जब भारत वैश्विक मंच पर सफलता हासिल करता है, तो हर नागरिक गौरवान्वित होता है। लेकिन विपक्ष की नाराज़गी बार-बार सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों?
आज का भारत अब 1947 या 1962 वाला भारत नहीं रहा।
- यह वह भारत है जिसने 2016 में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया,
- 2019 में पुलवामा के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक से आतंक के ठिकानों को तबाह किया,
- और 2020 में गलवान में चीन को करारा जवाब दिया।
🔥 लेकिन जब भारत शौर्य दिखाता है, तो
✖️ पाकिस्तान कराहता है,
✖️ आतंकवादी बिलबिलाते हैं,
✖️ और हैरानी की बात है — भारत के ही कुछ नेता और बुद्धिजीवी रोने लगते हैं!
🤔 क्या यह विपक्ष है या विदेशी एजेंडे का दलाल गठबंधन?
- जब ट्रंप कहते हैं कि भारत ने युद्धविराम अमेरिका के दबाव में किया —
🔊 कांग्रेस कहती है: “मोदी ने सरेंडर कर लिया!” - जब IMF या Moody’s भारत की ग्रोथ को घटा कर बताती है —
🎉 ये नेता जश्न मनाते हैं, जैसे देश की विफलता उनकी जीत हो। - जब पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में फंसता है या चीन को UN में झटका मिलता है —
🧷 इनके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरती हैं।
❗ क्या ये आलोचना है या राष्ट्रीय भावना के विरुद्ध सुनियोजित हमला?
💡 ऐसे देश-विरोधी व्यवहार की कुछ प्रमुख मिसालें:
- सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँगने वाले नेता —
सेना के शौर्य पर विश्वास नहीं, मगर आतंकियों की “कथित पीड़ा” पर सहानुभूति। - UN, OIC जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ बयान का हवाला देकर देश को शर्मिंदा करने की कोशिश।
- CAA और NRC जैसे देशहित में लिए गए निर्णयों को “मुस्लिम विरोधी” बताकर दंगे भड़काना।
- राम मंदिर पर कोर्ट के निर्णय को “धार्मिक ध्रुवीकरण” बताना, पर शाहीन बाग जैसे आंदोलन को लोकतंत्र कहना।
🧠 ये केवल वैचारिक मतभेद नहीं, मानसिक गुलामी का प्रतीक हैं:
- जो अयोध्या में राम मंदिर से चिढ़ते हैं, लेकिन जमातियों की हरकतों पर चुप रहते हैं।
- जो हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता नहीं जताते, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध करते हैं।
- जो भारत में लोकतंत्र का अपमान करते हैं, लेकिन विदेशी अख़बारों और रिपोर्ट्स को राष्ट्रसत्य मानते हैं।
🔧 अब ज़रूरत किस बात की है?
- राजनीतिक जागरूकता की —
हर नागरिक को जानना होगा कि आलोचना और देशद्रोह में अंतर है। - सच्चे राष्ट्रवाद की —
राष्ट्र पहले, फिर राजनीति — यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। - सोशल मीडिया पर फेक नैरेटिव्स का जवाब तथ्यों और आंकड़ों से देने की —
क्योंकि आज युद्ध केवल सीमा पर नहीं, सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी है। - देशविरोधियों को बेनकाब करने की —
चाहे वो पत्रकार हों, बुद्धिजीवी हों या राजनेता।
🔚 निष्कर्ष — अब समय है स्पष्ट पक्ष चुनने का:
✊ या तो आप भारत के साथ हैं,
✊ या भारत विपक्ष के एजेंडे का हिस्सा हैं।
- जो भारत की हर जीत को अपने एजेंडे के लिए अपमानित करते हैं,
उन्हें पाकिस्तान या चीन भेज देना ही बेहतर है, क्योंकि उनकी निष्ठा भारत के लिए नहीं।
❗ ये देश तुम्हारा है — इसकी रक्षा केवल सैनिक नहीं, हर जागरूक नागरिक को करनी होगी।
🛡️ अंतिम संदेश:
- 🇮🇳 “अब भारत को किसी के प्रमाण की आवश्यकता नहीं — अब भारत स्वयं प्रमाण है।“
- गर्व से कहो — मैं भारतीय हूँ, और मैं देश के साथ हूँ — हर हाल में।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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