भारत में “बददुआ ब्रिगेड” का उदय सिर्फ एक राजनीतिक या सोशल मीडिया ट्रेंड नहीं, बल्कि जनता की बढ़ती नाराज़गी और असंतोष की झलक है। यह नए दौर की उस मानसिकता को दर्शाता है, जहां व्यंग्य, तंज और बददुआ समाज के बदलते मूड की अभिव्यक्ति बन गए हैं।
जब नेपाल लहूलुहान है, भारत के कुछ नेता तालियाँ बजा रहे हैं – लोकतंत्र के नाम पर कलंक हैं
- नेपाल आज गहरे संकट में है। सोशल मीडिया बैन, जन-विद्रोह और हिंसक दमन ने पूरे देश को हिला दिया है।
- युवाओं के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन अब राजतंत्र समर्थक विद्रोह बन चुका है। 20 से अधिक निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं,
- प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा है, और पूरी दुनिया चिंतित नज़रों से नेपाल की अस्थिरता को देख रही है।
- ऐसे संवेदनशील समय में दुनिया को उम्मीद थी कि भारत, जो नेपाल का सबसे निकटतम सांस्कृतिक और सभ्यतागत भागीदार है, सहयोग और सहानुभूति का हाथ बढ़ाएगा।
- भारत और नेपाल के बीच केवल सीमा ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म, परंपराएँ, त्यौहार और तीर्थ जैसी गहरी आत्मीयता है।
- लेकिन दुर्भाग्य से भारत के भीतर ही एक नया और खतरनाक खेल शुरू हो गया है।
- कुछ नेता और कथित बुद्धिजीवी, भारत की भूमिका को मज़बूत करने के बजाय, नकारात्मकता और देशविरोधी सोच का जहर घोल रहे हैं।
- यही गिरोह आज “बददुआ ब्रिगेड” के नाम से पहचाना जा रहा है।
🩸 पड़ोसी के ज़ख्मों पर भारत को बददुआ
- नेपाल के घावों पर मरहम लगाने की जगह, कुछ नेताओं जैसे संजय राउत, आई.पी. सिंह और राजस्थान कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने भारत की तुलना नेपाल से की।
- उनके बयान यह कहते हैं कि भारत भी जल्द नेपाल जैसी अराजकता में डूब सकता है, जनता कभी भी सड़कों पर उतर सकती है।
- यह बयानबाज़ी सिर्फ़ गैर-जिम्मेदाराना नहीं है—बल्कि खतरनाक है। यह मानसिकता दिखाती है कि इन नेताओं को भारत की शांति और प्रगति रास नहीं आती। इन्हें सिर्फ़ अराजकता, हिंसा और विघटन में मज़ा आता है।
यह अब स्वस्थ विपक्ष नहीं रह गया है। यह तो राजनीतिक आतंकवाद की भाषा है।
⚔️ बददुआ की राजनीति – गद्दारी का नया चेहरा
- इस बददुआ ब्रिगेड ने नकारात्मकता को अपना हथियार बना लिया है।
- नेपाल संकट में हो तो ये कहते हैं भारत भी संकट में जाएगा।
- श्रीलंका आर्थिक बर्बादी झेले तो ये कहते हैं भारत भी वहीं पहुँचेगा।
- पाकिस्तान आतंकवाद से जले तो ये कहते हैं भारत भी जलकर राख हो जाएगा।
- यह उनका नया राजनीतिक धर्म बन चुका है—अपने ही देश को बददुआ देना।
लेकिन सच्चाई यह है कि भारत नेपाल, श्रीलंका या पाकिस्तान नहीं है। भारत एक सभ्यतागत शक्ति है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक उभरती वैश्विक ताक़त है।
🌍 वैश्विक मंच पर – अमेरिका, चीन और भारत की बददुआ ब्रिगेड
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सब अपने-अपने खेल में लगे हैं:
- अमेरिका नेपाल को लोकतंत्र का पाठ पढ़ा रहा है।
- चीन अपनी पुरानी चाल के अनुसार “दोस्ती और सहयोग” का राग गा रहा है।
- और भारत की बददुआ ब्रिगेड? यह तो सिर्फ़ अपने ही देश को कोस रही है।
यह विपक्ष नहीं—यह तो विदेशी ताक़तों के हाथ की कठपुतली बनना है।
🛑 भारत की तुलना नेपाल से करना क्यों मूर्खता है
सच्चाई साफ़ है:
- नेपाल दशकों से अस्थिर राजनीति, कमजोर संस्थानों और विदेशी हस्तक्षेप का शिकार रहा है।
- भारत, तमाम चुनौतियों के बावजूद, मजबूत संस्थाओं, जीवंत लोकतंत्र और संविधान पर करोड़ों लोगों के विश्वास से खड़ा है।
- भारत ने युद्ध, आतंकवाद और न जाने कितने संकट झेले, फिर भी लोकतंत्र अडिग खड़ा रहा।
ऐसे में कहना कि भारत भी नेपाल की तरह ढह जाएगा—यह सिर्फ़ अज्ञान नहीं बल्कि मूर्खता और गद्दारी है।
🪔 सनातन परंपरा बनाम राजनीतिक दिवालियापन
- सनातन संस्कृति ने हमेशा कहा—“वसुधैव कुटुम्बकम”—सारी दुनिया एक परिवार है। पड़ोसी संकट में हो तो मदद करना हमारा धर्म है।
- लेकिन बददुआ ब्रिगेड ने इस धर्म को त्याग दिया है। वे नेपाल की पीड़ा पर नमक छिड़कते हैं और अपने ही देश को कोसते हैं।
- ये नेता नहीं गिद्ध हैं, जो सिर्फ़ मुसीबत और लाशों पर मंडराते हैं।
🚩 भारत को क्या करना चाहिए
इस समय भारत को उठकर साबित करना होगा कि हम दक्षिण एशिया की स्थिरता का स्तंभ हैं। हमें दिखाना होगा कि हमारे रिश्ते राजनीति पर नहीं, बल्कि साझा इतिहास और मानवीय संवेदनाओं पर टिके हैं।
भारत को:
✅ नेपाल को मानवीय मदद देनी चाहिए।
✅ सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को मज़बूत करना चाहिए।
✅ बददुआ ब्रिगेड के पाखंड और झूठ को उजागर करना चाहिए।
इतिहास क्या लिखेगा?
- या तो भारत ने नेपाल को संकट में संभाला।
- या भारत के कुछ नेता मंच पर खड़े होकर तालियाँ बजा रहे थे जबकि पड़ोसी लहूलुहान था।
⚡ बददुआ ब्रिगेड के लिए संदेश
- जो नेता अपने ही देश को बददुआ देकर राजनीति करना चाहते हैं—अपनी ज़ुबान संभालें।
- भारत नेपाल नहीं है, पाकिस्तान नहीं है, बांग्लादेश नहीं है। भारत सनातन है, अटल है और उठती हुई महाशक्ति है।
- अगर भारत की प्रगति पचती नहीं तो हट जाइए। अगर राष्ट्रहित में बोल नहीं सकते तो कम से कम बददुआ देना बंद कीजिए।
- भारत को ऐसे नेताओं की ज़रूरत नहीं जो इसके पतन की कामना करें, भारत को ऐसे नेताओं की ज़रूरत है जो इसकी नियति गढ़ें।
✋ जनता का फैसला
- जनता को अब इन बददुआ ब्रिगेड को आईना दिखाना होगा।
- लोकतंत्र बोलने की आज़ादी देता है, लेकिन यह भी शक्ति देता है कि हम उन लोगों को नकार दें जो इस आज़ादी का दुरुपयोग देश के खिलाफ़ करते हैं।
🚩 बददुआ ब्रिगेड चाहे जितना कोसे—भारत हमेशा उठेगा और आगे बढ़ेगा। 🚩
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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