भारत का मूक युद्ध
“चीन चाहता है कि भारत रूस बन जाए और पाकिस्तान यूक्रेन।” डोनाल्ड ट्रंप
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान कोई साधारण टिप्पणी नहीं थी — यह एक गंभीर चेतावनी थी। यह चेतावनी उन गुप्त जानकारियों और विश्लेषणों पर आधारित थी, जो एक नए विश्व शक्ति संतुलन की ओर इशारा करती है। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन चाहता है कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा दिया जाए — ठीक वैसे ही जैसे रूस को यूक्रेन में फंसाया गया। चीन कभी सीधे युद्ध नहीं करेगा। उसकी रणनीति है: दूसरों को युद्ध में उलझाओ, खुद फायदा उठाओ। वह चाहता है कि भारत थक जाए, टूट जाए, और उसके आर्थिक विकास की गति रुक जाए।
पाकिस्तान–चीन गठबंधन: एक घातक साजिश
जहां दुनिया के देशों की सेनाएं राष्ट्र की रक्षा करती हैं, वहीं पाकिस्तान में राष्ट्र सेना के लिए बना है। यह अनोखी मानसिकता चीन के लिए वरदान है — एक परमाणु संपन्न, आतंकवाद फैलाने वाला, और भारत के खिलाफ नफरत से भरा हुआ देश।
पहलगाम आतंकी हमला केवल पाकिस्तान की करतूत नहीं थी — यह चीन की चेतावनी थी।
जब ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कंपनियों को चीन से हटाकर भारत में निवेश करने को कहा, तब चीन डर गया। उसे डर था कि एक स्थिर, मजबूत और अमेरिकी समर्थित भारत, एशिया में उसकी बादशाहत को चुनौती देगा।
इसलिए, चीन ने पाकिस्तान को आगे किया — ताकि भारत में डर और अस्थिरता का माहौल बने और विदेशी निवेश रुक जाए।
पाकिस्तान का नकाब खुद उसके मंत्री ने उतारा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने स्वयं स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अतीत में आतंकवाद को पश्चिमी देशों के कहने पर समर्थन दिया था। यह कबूलनामा साबित करता है कि पाकिस्तान एक झूठ पर टिका हुआ देश है, जो आतंक को समर्थन देकर दुनिया को गुमराह करता है।
अब पाकिस्तान फिर वही रणनीति अपनाना चाहता है — चीन को बचाने के लिए भारत को निशाना बनाना। लेकिन इस बार भारत ने इतिहास दोहराने नहीं दिया।
पुरानी नीति खत्म, अब नया भारत नई रणनीति पर चलता है
पहले क्या होता था?
- हम आतंकी हमले का जवाब देते थे, आतंकियों को मारते थे।
- पर हर मरे हुए आतंकी की जगह पाकिस्तान दस और तैयार कर देता था।
मदरसों में गरीब मुस्लिम बच्चों को छोटे से ही जिहादी बना दिया जाता है। उनका जीवन, सोच, आत्मा सबको जहरीला कर आतंक की राह पर भेजा जाता है।
अब भारत ने इस जड़ को ही उखाड़ना शुरू कर दिया है।
अब क्या बदला?
- सिर्फ आतंकी कैंप ही नहीं, उनके परिवार, फंड देने वाले, ट्रेनिंग देने वाले — सबको निशाने पर लिया गया।
- पाकिस्तानी सेना की सुरक्षित जगहों में भी भारत ने घुसकर जवाब दिया।
- संदेश साफ था — अब हम तुम्हारे घर में घुसकर जवाब देंगे, अगर एक गोली चलाई तो दस जवाब मिलेंगे।
और नतीजा?
- कई अनुभवी आतंकी डर के मारे मौत की भीख मांगने लगे।
- उन्हें समझ में आ गया कि अब यह नया भारत है — जो न माफ करेगा, न छोड़ेगा।
युद्ध विराम का राज
जब चीन ने पाकिस्तान को उकसाया, तब अमेरिका और रूस ने दबाव बनाकर पाकिस्तान को युद्धविराम पर मजबूर किया — और वो भी भारत की शर्तों पर।
इस बार का युद्धविराम सामान्य नहीं था:
- इंडस जल संधि का कोई उल्लेख नहीं।
- आतंकवाद को सीधे युद्ध जैसा माना गया।
- किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं मानी गई।
- भारत अकेला खड़ा रहा — और मजबूत खड़ा रहा।
हम गाजा नहीं हैं — यह युद्ध भावुकता से नहीं लड़ा जाता
- लेकिन ध्यान रहे — पाकिस्तान गाजा नहीं है।
यह एक बड़ा देश है, आतंकियों से भरा हुआ, और परमाणु हथियारों से लैस। - इसलिए भारत की रणनीति अलग है:
हम आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाते,
लेकिन आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने वालों को छोड़ते नहीं। - युद्ध अगर आएगा, तो हम तैयार होंगे — और जीत सुनिश्चित होगी।
पाकिस्तान: झूठ में जीता देश, आतंक में डूबा समाज
- पाकिस्तान अभी भी मानता है कि उसने 1971 में युद्ध जीता।
वे आतंकियों को शहीद कहते हैं, और खुद को “जन्नत” की ओर जाते हुए समझते हैं।
झूठ के इस देश से तर्क की कोई उम्मीद मत रखो।
वे जॉम्बीज की तरह सोचते हैं — जो मरकर भी चलते रहते हैं, मगर इंसान नहीं होते।
अब वक्त है — एकजुट रहने का, सरकार पर भरोसा करने का
- आज का भारत न तो भावनाओं में बहता है, न ही डरता है।
आज का भारत सोच–समझकर, निर्णायक तरीके से वार करता है। - हमारे नेता जानते हैं कि क्या करना है।
और इस बार भारत ने सिर्फ हमले नहीं झेले — बल्कि दुश्मन को जड़ से हिलाकर रख दिया।
अब भारत की चुप्पी नहीं, दहाड़ गूंज रही है
- यह नया युग है।
अब आतंक का जवाब फाइलों और बयानों से नहीं, कार्रवाई से मिलेगा। - ट्रंप ने चेताया, भारत ने सुन लिया।
- और दुनिया ने देख लिया —
कि अब भारत को छेड़ोगे, तो उसकी चुप्पी नहीं, उसका प्रहार बोलता है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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