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भारत की आक्रामक विदेश नीति

भारत की आक्रामक विदेश नीति: सऊदी अरब से लेकर पश्चिम तक

लंबे समय तक भारत को एक “संतुलन साधने वाली शक्ति” के रूप में देखा जाता था, जो टकराव से बचती थी और बड़ी शक्तियों के आगे झुकने पर मजबूर रहती थी। लेकिन अब यह तस्वीर बदल चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक आत्मविश्वासी, आक्रामक और स्पष्ट विदेश नीति अपनाई है—जहाँ राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।

यह नया भारत दो मोर्चों पर सबसे स्पष्ट दिखा:

  • सऊदी अरब के खिलाफ भारत की सख्त प्रतिक्रिया।
  • अमेरिका, नाटो और यूरोपीय शक्तियों पर चल रहा आर्थिक दबाव और टैरिफ युद्ध

1. सऊदी अरब प्रकरण: खाड़ी में भूचाल

खबरों के अनुसार भारत ने सऊदी अरब से आए 300 पेट्रोलियम ट्रकों को रोककर वापस लौटा दिया।

  • यह कदम तब उठाया गया जब सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौते का संकेत दिया और यह बयान दिया कि पाकिस्तान पर हमला, सऊदी पर हमला माना जाएगा।
  • सऊदी की भूल: उन्हें लगा भारत चुप रहेगा क्योंकि वह ऊर्जा आयात पर निर्भर है। लेकिन उन्होंने मोदी के नेतृत्व वाले भारत को गलत समझा।भारत की प्रतिक्रिया
  • भारत ने तत्काल ट्रक लौटा दिए और संदेश दिया कि तेल पर निर्भरता को दबाव का हथियार नहीं बनाया जा सकता।
  • भारत ने यह चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा रवैया जारी रहा तो भारत खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं का निर्यात भी रोक देगा, जिन पर सऊदी बहुत अधिक निर्भर है।

नतीजा तुरंत सामने आया—सऊदी की अर्थव्यवस्था में हलचल मच गई और प्रिंस ने सीधे मोदी सरकार से संपर्क साधा।

संदेश स्पष्ट

  • यूरोप और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी सऊदी से ऐसे सख्त कदम उठाने से पहले सौ बार सोचते हैं।
  • भारत ने दिखा दिया कि उसके लिए सार्वभौमिक हित सर्वोपरि है।
  • सऊदी प्रिंस ने आश्वासन दिया कि भारत के साथ संबंध पहले जैसे बने रहेंगे और पाकिस्तान वाली डील भारत-विरोधी नहीं होगी।

2. पश्चिम पर भारत का आर्थिक प्रहार: टैरिफ युद्ध

इसी समय, भारत पश्चिमी देशों के साथ आर्थिक संघर्ष भी लड़ रहा है।

टैरिफ और शुल्क

  • भारत ने कई क्षेत्रों—इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स और कृषि आयात पर शुल्क बढ़ाए।
  • यह कदम सीधे-सीधे पश्चिमी देशों की अनुचित व्यापार नीतियों और दोहरे मानदंडों का जवाब था।

निर्यात नियंत्रण

भारत ने कई महत्वपूर्ण वस्तुओं के निर्यात को भी नियंत्रित किया, जैसे—

  • कृषि उत्पाद (चावल, गेहूँ, चीनी) – जब वैश्विक कमी थी।
  • फार्मा प्रोडक्ट्स और जेनेरिक दवाइयाँ – जिन पर अमेरिका और यूरोप काफी निर्भर हैं।
  • महत्वपूर्ण खनिज और कच्चा माल – सेमीकंडक्टर और रक्षा उद्योग के लिए ज़रूरी।

रणनीतिक बढ़त

अब भारत के पास शक्ति और विकल्प दोनों हैं:

  • $4 ट्रिलियन से बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में केंद्रीय भूमिका।
  • रूस, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे विकल्पी साझेदार।

3. यह आक्रामकता क्यों महत्वपूर्ण है

रणनीतिक स्वायत्तता

भारत किसी भी गुट का उपग्रह नहीं है—न अमेरिका का, न रूस का और न ही किसी और का।

आधुनिक हथियार: आर्थिक नीति

  • आज भारत हथियारों से नहीं बल्कि आर्थिक उपायों से जवाब देता है।
  • टैरिफ, निर्यात नियंत्रण और शुल्क—ये तुरंत असर डालते हैं और पलटने योग्य भी हैं।

घरेलू राजनीति में लाभ

  • यह सख्त छवि भारत की जनता में राष्ट्रीय गर्व जगाती है।
  • लोग महसूस करते हैं कि भारत अब झुकता नहीं, बल्कि शर्तें तय करता है।

4. अमेरिका, नाटो और यूरोप पर असर

अब दबाव नहीं चलेगा

पश्चिम को अब एक नए भारत से डील करना पड़ रहा है—जो चुप नहीं बैठता, बल्कि पलटकर वार करता है।

टैरिफ युद्ध = कूटनीति

अमेरिका और यूरोप जब भारत पर व्यापारिक दबाव डालते हैं, भारत सीधे शुल्क और निर्यात नियंत्रण का हथियार चलाता है।

नए समीकरण

  • पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को अब भारत से बराबरी के आधार पर बातचीत करनी होगी।
  • पुराने जमाने की तरह दबाव डालना अब संभव नहीं।

5. खतरे और ज़िम्मेदारियाँ

हालांकि यह नीति मज़बूत है, फिर भी सावधानी जरूरी है:

  • अत्यधिक प्रयोग का खतरा – अगर बार-बार ऐसा किया जाए तो सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।
  • संतुलन – हर कदम को अनुपातिक और समझदारी से लेना होगा।
  • बहुपक्षीय मंच – WTO, BRICS, G20 जैसे मंचों का इस्तेमाल कर भारत को अपने कदमों को वैध ठहराना होगा।

6. वैश्विक संदेश

  • भारत अब नरम राज्य नहीं रहा। चाहे सऊदी हो या अमेरिका—भारत अब खुलेआम अपने हितों की रक्षा करता है।
  • आर्थिक नीति अब नया हथियार है। व्यापार और निर्यात अब सिर्फ वाणिज्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता की ढाल हैं।
  • दुनिया को समायोजित होना पड़ेगा। अमेरिका, नाटो, यूरोप और खाड़ी देश अब भारत से पुरानी तरह व्यवहार नहीं कर सकते।

सऊदी अरब प्रकरण और पश्चिम के साथ चल रहे आर्थिक संघर्ष से साफ है:

➡️ मोदी का भारत आत्मविश्वासी और दृढ़ है।
➡️ आर्थिक हथियार अब संप्रभुता की रक्षा का पहला साधन हैं।
➡️ झुकने वाला भारत बीते जमाने की बात हो चुका है।

आज का भारत न केवल अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक समीकरण भी बदल रहा है।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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