗳️ 3. वोट–बैंक राजनीति — भारत की दीर्घकालिक कमजोरी
भारत का इतिहास बताता है कि:
- जहाँ सख्त कानून चाहिए था, वहाँ ढिलाई दी गई
- जहाँ घुसपैठ रोकनी थी, वहाँ चुप्पी रही
- जहाँ आतंकियों पर कार्रवाई चाहिए थी, वहाँ राजनीति की गई
- जहाँ देशहित था, वहाँ चुनावी लाभ चुन लिया गया
इससे:
- स्लीपर सेल मजबूत हुए
- बाहरी एजेंसियाँ सक्रिय हुईं
- समाज में विभाजन बढ़ा
- सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हुई
- और देश बार-बार आतंक का निशाना बना
यह केवल गलती नहीं— यह राष्ट्रहित के खिलाफ राजनीतिक मॉडल है।
🇮🇳 4. जब सरकार निर्णयात्मक होती है — तब राष्ट्र सुरक्षित होता है
पिछले 11 वर्षों में भारत ने पहली बार जाना:
✔ आतंकवाद पर Zero Tolerance
✔ घुसपैठ पर Zero Tolerance
✔ कट्टर फंडिंग पर Zero Tolerance
✔ देशद्रोही नेटवर्क पर Zero Tolerance
सरकार ने:
- स्लीपर सेल ध्वस्त किए
- ISI-पोषित मॉड्यूल तोड़े
- PFI जैसे संगठनों पर कार्रवाई की
- सीमा सुरक्षा मजबूत की
- डिजिटल इंटेलिजेंस बढ़ाई
- NIA, ATS को सक्षम बनाया
- आतंक फंडिंग चेन काटी
सरकार शोर नहीं करती— सरकार चुपचाप काम करती है।
😂 5. “चुनाव से पहले हमले करवाने” का झूठ — तर्क का अंत
कुछ लोग कहते हैं:
- “मोदी चुनाव जीतने के लिए धमाके करवाता है!”
एक सामान्य व्यक्ति भी सोच सकता है—
- जो लोग सरकार के कड़े विरोधी हैं
- जिनका वोट-बैंक विपक्ष के साथ है
- जो हर दिन प्रधानमंत्री पर हमले करते हैं
- क्या उनको कोई प्रधानमंत्री कहेगा: “जाकर धमाका करो ताकि मैं जीत जाऊँ“?
यह तर्क नहीं— यह अंध–विरोध का चरम रूप है।
ऐसे आरोपों का उद्देश्य:
- देश को भ्रमित करना
- एजेंसियों पर संदेह फैलाना
- सरकार पर कीचड़ उछालना
- असली दोषियों को बचाना
यह देशहित में नहीं है। यह राष्ट्र को कमजोर करने की रणनीति है।
🔥 6. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं — पर उसकी मानसिकता क्यों एक जैसी होती है?
- यह सच है कि आतंकवाद किसी धर्म का प्रतिनिधि नहीं करता।
लेकिन यह भी सच है कि—
- चरमपंथी विचारधाराएँ
- हिंसक सोच
- राष्ट्रविरोधी एजेंडा
- समान पैटर्न में काम करता है।
एजेंसियाँ धर्म नहीं देखतीं— वे देखती हैं:
- अपराध
- नेटवर्क
- विदेशी संपर्क
- कट्टर मानसिकता
- अपराधी = अपराधी
- आतंकवादी = आतंकवादी
- देशद्रोही = देशद्रोही
इन्हें कानून और राष्ट्र से जवाब मिलता है।
🛡️ 7. भारत को बचाने के लिए क्या जरूरी है?
✔ तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त
✔ घुसपैठ पर कठोर कार्रवाई
✔ आतंक फंडिंग चेन का विनाश
✔ विदेशी नेटवर्क पर प्रहार
✔ मीडिया की जिम्मेदारी तय
✔ एजेंसियों पर दबाव हटाना
✔ सशक्त कानून
✔ नागरिक जागरूकता
✔ राष्ट्र पहले — चुनाव बाद में
भारत तभी सुरक्षित होगा जब भारत के नागरिक और भारत की सरकार
एक ही दिशा में खड़े होंगे। और इन कट्टरपंथियों और आतंकविदियों और उनके समामर्थकों को करारा जवाब देंगे।
हमारा संघर्ष किसी धर्म से नहीं— हमारा संघर्ष है:
- कट्टरता से,
- आतंकवाद से,
- देशद्रोह से,
- और तुष्टिकरण से है।
भारत तब महान होगा जब हमारी सोच मैं भारत पहले आएगा।
- यह लड़ाई राजनीति की नहीं— यह लड़ाई राष्ट्र और सनातन सभ्यता की सुरक्षा की है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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