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फ़र्ज़ी डॉक्टर्स

भारत की खतरनाक साइलेंट महामारी: फ़र्ज़ी डॉक्टर्स का जाल

एक सच्चाई जिसे समझना अब जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन चुका है

🔵 1. कश्मीर जहाँ डिग्रीनहीं, “परंपराचलती है

  • कभी कश्मीर जाएँ — सुंदर वादियों के बीच आपको हर गली में मेडिकल स्टोरों के अंदर एक केबिन में “MBBS डॉक्टर” बैठे मिल जाएंगे।
  • लेकिन असली प्रश्न है — क्या ये डॉक्टर वास्तव में डॉक्टर हैं?
  • कई डॉक्टर विदेशों से डिग्री लेकर आए हैं, पर भारत की मान्यता परीक्षा (FMGE/NMC Screening Test) कभी पास नहीं की।
  • कई क्लिनिक ऐसे हैं जहाँ प्रैक्टिस करने वाले व्यक्तियों के पास भारत में चिकित्सा के लिए आवश्यक लाइसेंस ही नहीं है
  • कश्मीर के कई हिस्सों में प्रशासनिक निगरानी इतनी ढीली है कि कोई भी बिना जांच-पड़ताल प्रैक्टिस कर सकता है।

कश्मीर में यह ट्रेंड लगभग “अघोषित संस्कृति” बन चुका है — हलाल डिग्री लेकर लौटो और क्लिनिक खोल लो।

🔵 2. विदेशी मेडिकल कॉलेज — ‘डिग्री फैक्ट्रीबन चुके हैं

हजारों भारतीय छात्र हर साल ऐसे विदेशी देशों में जाते हैं जहाँ MBBS सीटें पैसों में मिल जाती हैं:

  • बांग्लादेश
  • चीन
  • यूक्रेन
  • रूस
  • रोमानिया
  • बुल्गारिया
  • कजाकिस्तान
  • किर्गिस्तान
  • उज़्बेकिस्तान
  • माल्दोवा

इन कॉलेजों की वास्तविकता:

  • प्रवेश  आसान, सिर्फ फीस और एजेंट चाहिए
  • पढ़ाई स्थानीय भाषा में, जो छात्र समझ भी नहीं पाते
  • इंटर्नशिप कमजोर, क्लीनिकल एक्सपोज़र अधूरा
  • डिग्री तो मिलती है, पर कौशल अक्सर औसत से भी नीचे
  • भारत लौटने पर — Screening Test = लगभग 80–90% छात्र फेल
  • फिर भी — कई लोग बिना टेस्ट पास किए भारत में प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं।

यही सबसे बड़ा खतरा है।

🔵 3. भारत का मेडिकल माफ़िया जहाँ मरीज कमाई का साधनबन जाता है

जहाँ नियमन कमजोर है, वहाँ शोषण मजबूत होता है।

असलियत यह है:

  • बी-ग्रेड शहरों में बिना लाइसेंस के नर्सिंग होम चल रहे हैं
  • ICU में बेतहाशा बिल बढ़ाया जाता है
  • गलत दवाइयाँ, गलत डायग्नोसिस
  • 10 दिन का ICU बिल बनाकर मरीज को रेफर कर देना
  • पुलिस, प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग ज़्यादातर मामलों में उदासीन
  • मरीज और उसके परिजन डॉक्टर की डिग्री चेक करना भूल जाते हैं

भारत में असल समस्या यह है कि इंसानी जान बहुत सस्ती है

  • जिस देश में अस्पताल “धंधा” और डॉक्टर “कंपनी एक्सीक्यूटिव” की तरह काम करें, वहाँ मेडिकल नेग्लिजेंस का बढ़ना स्वाभाविक है।

🔵 4. सामाजिक दबाव — ‘किसी भी कीमत पर डॉक्टर बनना हैमानसिकता

भारत में मेडिकल शिक्षा का एक काला पहलू है — लोग डॉक्टर बनना चाहते हैं, डॉक्टर बनना नहीं सीखना चाहते।

हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत में यह कहावत प्रसिद्ध हो चुकी है:

  • “दो किल्ले बेचकर बेटी को यूक्रेन भेज देंगे, और पाँच किल्ले बेचकर उसका नर्सिंग होम खुलवा देंगे।”

यह मानसिकता:

  • छात्रों को शॉर्टकट की ओर धकेलती है
  • एजेंटों को एक उद्योग बना देती है
  • विदेशी कॉलेजों को ‘डिग्री बेचने’ वाला बाजार बना देती है
  • और अंत में भारत में अनक्वालिफाइड डॉक्टर पैदा करती है

NEET में सफल न होने पर लोग दूसरा रास्ता चुन लेते हैं — एक ऐसा रास्ता जहाँ डिग्री मिलती है, पर कौशल नहीं

🔵 5. भाषा का संकट डॉक्टर मेडिसिन कम, भाषा ज्यादा पढ़कर आते हैं

रूस, यूक्रेन, रोमानिया और कई देशों में मेडिकल शिक्षा अंग्रेजी में नहीं, स्थानीय भाषा में पढ़ाई जाती है।

  • पहले साल सिर्फ भाषा सीखना
  • बाकी 5–6 वर्षों में मेडिसिन उसी भाषा में
  • भारत लौटकर परीक्षा देना लगभग असंभव
  • बहुत कम लोग FMGE/NMC Exam पास कर पाते हैं

यह उसी तरह है जैसे:

  • “आप पायलट बनने जाएं, लेकिन ट्रेनिंग आपकी दूसरी भाषा में हो — और फिर विमान उड़ाने आ जाएँ बिना असली योग्यता के।”

🔵 6. प्रशासनिक ढिलाई लाइसेंस की जाँच कौन करेगा?

भारत की समस्या कानून की कमी नहीं — लागू करने की कमी है।

  • हर क्लिनिक में लाइसेंस चेक होना चाहिए
  • पर कोई नहीं करता
  • मरीज भी नहीं पूछते
  • अधिकारियों के पास भी समय नहीं
  • और कई जगह… भय या उदासीनता दोनों ही कारण हैं

कश्मीर जैसे क्षेत्रों में तो प्रशासनिक निगरानी लगभग नदारद मानी जाती है।

🔵 7. सबसे बड़ा खतरा आपकी और आपके परिवार की जान

सोचिए:

  • इलाज करने वाला डॉक्टर
  • जिसने न भारत की परीक्षा दी
  • न लाइसेंस लिया
  • न क्लीनिकल स्किल्स सीखी
  • केवल “डिग्री” लेकर क्लिनिक खोलकर बैठ गया

ऐसे डॉक्टर के हाथ में अपनी जान देना — जोखिम नहीं, जुआ है।

🔵 8. क्या समाधान हैं?

अनिवार्य लाइसेंस वेरिफिकेशन

  • हर क्लिनिक में बड़े बोर्ड पर लाइसेंस नंबर अनिवार्य।

विदेशी मेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग

  • NMC को हर कॉलेज A–D ग्रेड में वर्गीकृत करना चाहिए।

Screening Test की सख्ती बढ़े

  • कोई भी व्यक्ति परीक्षा पास किए बिना प्रैक्टिस न करे।

मेडिकल माफ़िया पर कार्रवाई

  • राज्यों को संयुक्त टास्क फ़ोर्स बनानी चाहिए।

जनता को जागरूक करना

मरीज को भी अधिकार है: “इलाज से पहले डॉक्टर की डिग्री और लाइसेंस देखना।”

🔵 9. अब निर्णय आपका है

21वीं सदी में यह आपका नया नागरिक कर्तव्य है:

  • डॉक्टर की डिग्री पूछें
  • लाइसेंस चेक करें
  • गैर-लाइसेंसी क्लिनिक की सूचना दें
  • खुद को और परिवार को सुरक्षित रखें

बीमारी आपकी है।पैसा आपका है। लेकिन डॉक्टर कहां से पढ़कर आया है यह जानना अब आपकी जिम्मेदारी है।

  • भारत को मेडिकल माफ़िया से बचाने का समय अब है — “अभी नहीं तो कभी नहीं।”

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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