यह यात्रा भारत के असली स्वतंत्रता संग्राम की है — जहाँ नेताजी के अदम्य साहस से लेकर मोदी युग के पुनर्जागरण तक, राष्ट्र निर्माण की सच्ची कहानी सामने आती है।
I. अतीत : भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सच्चाई
1. भूले हुए वीर और असली स्वतंत्रता आंदोलन
- आज़ादी की जो कहानी हमें दशकों तक बताई गई, वह अधूरी थी।
- इसमें अहिंसा का महिमामंडन किया गया, जबकि बलिदान, रक्त और क्रांति की आग को छिपा दिया गया।
- 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम से लेकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु, वीर सावरकर जैसे वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर अंग्रेज़ी साम्राज्य की नींव हिला दी थी।
- वीर सावरकर ने सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता का नारा दिया, और सेलुलर जेल में अमानवीय यातनाएँ सहकर भी भारत माता का गौरव बढ़ाया।
- लेकिन स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस शासन ने इन क्रांतिकारियों को इतिहास से मिटा दिया — केवल एक परिवार और एक विचारधारा को पूजनीय बना दिया गया।
2. नेताजी सुभाषचंद्र बोस – वास्तविक स्वतंत्रता के निर्माता
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अपने आजाद हिंद फौज (INA) के माध्यम से हथियारों के बल पर भारत को आज़ाद कराने का निश्चय किया।
- उनका नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” उस समय की सबसे प्रेरणादायक पुकार थी जिसने करोड़ों भारतीयों में आग जलाई।
- आज़ाद हिंद फौज के सैनिकों ने ब्रिटिश भारतीय सेना में विद्रोह की भावना जगाई, जिससे अंग्रेज़ों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
- ब्रिटिश दस्तावेज़ों में यह साफ़ है कि INA के विद्रोह और सेना में फैलती असंतोष ही ब्रिटिश के भारत छोड़ने का वास्तविक कारण थे।
- लेकिन कांग्रेस शासन ने इस सच्चाई को दबाकर, स्वतंत्रता को “अहिंसा” की जीत बताकर एक सच्चे क्रांतिकारी आंदोलन को झूठ की आड़ में दफना दिया।
3. सत्ता का विश्वासघात और गलत नेतृत्व का चयन
- स्वतंत्रता के बाद जब देश का नेतृत्व तय हो रहा था, तो सरदार पटेल को 14 प्रदेशीय समितियों का समर्थन मिला, जबकि नेहरू को शून्य।
- फिर भी गांधीजी ने धमकी दी कि अगर नेहरू को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया तो वे अनशन करेंगे, और पटेल को पीछे हटना पड़ा।
- यहीं से भारत की सबसे बड़ी त्रासदी शुरू हुई — सत्ता राष्ट्रवादियों के हाथों से निकलकर सत्ता–लोभी, तुष्टिकारी राजनीति के हाथों में चली गई।
- नेहरू–गांधी परिवार ने दशकों तक हिंदू समाज को दोषी ठहराया, मुस्लिम तुष्टीकरण को संस्थागत किया और राष्ट्र को कमजोर किया।
4. हिंदू राष्ट्र का खोया हुआ सपना
- अगर बोस या पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री बनते, तो भारत आज एक एकजुट, शक्तिशाली और गर्वित हिंदू राष्ट्र होता।
- परन्तु दशकों तक कांग्रेस शासन ने देश को गुमराह किया
- न विकास हुआ, न स्वाभिमान बचा, केवल गरीबी, भ्रष्टाचार और विभाजन बढ़ता गया।
- भारत, जो हजारों वर्षों से विश्वगुरु रहा था, उसे जानबूझकर कमजोर और आश्रित राष्ट्र बना दिया गया।
II. वर्तमान : मोदी युग में राष्ट्र का पुनर्जागरण
1. राष्ट्रवाद और नवनिर्माण का युग
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वास्तविक स्वतंत्रता का सफर शुरू किया है
- यह केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जन्म है।
- सेना को स्वतंत्रता, जनता को आत्मनिर्भरता, और विश्व को भारत की नई पहचान — यही मोदी युग की उपलब्धियाँ हैं।
- रक्षा नीति में सुधार, सीमा सुरक्षा का आधुनिकीकरण, और आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार
- ये सब दिखाते हैं कि भारत अब किसी से डरने वाला देश नहीं रहा।
- आज भारतीय सेना विश्व की सबसे अनुशासित और सशक्त सेनाओं में गिनी जाती है, जो हर युद्ध क्षेत्र में अपनी क्षमता का लोहा मनवा रही है।
2. भारतीय सेना की वैश्विक प्रतिष्ठा
- विकसित देशों ने भारतीय सेना की क्षमता, समर्पण और अनुशासन की खुलकर प्रशंसा की है।
- कई देशों ने तो कहा है कि काश उनकी सेनाएँ भी भारत जैसी प्रतिबद्ध और राष्ट्रनिष्ठ होतीं।
- कुछ देशों ने तो भारत से सैन्य परामर्श और प्रशिक्षण सहयोग भी मांगा है —
यह भारत के लिए गौरव और विश्व नेतृत्व का प्रमाण है।
3. राष्ट्रविरोधी ताकतों की साजिश
- जैसे-जैसे भारत मज़बूत हो रहा है, वैसे-वैसे अंदरूनी और बाहरी शत्रु सक्रिय हो रहे हैं।
- ये वही ताकतें हैं जो मोदी सरकार को गिराने और भारत की प्रगति रोकने के लिए झूठे नैरेटिव फैला रही हैं।
- सोशल मीडिया, NGOs, और विदेशी लॉबी — सभी एक ही एजेंडा चला रहे हैं:
भारत को फिर से भ्रष्टाचार, लूट और गुलामी के पुराने दौर में धकेलना। - ये लोग भारत को पाकिस्तान या बांग्लादेश जैसी विफल स्थिति में ले जाना चाहते हैं, ताकि विदेशी शक्तियाँ फिर से इस महान भूमि पर शासन करें।
4. मोदी युग की राष्ट्र निर्माण नीति
- मोदीजी की नीति राष्ट्रवाद, पारदर्शिता और विकास पर आधारित है।
- “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” केवल नारा नहीं, बल्कि भारत के पुनर्निर्माण की आत्मा है।
- आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्वच्छ भारत —
ये सब राष्ट्र को स्वावलंबी, सक्षम और गर्वित बना रहे हैं। - मोदीजी का लक्ष्य है — आर्थिक शक्ति के साथ सांस्कृतिक शक्ति का पुनर्जागरण,
जिससे भारत फिर से विश्वगुरु बने।
III. भविष्य : हर देशभक्त का कर्तव्य
1. राष्ट्रवादी सरकार का समर्थन — एक धर्म
- आज हर देशभक्त का कर्तव्य है कि वह इस राष्ट्रनिर्माण के अभियान में मोदी सरकार का पूर्ण समर्थन करे।
- यह केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि देशभक्ति का कर्तव्य है —
भारत की अखंडता, संस्कृति और स्वाभिमान की रक्षा करना। - हमें झूठे प्रोपेगैंडा और नकारात्मक नैरेटिव से बचना होगा, जो देश तोड़ने की साजिशें हैं।
2. एकता और सनातन संस्कृति की रक्षा
- भारत की शक्ति उसकी संस्कृति, धर्म और एकता में है।
- आज आवश्यकता है कि हम जाति, भाषा और प्रांत से ऊपर उठकर एक भारत – श्रेष्ठ भारत की भावना से जुड़ें।
- हमारे युवाओं को वास्तविक इतिहास सिखाया जाए
- नेताजी, सावरकर, पटेल, भगत सिंह जैसे वीरों की प्रेरक गाथाएँ, न कि मुसलमानों गुलामी का महिमामंडन।
3. भारत का भविष्य : विश्वगुरु बनने की राह
- मोदीजी के नेतृत्व में भारत आज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है —
वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर। - यह युग नेताजी और सरदार पटेल के अधूरे सपने का साकार रूप है।
- आने वाले वर्षों में भारत विश्व की शीर्ष तीन शक्तियों में शामिल होगा —
आर्थिक, सैन्य और सांस्कृतिक दृष्टि से। - अगर जनता जागरूक और संगठित रही, तो भारत फिर से विश्वगुरु बनकर उभरेगा।
🇮🇳 पुनर्जन्म लेता भारत
- पहली बार स्वतंत्रता के बाद, भारत ने सशक्त, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की राह पकड़ी है।
- वह भारत जो दशकों तक गुलामी, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार से जकड़ा था,
अब धर्म, राष्ट्रीयता और सत्य के मार्ग पर अग्रसर है। - हर सनातनी, हर देशभक्त का यह कर्तव्य है कि वह मोदीजी का साथ दे, झूठ का विरोध करे, और राष्ट्र निर्माण का भाग बने।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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