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जागृत अल्पसंख्यक बनाम सोई हुई बहुसंख्यक

भारत के लिए सबसे बड़ी त्रासदी: जागृत अल्पसंख्यक बनाम सोई हुई बहुसंख्यक

जागृत अल्पसंख्यक बनाम सोई हुई बहुसंख्यक

🔥 प्रस्तावना: एक राष्ट्र जो चुपचाप घेरे में है

भारत, जो सनातन धर्म की पावन भूमि है, जहाँ ऋषियों, मुनियों और देवताओं की परंपरा ने मानवता को दिशा दी —
वही भारत आज बम और बंदूकों से नहीं, बल्कि अंदर से एक गुप्त, क्रूर और संगठित विचारधारा द्वारा खोखला किया जा रहा है।
इस विचारधारा का एकमात्र उद्देश्य है — हिंदू पहचान, संस्कृति और राष्ट्रवाद को समाप्त करना।
यह टकराव अब हथियारों का नहीं, बल्कि जागरूक अल्पसंख्यक और सोई हुई बहुसंख्यक मानसिकता के बीच का संघर्ष बन चुका है।

और सबसे बड़ा दुर्भाग्य?

  • जो हमला कर रहे हैं — वे जागे हुए, संगठित और सक्रिय हैं।
  • और जो बचाव में होने चाहिए — वे सोए हुए, बंटे हुए और उदासीन हैं।

⚔️ I. जिहादी इकोसिस्टम: वैश्विक नेटवर्क, स्थानीय स्तर पर सक्रिय

यह कोई संयोग नहीं। ये घटनाएं किसी एक दिन की उपज नहीं हैं — यह एक बहुस्तरीय वैचारिक और जनसांख्यिकीय जिहाद है:

💣 A. जिहाद के कई रूप:

लव जिहाद – सुनियोजित तरीके से हिंदू लड़कियों को फंसाना, धर्मांतरण कराना, और बाद में उनका शोषण।

  • लैंड जिहाद – अवैध मस्जिद निर्माण, मंदिरों और सरकारी ज़मीनों पर कब्जा।
  • आर्थिक जिहाद – हिंदू दुकानों का बहिष्कार, व्यवसायों पर कब्जा और उससे प्राप्त धन को कट्टरपंथी एजेंडे में लगाना।
  • जनसंख्या जिहाद – जानबूझकर परिवार नियोजन से इनकार, जनसंख्या विस्फोट और सामरिक बस्तियाँ।
  • शिक्षा जिहाद – छात्रवृत्तियों का दुरुपयोग, मदरसों में कट्टरता, और सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए आरक्षण का प्रयोग।
  • और सबसे ख़तरनाक जिहाद राष्ट्रविरोध है, जिसमें पूरा देशविरोधी और हिंदूविरोधी तंत्र और विपक्षी पार्टियाँ—एकजुट होकर भारत के इस्लामीकरण में उनका साथ दे रहे हैं।

➡️ ये सब स्वाभाविक सामाजिक घटनाएँ नहीं हैं — ये रणनीतिक षड्यंत्र हैं।

🧠 II. वैचारिक फौज: आतंकवादियों से आगे शिक्षक, व्यापारी और इन्फ्लुएंसर

  • कट्टर मौलवी खुलेआम शरीयत की श्रेष्ठता और हिंदू विरोधी विचार फैलाते हैं।
  • सोशल मीडिया पर इस्लामी इन्फ्लुएंसर हिंदू त्योहारों, ग्रंथों और नेताओं का मज़ाक उड़ाते हैं।
  • व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स से हजारों मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश किया जा रहा है।
  • मुस्लिम वोटबैंक को यह सिखाया जाता है — विचारधारा के लिए वोट दो, न कि नीति के लिए।

➡️ उन्हें पता है कि उन्हें क्या चाहिए। हिंदुओं को यह भी नहीं पता कि उनसे क्या छीना जा रहा है।

🏴‍☠️ III. राजनीतिक अवसरवाद: हिंदू वोट, लेकिन हिंदू विरोधी नीतियाँ

कांग्रेस, AAP, TMC, DMK, RJD, SP जैसी पार्टियाँ:

  • अवैध घुसपैठियों और कट्टर मौलवियों को संरक्षण देती हैं।
  • CAA, NRC, UCC जैसे कानूनों का विरोध करती हैं।
  • रामायण, गीता, शिवाजी और सावरकर का अपमान करती हैं, लेकिन औरंगजेब और जिन्ना का महिमामंडन।
  • सर तन से जुदा” जैसे नारे को धर्मनिरपेक्षता का हिस्सा बताती हैं।

➡️ ये पार्टियाँ वोट के लिए देश को बेचने को तैयार हैं। और हिंदू आज भी इन्हें वोट देते हैं।

🧎‍♂️ IV. हिंदू समाज: इतिहास में समृद्ध, पर चेतना में दरिद्र

  • 100 करोड़ से अधिक हिंदू, लेकिन व्यवहार ऐसा जैसे कोई अल्पसंख्यक हो।
  • मंदिर जाना मुश्किल, लेकिन मॉल और Netflix के लिए समय है।
  • गीता नहीं पढ़ते, लेकिन राशिफल ऐप और विदेशी ज्योतिष में विश्वास रखते हैं।
  • जाति पर गर्व, लेकिन ‘हिंदू’ कहने में शर्म।
  • सेक्युलरिज़्म के नाम पर खुद के धर्म और देवीदेवताओं का अपमान सहते हैं।

➡️ भारत मुसलमानों से नहीं, हिंदुओं की निष्क्रियता और गद्दारी से हारा।

🧘‍♂️ V. धर्माचार्य और गुरुओं की चुप्पी: क्या यह भी अधर्म नहीं है?

  • पालघर में साधुओं की नृशंस हत्या पर कोई प्रतिक्रिया नहीं।
  • हिंदू लड़कियों के साथ हो रहे जिहादी अपराधों पर चुप्पी।
  • मंदिर टूटें तो मौन, लेकिन चंदे और राजनीति पर ज़ोर।
  • जब ईरान के आयतुल्लाह और मक्का के इमाम एकजुट हो सकते हैं,
  • तो हमारे संत क्यों अलग-अलग साम्राज्यों में बंटे हुए हैं?
  • आज स्थिति यह है कि जागरूक अल्पसंख्यक संगठित हैं,
  • लेकिन बहुसंख्यक समाज दिशाहीन और मौन है।
  • धर्म और राष्ट्र संकट में हैं, पर हमारे संतों के पास समय नहीं।

➡️ सिर्फ प्रवचन से धर्म की रक्षा नहीं होती।

🏹 VI. हिंदुत्व संगठनों में आपसी मतभेद: ऊर्जा बर्बाद हो रही है

  • RSS, VHP, बजरंग दल, सनातन संस्था, अखाड़े — सब अपने-अपने खेमे में।
  • विचारधारा, मंदिर नियंत्रण, नेतृत्व और राजनीति पर आपसी झगड़े।
  • कोई एकीकृत युद्ध कक्ष नहीं, कोई सामूहिक रणनीति नहीं।
  • एक मुस्लिम संगठन फतवा देता है — 10 करोड़ लोग पालन करते हैं।
  • 100 हिंदू संगठन 100 मत देते हैं — और कोई पालन नहीं करता।

🏛️ VII. सरकार: सबसे अच्छा मौका, लेकिन अकेले नहीं लड़ सकती

  • मोदीयोगी युग हिंदुओं के लिए स्वर्णिम समय है।
  • लेकिन इन पर हमले हो रहे हैं — अंदर से भी और बाहर से भी:
  • न्यायपालिका, मीडिया, अंतरराष्ट्रीय लॉबी, और वामपंथी बुद्धिजीवी लगातार हमला कर रहे हैं।
  • हर राष्ट्रवादी कदम को “सेक्युलरिज़्म के लिए खतरा” कहा जा रहा है।

➡️ मोदी अकेले नहीं लड़ सकते। हमें साथ लड़ना होगा।

🧨 VIII. अगर अब भी नहीं जागे तो…?

  • हिंदू अपने ही देश में अल्पसंख्यक बन जाएगा — कश्मीर, बंगाल, केरल और यूरोप की तरह।
  • मंदिरों पर टैक्स लगेगा, त्योहारों पर बैन होगा, ग्रंथों को सेंसर किया जाएगा।
  • बच्चों को झूठा इतिहास पढ़ाया जाएगा, और जय श्री रामबोलने पर कट्टरपंथी कराहेंगे।
  • हर शहर में शरीया जोन, हलाल कंट्रोल, और कट्टरता के अड्डे बनेंगे — आपकी चुप्पी और पैसे की वजह से।

🛑 अंतिम चेतावनी: अभी एकजुट हो जाएँ — या मिट जाएँ

जाति नहीं, हिंदू बनकर भारत के लिए वोट करें।
मोदी, योगी, बीजेपी और RSS को बिना शर्त समर्थन दें।

हलाल उत्पाद, जिहादी कारोबार, बॉलीवुड और हिंदू विरोधी प्रचार का पूरी तरह बहिष्कार करें।
आध्यात्मिक गुरुओं से सीधा प्रश्न करें — क्या आप केवल प्रवचन देंगे या धर्मरक्षा के लिए आगे आएँगे?
अगर वे धर्म के लिए नहीं खड़े होते, तो उनका समर्थन न करें।

अपने बच्चों को सनातन शिक्षा दें, उन्हें ज्ञान, साहस और धर्मयुद्ध के लिए तैयार करें।

आज समय है नए रक्षकों को जन्म देने का —
बौद्धिक क्षत्रिय, डिजिटल योद्धा, और न्यायिक धर्मरक्षक

क्योंकि जब जागरूक अल्पसंख्यक संगठित हो सकते हैं,
तो बहुसंख्यक हिंदू क्यों नहीं?

🚩  अब समय है अभी या फिर कभी नहीं। दूसरा अवसर फिर नहीं मिलेगा।

भारत एक सभ्यतासंकट से गुजर रहा है।
अब सवाल यह है:

👉 क्या ऋषि कश्यप, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी और स्वामी विवेकानंद के उत्तराधिकारी समय पर जागेंगे

  • या इतिहास की किताबों में आख़िरी हिंदू बनकर रह जाएँगे?

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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