भारत का उत्थान स्वतंत्रता के बाद आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्र में किए गए प्रयासों का परिणाम है, जिसने देश को निर्भरता से आत्मनिर्भरता और वैश्विक शक्ति बनने की राह पर अग्रसर किया।
भारत का उत्थान
I. 2014 से पहले का दौर: निर्भरता, भ्रष्टाचार और कमजोरी
- 2014 से पहले भारत की शासन व्यवस्था एक आयात–निर्भर सोच पर आधारित थी।
- कृषि और सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं को छोड़कर लगभग सब कुछ विदेशों से आयात होता था।
- लाइसेंस राज, भ्रष्टाचार और घोटाले ही इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग को नियंत्रित करते थे।
- राजनेता और अफसर जनता के पैसों को लूटकर आसान कमाई करते थे।
- आम आदमी को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ता था—धीमी विकास दर, बेरोज़गारी और वैश्विक सम्मान की कमी।
भारत को एक कमज़ोर राज्य माना जाता था—जो अमेरिकी प्रतिबंधों, पश्चिमी व्यापारिक दबावों और आयात-निर्भरता से बंधा हुआ था।
II. 2014 के बाद का परिवर्तन: आत्मनिर्भरता और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रथम
मोदी जी के नेतृत्व में 2014 से एक नई दिशा तय हुई:
- मेक इन इंडिया (2014): आयात पर निर्भरता घटाने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की शुरुआत।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर क्रांति: हाईवे, रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी— अभूतपूर्व गति से निर्माण।
- तकनीकी विकास: डिजिटल पेमेंट (UPI) से लेकर स्वदेशी रक्षा (अग्नि-V, आईएनएस विक्रांत) तक।
- पीएलआई स्कीम (2020 से आगे): 13+ सेक्टरों में ₹1.97 लाख करोड़ की प्रोत्साहन योजनाएँ।
- GST और आर्थिक सुधार: बाज़ार को एकीकृत किया, भ्रष्टाचार घटाया और पारदर्शिता बढ़ाई।
> पहली बार, जनता का पैसा घोटालों में नहीं गया, बल्कि राष्ट्र–निर्माण में लगा।
> यह केवल अर्थव्यवस्था नहीं थी—यह भारत की ढाल (armour) बनी।
III. अजीत डोभाल का सिद्धांत: संप्रभुता ही असली सुरक्षा
2014 की पहली ब्रीफिंग में NSA अजीत डोभाल ने साफ कहा:
“अगर भारत का उत्थान महाशक्ति के रूप में होना है, तो अमेरिका से टकराव झेलने को तैयार रहना होगा। हमारा असली दुश्मन चीन नहीं, बल्कि निर्भरता है।”
टैरिफ। प्रतिबंध। डॉलर का जाल। रक्षा सौदों की शर्तें।
यही था पश्चिम का हथियार।
समाधान?
- जोखिम से अलगाव।
- अपने बाज़ार को हथियार बनाना।
- समुद्रों पर नियंत्रण।
- नई साझेदारियाँ।
- कभी अमेरिका-विरोधी नहीं, पर हमेशा भारत–प्रथम।
11 वर्षों तक यही रणनीति भारत के उदय की रीढ़ बनी।
IV. 2014–2025: भारत की आर्थिक और सामरिक ढाल का निर्माण
ऊर्जा स्वतंत्रता
- क़तर LNG डील (2024): दीर्घकालिक गैस आपूर्ति सुनिश्चित।
- रूस से कच्चा तेल: अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद सस्ता तेल हासिल किया।
- रणनीतिक पेट्रोलियम रिज़र्व (2021): ऊर्जा सुरक्षा की गारंटी।
- खाड़ी देशों से साझेदारी: मोदी कूटनीति ने यूएई और सऊदी को भरोसेमंद भागीदार बनाया।
व्यापार और बाज़ार विविधीकरण
- यूएई CEPA (2022), ऑस्ट्रेलिया ECTA (2022): नए निर्यात बाज़ार खुले।
- अफ्रीका और लैटिन अमेरिका: पश्चिम से बाहर व्यापारिक गलियारे।
- चाबहार पोर्ट (2024): पाकिस्तान को दरकिनार कर मध्य एशिया और यूरोप तक पहुँच।
वित्तीय संप्रभुता
- UPI का वैश्वीकरण: सिंगापुर, यूएई, नेपाल से जुड़ाव।
- रुपया व्यापार गलियारे: डॉलर पर निर्भरता घटी।
- ब्रिक्स मुद्रा पहल: डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती।
रक्षा और सुरक्षा
- अग्नि-V MIRV (2024): परमाणु प्रतिरोधक क्षमता मजबूत।
- INS विक्रांत (2022): नौसैनिक स्वतंत्रता का प्रतीक।
- स्वदेशी लेज़र और मिसाइल तकनीक: विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम।
> नतीजा? जब अमेरिका ने टैरिफ लगाया, भारत नहीं टूटा।
> हमने आपूर्ति बदली, नए बाज़ार खोले और आत्मविश्वास से खड़े रहे।
V. मोदी कूटनीति: संकट से बचाव की बीमा पॉलिसी
मोदी जी की विदेश यात्राओं को अक्सर “फोटो-ऑप” कहकर मज़ाक उड़ाया गया, पर यही आज भारत की रणनीतिक ढाल हैं।
- व्यक्तिगत संबंधों से भारत को ऊर्जा, निवेश और बाज़ार मिले।
- जब ट्रंप ने टैरिफ लगाया, भारत ने वैकल्पिक स्रोत और नए निर्यात बाज़ार खोज निकाले।
- नतीजा: अमेरिका और नाटो हैरान रह गए कि भारत अब गिड़गिड़ाने वाला नहीं, शर्तें तय करने वाला देश है।
आज भारत अमेरिका, चीन और यूरोप की आँखों में आँखें डालकर बात कर सकता है।
VI. उपलब्धियाँ: आँकड़ों की गवाही (2013 बनाम 2025)
- GDP (Nominal): $1.86 ट्रिलियन → $4.19 ट्रिलियन (4वाँ सबसे बड़ा)।
- GDP (PPP): $7.4 ट्रिलियन → $17.65 ट्रिलियन।
- प्रति व्यक्ति आय (Nominal): ~$1,450 → ~$2,900।
- प्रति व्यक्ति आय (PPP): ~$5,000 → ~$11,900।
- FDI प्रवाह: $300B+ (2014–2025), $81B सिर्फ FY25 में।
- सेवा निर्यात: $387.5B (2025)।
- गरीबी: आधी हुई।
- विकास दर: 6–8% (सबसे तेज़ प्रमुख अर्थव्यवस्था)।
- देश दिवालिया स्थिति से एक वैश्विक शक्ति बन गया।
VII. चुनौतियाँ: नौकरशाही, न्यायपालिका और जनता की उदासीनता
इन उपलब्धियों के बावजूद:
- नौकरशाही और न्यायपालिका की रुकावटों ने सुधार धीमे किए।
- जनता ने राजनीतिक और जमीनी समर्थन उतना मज़बूत नहीं दिया।
- भारत का देश-विरोधी और हिन्दू विरोधी तंत्र हर विकास कार्य मैं रोड़े अटकाता है।
भारत तभी टॉप-3 महाशक्ति बन सकता है जब:
- जनता BJP को पूरा राजनीतिक बल दे।
- नागरिक विकास और राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भाग लें।
- नौकरशाही और न्यायपालिका सरकार का पूरा पूरा सहयोग करे।
VIII. असली खतरा: विपक्ष और वैश्विक शक्तियाँ
अगर विपक्ष का ठगबंधन सत्ता में आया तो:
- भारत फिर लौटेगा भ्रष्टाचार और घोटालों की ओर।
- विकास की जगह होगी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति।
- आतंकवाद और जिहादी घुसपैठ से सनातन धर्म खतरे में पड़ेगा।
- भारत भी पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसा गरीब और असफल राष्ट्र बन सकता है।
- अमेरिका और चीन जैसी शक्तियाँ पाकिस्तान और बांग्लादेश का इस्तेमाल करके भारत को कमजोर करना चाहेंगी।
वहीं कांग्रेस और वामपंथी ताकतों को समर्थन देकर मोदी सरकार को गिराने की कोशिश करेंगे।
IX. हिन्दू और राष्ट्रवादी एकता की पुकार
पिछला दशक अहंकार का नहीं बल्कि ढाल बनाने का था।
उच्च कर, कड़े सुधार और आलोचना का दर्द ही भारत के लिए अग्नि–परीक्षा था। आज भारत मज़बूत खड़ा है क्योंकि:
- हमने आत्मनिर्भरता बनाई।
- वैश्विक मित्रता का जाल बुना।
- आयात पर निर्भरता घटाई।
- पश्चिमी दबावों का डटकर सामना किया।
लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई।
- या तो हम इस राह पर आगे बढ़कर महाशक्ति भारत बनाएँगे—
या फिर भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की दलदल में वापस धँस जाएँगे। - चुनाव हमारा है—
> क्या हम बनेंगे विश्वगुरु भारतवर्ष?
> या फिर अपने ही गद्दारों और विदेशी ताक़तों से हार जाएँगे?
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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