राष्ट्रवाद, विकास और सुरक्षा का संगम
आज का भारत ऐतिहासिक पुनर्जागरण के युग में प्रवेश कर चुका है। वर्षों से जिन मूल्यों—राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक गौरव, और सामाजिक न्याय—की उपेक्षा होती रही, वे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर आ चुके हैं।
देश का आम नागरिक, युवा वर्ग, बुद्धिजीवी, और यहां तक कि कुछ साहसी मुस्लिम मौलाना भी अब मोदी सरकार के राष्ट्रनिर्माण अभियान का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। यह एक समाज–मन और सोच में व्यापक बदलाव का संकेत है, जो यह दिखाता है कि विकसित भारत का सपना अब साकार होने की राह पर है।
विपक्षी खेमे में बेचैनी और सन्नाटा
मोदी सरकार की नीतियों से मिली अपार जनसमर्थन और प्रभावी क्रियान्वयन ने विपक्षी दलों को चौंका दिया है।
- अखिलेश यादव की जातिवादी राजनीति,
- अरविंद केजरीवाल का ढोंगी सेकुलरिज्म,
- ममता बनर्जी का तुष्टीकरण,
- ओवैसी की उकसावे वाली पहचान की राजनीति
- ये सब आज जनता से कटे हुए नजर आ रहे हैं।
इन सबकी नीतियाँ वोटबैंक पर टिकी थीं, जो अब हिन्दू जनजागरण और राष्ट्रहित की लहर में बह चुकी हैं।
वक्फ एक्ट पर प्रहार: वर्षों की संस्थागत असमानता का अंत
मोदी सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम की समीक्षा और नियंत्रण की दिशा में उठाए गए कदम ऐतिहासिक और साहसी निर्णय हैं।
- देशभर में वक्फ बोर्ड के नाम पर हजारों एकड़ जमीन पर कब्जे,
- आम नागरिकों और सरकारी संस्थाओं के अधिकारों का हनन,
- और एकतरफा कानूनी संरक्षण — यह सब अब समाप्ति की ओर है।
वक्फ लॉबी को झटका लगने से तुष्टिकरण की राजनीति की नींव ही हिल चुकी है, और यही कारण है कि इस पराजय के बाद विपक्षी खेमे में मातम का माहौल है।
सुरक्षा की नई रणनीति: नक्सलवाद, आतंकवाद, और वामपंथ पर निर्णायक वार
भारत की सुरक्षा व्यवस्था के सामने वर्षों से चार बड़े खतरे खड़े थे:
- जिहादी आतंकवाद
- नक्सलवादी उग्रवाद
- वामपंथी बौद्धिक हिंसा
- छद्म सेकुलर ताकतों की अंदरूनी साज़िश
इन चारों मोर्चों पर मोदी–योगी–शाह–डोवल की जोड़ी ने एक-एक करके प्रभावशाली, रणनीतिक और साहसी निर्णय लिए हैं।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण की बाढ़,
- जमीन पर कैंपों की स्थापना,
- जनसहयोग और पुनर्वास योजनाओं के साथ मुख्यधारा में वापसी — ये सभी मिलकर दर्शाते हैं कि अब नक्सलवाद एक विफल और पिछड़ी विचारधारा बनती जा रही है।
इसके अलावा, सरकार ने यह भी उजागर किया है कि कैसे नक्सली संगठन आदिवासी बच्चों को आतंकी गतिविधियों और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दे रहे थे।
- 9 से 15 साल की उम्र के बच्चों को बंदूक थमाना,
- झूठा क्रांतिकारी सपना दिखाकर जीवन बर्बाद करना — ये नक्सलियों की असलियत है, जिससे अब जनजातीय समुदाय स्वयं जागरूक होकर बाहर निकल रहा है।
डीप स्टेट और फंडिंग की कमर टूटी
कई वर्षों से देश में एक छिपा हुआ “डीप स्टेट” — विदेशी फंडिंग, NGO नेटवर्क, और छद्म बुद्धिजीवियों के समूहों के माध्यम से राष्ट्रविरोधी ताकतों को मज़बूती दे रहा था।
लेकिन अब,
शाहीन बाग़ जैसे धरनों की वापसी नहीं हो रही,
किसान आंदोलन जैसी योजनाबद्ध अस्थिरता बंद हो चुकी है,
और खालिस्तानी एजेंडा भी लगभग निष्क्रिय हो गया है।
इसका सीधा अर्थ है: सरकार ने फंडिंग स्रोतों को जड़ से समाप्त कर दिया है, जिससे ये ताकतें अब केवल शोर मचा सकती हैं, संगठित हमला नहीं कर सकतीं।
राष्ट्रवाद की सशक्त नीति और कठोर कदमों ने इन छिपे दुश्मनों की रीढ़ तोड़ दी है।
मोदी–योगी–शाह–डोवल: देश की सुरक्षा के चार स्तंभ
इन चारों नेताओं की साहसी निर्णय क्षमता, नीतिगत स्पष्टता और राष्ट्रभक्ति ने भारत को एक नई दिशा दी है।
- मोदी जी ने वैश्विक स्तर पर भारत की आवाज को मजबूत किया है।
- योगी जी ने आंतरिक प्रशासन को धर्मनिरपेक्ष लेकिन सांस्कृतिक संतुलन से सज्ज किया है।
- अमित शाह ने आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद पर सीधा वार किया है।
- डोवल जी ने गुप्तचर, रणनीति और कूटनीति को राष्ट्रहित में एकीकृत किया है।
भारत अब जाग चुका है, अब कोई इसे नहीं रोक सकता
- आज का भारत राष्ट्रवाद की नई परिभाषा लिख रहा है।
- यहां अब तुष्टीकरण नहीं, समान अधिकार की बात होती है।
- यहां अब झूठा सेकुलरिज़्म नहीं, सच्चा सामाजिक समरसता का प्रयास होता है।
- और यहां अब वोटबैंक नहीं, राष्ट्रहित सर्वोपरि है।
मोदी युग में भारत का हर नागरिक, हर युवा, हर जागरूक विचारक एक स्वर में कह रहा है—
“जय भारत! वन्दे मातरम्!”
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