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आज़ादी के बाद की लूट

भारत की आज़ादी के बाद की लूट और सौ परिवारों का साम्राज्य

भारत की आज़ादी के बाद की लूट

भारत की आज़ादी के बाद की लूट सिर्फ विदेशी शासन से मुक्ति की कहानी नहीं, बल्कि सत्ता और संपत्ति पर कुछ परिवारों के बढ़ते प्रभुत्व की गाथा भी है। जानिए कैसे आज़ादी के बाद देश में नए साम्राज्य की नींव रखी गई।

1. अधूरी स्वतंत्रता — 1947 से अब तक

  • भारत को 1947 में अंग्रेज़ों से राजनीतिक स्वतंत्रता मिली, लेकिन असली आज़ादी अधूरी रह गई। अंग्रेज़ों के जाने के बाद सत्ता जनता के पास नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा परिवारों के हाथ में सिमट गई।
  • स्वतंत्रता का सपना था कि हर नागरिक समान अवसर पाएगा, परंतु लोकतंत्र वंशवाद और परिवारवाद में बंध गया।
  • पिछले 75 वर्षों में जो होना चाहिए था — न्याय, विकास, समान अवसर — उसकी जगह जनता को मिला झूठा इतिहास, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार।

👉 सच यही है कि भारत आज भी गुलाम है — पहले अंग्रेज़ों का, और अब इन सौ परिवारों का।

2. शिक्षा और इतिहास पर हमला

इन परिवारों ने सबसे पहला हमला शिक्षा और इतिहास पर किया।

  • इतिहास तोड़ामरोड़ा गया : राजपूतों, मराठों, सिख गुरुओं जैसे महान योद्धाओं को हाशिये पर डाल दिया गया। अकबर को “महान” बना दिया गया, और औरंगज़ेब जैसे हत्यारों को पाठ्यपुस्तकों में नायक की तरह दिखाया गया।
  • स्वतंत्रता संग्राम को विकृत किया गया : असली नायक जैसे सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, वीर सावरकर को दरकिनार किया गया और पूरा श्रेय केवल नेहरू-गांधी परिवार को दिया गया।
  • धर्मनिरपेक्षता का धोखा : पाँचों पहले शिक्षा मंत्री मुसलमान थे। उन्होंने गीता, वेद, उपनिषद जैसे शास्त्रों को स्कूल-कॉलेज से हटाया। वहीं इस्लाम और ईसाई मत के अध्ययन पर कोई रोक नहीं थी।

👉 नतीजा यह हुआ कि आज की पीढ़ी अपनी जड़ों से कट गई है और अपने ही धर्म और संस्कृति से शर्म महसूस करने लगी है।

3. सौ परिवारों का साम्राज्य

भारत की राजनीति का असली सच यह है कि सिर्फ़ 100 परिवारों ने पूरे देश को बंधक बना रखा है।

  • दिल्ली : एक ही परिवार जो बिना मेहनत और व्यापार के अरबों-खरबों का मालिक बन गया।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना : दो परिवार जिन्होंने किसानों का खून चूसकर महल खड़े किए।
  • तमिलनाडु : एक परिवार जिसने वंशवाद को धर्म बना दिया और मिशनरी एजेंडे से सनातन पर हमला शुरू किया।
  • असम : एक परिवार जिसने बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाकर असम की पहचान मिटा दी।
  • बिहार : एक परिवार जिसने जंगलराज को संस्कृति बना दिया।
  • उत्तर प्रदेश : दो परिवार जिन्होंने जाति और धर्म के ज़हर से सत्ता चलाई और विदेशों में बंगलों-फार्महाउस खरीदे।
  • अन्य राज्य : पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, कश्मीर, गोवा, छत्तीसगढ़ — हर जगह 2-2 परिवार जो जनता की मेहनत की कमाई से ऐश कर रहे हैं।

👉 जनता पिस रही है, और ये परिवार सत्ता को पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी जागीर मानकर मज़े लूट रहे हैं।

4. घोटालों का इतिहास

भारत के इतिहास के सबसे बड़े घोटाले इन्हीं परिवारों की देन हैं।

  • 2G स्पेक्ट्रम घोटाला : ₹1.76 लाख करोड़
  • कोयला घोटाला : ₹1.86 लाख करोड़
  • कॉमनवेल्थ घोटाला : ₹70,000 करोड़
  • चारा घोटाला, बोफोर्स, हवाला, स्टांप पेपर, बेनामी संपत्ति, शराब और नशे का कारोबार

👉 चीन में भ्रष्ट मंत्री को फांसी दी जाती है, जबकि भारत में भ्रष्ट नेता को Z+ सुरक्षा और मीडिया में महिमा मंडन मिलता है।

5. जाति और धर्म की राजनीति

इन सौ परिवारों का सबसे बड़ा हथियार है — हिंदुओं को बांट देना।

  • जाति के आधार पर ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, कुर्मी, दलित — सबको आपस में लड़वा दिया गया।
  • मुसलमानों को एकजुट वोटबैंक बनाकर सत्ता को बचाया गया।
  • चुनाव में मुफ्त स्कीमें बांटी गईं — स्कूटी, लैपटॉप, पेंशन, नकद पैसे।
  • लेकिन सत्ता में आकर अरबों की संपत्ति विदेशों में अपने खातों में जमा की गई।

6. अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और घुसपैठ

  • असम : बांग्लादेशियों को बसाकर हिंदुओं को अल्पसंख्यक बना दिया गया।
  • कश्मीर : धारा 370 के नाम पर दशकों तक आतंकवाद को पाला गया।
  • पश्चिम बंगाल और केरल : रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर कार्ड देकर सत्ता पक्की की गई।
  • पूरे भारत में : मिशनरियों को खुली छूट दी गई ताकि गरीब हिंदुओं को लालच और झूठे चमत्कार दिखाकर धर्मांतरण कराया जा सके।

👉 नतीजा यह हुआ कि अपने वोट-बैंक को मजबूत करने के लिए भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन (demographic balance) को तोड़ा गया और हिंदू अपनी ही धरती पर अल्पसंख्यक बनने की ओर धकेले जा रहे हैं।

7. भारत गरीब नहीं, भारत को लूटा गया है

  • भारत के पास सबकुछ है —
  • 50% से अधिक युवा शक्ति
  • असीमित प्राकृतिक संसाधन
  • कृषि योग्य भूमि
  • उद्योग और व्यापार की क्षमता

फिर भी भारत आज कर्ज़ में डूबा क्यों है?

👉 क्योंकि पिछले 75 साल में इन सौ परिवारों ने जनता की मेहनत का पैसा अपने फार्महाउस, हवेलियों, स्विस बैंकों और विदेशी बंगलों में डाल दिया।

मुग़ल और अंग्रेज़ मिलकर भी उतना नहीं लूट पाए, जितना इन परिवारों ने लोकतंत्र की आड़ में लूट लिया।

8. समाधान — क्या किया जाना चाहिए?

  • शिक्षा सुधार — बच्चों को असली इतिहास पढ़ाया जाए।
  • वंशवाद पर रोक — एक परिवार से सिर्फ़ एक व्यक्ति राजनीति में हो।
  • संपत्ति का खुलासा — हर नेता अपनी और अपने परिवार की संपत्ति सार्वजनिक करे और उसको अजित करने का हिसाब किताब दे।
  • स्वतंत्र लोकपाल और जांच एजेंसियाँ — ताकि कोई भी नेता कानून से ऊपर न रहे।
  • जनता की जागरूकता — जाति-धर्म से ऊपर उठकर केवल राष्ट्रवाद पर वोट देना होगा।

9. दूसरी आज़ादी की ज़रूरत

  • पहली आज़ादी अंग्रेज़ों से मिली।
  • दूसरी आज़ादी इन सौ परिवारों और उनके भ्रष्ट वंशवाद से लेनी होगी।

👉 जब तक राष्ट्रवाद नहीं आएगा, तब तक भारत का उद्धार नहीं होगा।

  • भारत आज गरीब नहीं है, भारत लुटा हुआ है।
  • केंद्रीय कांग्रेस सरकार की परिवारवाद आधारित राजनीति, लूट, घोटाले और मुस्लिम तुष्टिकरण का मॉडल सभी राज्यों ने अपनाया।
  • अगर इन सौ परिवारों की जड़ें काट दी जाएँ, तो भारत फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है।
  • यह सिर्फ़ राजनीतिक संघर्ष नहीं, यह दूसरा स्वतंत्रता संग्राम है।

जबतक ये परिवार सत्ता मैं रहेंगे भारत के विकास की राह मैं रोड़े अटकाते रहेंगे।

भारत की आज़ादी के बाद की लूट और सौ परिवारों का साम्राज्य दिखाता है कि स्वतंत्रता के बावजूद कुछ परिवारों ने सत्ता और संपत्ति पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली, जो आज भी देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर असर डालती है।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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