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भारत की आंतरिक सुरक्षा

भारत की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक एकजुटता: RSS की भूमिका

  • भारत की आंतरिक स्थिरता और सुरक्षा का सीधा संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उससे जुड़े संगठनों की वैचारिक एवं संगठनात्मक शक्ति से है।
  • आज जब विश्व हाइब्रिड युद्ध (Hybrid Warfare) के दौर से गुजर रहा है — जहाँ बाहरी आक्रमण के साथ-साथ आंतरिक विघटन, प्रचार और जनसंख्या-आधारित रणनीतियाँ भी चल रही हैं
  • तब संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एकजुटता भारत की संप्रभुता और सनातन सभ्यता की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाती है।

1️⃣ RSS और उसके घटकों की विरासत — अनुशासन और राष्ट्रीय जागरण का प्रतीक

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने की थी। इसका उद्देश्य था — विदेशी शासन और गुलामी से टूटे हुए भारत को फिर से आत्मविश्वासी, एकजुट और धर्मनिष्ठ बनाना।
  • RSS ने हमेशा हिंदू समाज को जाति, पंथ और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठाकर एकता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का भाव सिखाया है।

इसके प्रमुख संगठन हैं:

  • विश्व हिंदू परिषद (VHP): हिंदू संस्कृति के पुनरुत्थान, मंदिरों के पुनर्निर्माण और समाजिक समरसता का कार्य करती है।
  • बजरंग दल: युवाओं का संगठन, जो आत्मरक्षा, धर्मरक्षा और सेवा कार्यों में सक्रिय रहता है।
  • अखाड़ा परिषद: भारत की पारंपरिक सन्यासी और योद्धा परंपरा का प्रतिनिधित्व करती है, जो धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित है।

ये सभी संगठन केवल धार्मिक या सामाजिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक एकता के प्रहरी हैं। राजनीतिक स्तर पर BJP इन संगठनों की विचारधारा को नीति और शासन के रूप में मूर्त रूप देती है।

2️⃣ BJP की आंतरिक सुरक्षा नीति और RSS का योगदान

पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में BJP सरकार ने आतंकवाद, अलगाववाद और नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार किया है।

  • जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति ने न केवल संवैधानिक एकता को पुनर्स्थापित किया, बल्कि दशकों से जारी अलगाववादी राजनीति को भी समाप्त किया।
  • ऑपरेशन सिंदूर (2025) ने आतंकवादियों के ठिकानों पर निर्णायक कार्रवाई कर देश की आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ किया।
  • NIA, IB और RAW जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय ने आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित किया।
  • नक्सली और माओवादी गतिविधियों को कमजोर कर, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में शांति स्थापित की गई।

इन सरकारी प्रयासों को जनस्तर पर सफल बनाने में RSS और उसके घटकों ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई — जनजागरण, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक चेतना फैलाकर उन्होंने समाज को सुरक्षा बलों का सहयोगी बनाया।

3️⃣ सामाजिक और राजनीतिक एकता की अनिवार्यता

  • भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा केवल बाहरी शत्रु नहीं हैं, बल्कि आंतरिक विभाजन और वैचारिक विघटन हैं।
  • विदेशी फंडिंग, वोट बैंक राजनीति और धार्मिक तुष्टीकरण ने समाज में दरारें पैदा की हैं।
  • ऐसे समय में संघ परिवार और BJP की वैचारिक एकजुटता देश की सुरक्षा के लिए अनिवार्य हो जाती है।

RSS, VHP, बजरंग दल और अखाड़ा परिषद को निम्नलिखित दिशाओं में कार्य करना चाहिए:

  • समाज में राष्ट्रीय चेतना और एकता को बढ़ावा देना।
  • देशभक्ति और सनातन मूल्यों का प्रसार करना।
  • युवाओं में सेवा, अनुशासन और आत्मरक्षा का संस्कार जगाना।
  • समाज में धर्म और राष्ट्र के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

इन प्रयासों से भारत की सामाजिक एकता, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत होगा।

4️⃣ हिंदुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा — रणनीतिक दृष्टिकोण

RSS का हिंदुत्व दृष्टिकोण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक पूर्ण सभ्यतागत और राष्ट्रीय दर्शन है। यह भारत को एक जीवंत सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखता है, जहाँ धर्म, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति तीनों एक सूत्र में बंधे हैं।

  • भारतीय सुरक्षा नीतियों में RSS के इस दृष्टिकोण ने गहरी छाप छोड़ी है।
  • भारतीय सेना और सुरक्षा बलों में सांस्कृतिक पुनर्जागरण ने सैनिकों को नई प्रेरणा दी है।
  • भगवद गीता, चाणक्य नीति और क्षत्रिय धर्म के सिद्धांतों से सैनिकों को नैतिक शक्ति मिलती है।
  • इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरण ने भारतीय सेना को केवल सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि धार्मिक और नैतिक बल भी प्रदान किया है।
  • यह “भगवाकरण” (Saffronisation) नहीं, बल्कि भारत की कर्म, धर्म और शौर्य परंपरा का पुनर्जागरण है।

5️⃣ आर्थिक और भू-राजनीतिक चुनौतियाँ

  • 2025 में जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, तो यह भारत की आर्थिक स्वायत्तता की परीक्षा थी।
  • लेकिन भारत ने दृढ़ नेतृत्व के तहत ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार विविधीकरण और स्वदेशी उत्पादन के बल पर इन चुनौतियों का सामना किया।
  • RSS के स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने लंबे समय से आर्थिक राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भर भारत की नीति को बढ़ावा दिया है।
  • इससे भारत ने विदेशी दबावों से मुक्त रहकर अपनी आर्थिक स्वतंत्रता और नीति स्वायत्तता बनाए रखी।

6️⃣ आत्मरक्षा और राष्ट्र सुरक्षा — संगठनात्मक तैयारी

राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। RSS की आत्मरक्षा की अवधारणा केवल हथियार चलाना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, बौद्धिक और सामाजिक सुरक्षा की भावना को भी शामिल करती है। संघ परिवार को चाहिए कि वह:

  • युवाओं को आपदा प्रबंधन, आत्मरक्षा, साइबर सुरक्षा और जनजागरण प्रशिक्षण दे।
  • शाखाओं और सेवा केंद्रों के माध्यम से सामाजिक अनुशासन और सेवा का संस्कार फैलाए।
  • सूचना युद्ध (Information Warfare) और भ्रामक प्रचार से लड़ने के लिए जागरूकता फैलाए।
  • नागरिकों में यह भावना विकसित करे कि हर देशभक्त स्वयं धर्म और राष्ट्र का प्रहरी है।

जब नागरिक धर्म और देश की रक्षा को अपना व्यक्तिगत दायित्व मानने लगेंगे, तब भारत को कोई शक्ति कमजोर नहीं कर सकेगी।

7️⃣ एकता ही सुरक्षा की कुंजी

  • आज भारत पर एक साथ बाहरी हमलों और आंतरिक षड्यंत्रों का खतरा मंडरा रहा है। इस दौर में राजनीतिक नेतृत्व और सांस्कृतिक संगठन दोनों का समन्वय ही देश की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
  • RSS, VHP, बजरंग दल, अखाड़ा परिषद और अन्य घटकों को BJP की नीतियों और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन देना चाहिए।
  • इन संगठनों और देशभक्त नागरिकों की एकजुट भागीदारी ही भारत की संप्रभुता, सांस्कृतिक एकता और सुरक्षा की सबसे मजबूत नींव है।
  • भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी दृढ़ता से अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए संगठित रहते हैं।
  • भारत केवल तभी सुरक्षित और समृद्ध रहेगा, जब सनातन धर्म के अनुयायी एकजुट होकर “धर्मो रक्षति रक्षितः” के सिद्धांत को अपने जीवन का आधार बनाएँ।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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