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भारत में विपक्ष का असली चेहरा

भारत में विपक्ष का असली चेहरा: सत्ता नहींतो षड्यंत्र का केंद्र

भारत में आज का विपक्ष सत्ता से दूर होकर रचनात्मक भूमिका छोड़ चुका है और अब सिर्फ विरोध, षड्यंत्र व अफवाहों की राजनीति में लिप्त है।

भारत में विपक्ष का असली चेहरा

1. 1947 के बाद से एक ही एजेंडा: मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं की उपेक्षा

विभाजन के बाद भी मुस्लिम लीग मानसिकता को कांग्रेस ने ही जिंदा रखा।

  • 1950 में अनुच्छेद 370 और 35A लागू करके कश्मीर को “भारत में विशेष दर्जा” दिया — जो पाकिस्तान और इस्लामी कट्टरपंथियों के हित में था, भारत के नहीं।
  • 1951-52 में वक्फ बोर्ड एक्ट लाकर मुस्लिम संस्थाओं को हिंदू मंदिरों से भी अधिक अधिकार दिए गए — मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण, लेकिन वक्फ पर कोई नहीं।
  • शाह बानो केस (1985) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटकर इस्लामिक पर्सनल लॉ को सर्वोपरि ठहराया गया, जिससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का भी गला घोंटा गया

2. आतंकवादियों और देशद्रोहियों का संरक्षण

  • इंदिरा गांधी के समय में भिंडरावाले जैसे खालिस्तानी उग्रवादियों को खड़ा किया गया, जिसने पंजाब को दहला दिया।
  • कांग्रेस नेताओं ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर रोना रोया, याकूब मेनन जैसे आतंकियों के लिए याचिकाएं दायर कीं।
  • कश्मीर में अलगाववादियों और पत्थरबाजों को मासूम नौजवानकहा, और सेना पर केस कराए गए।
  • JNU, AMU, शाहीन बाग और दिल्ली दंगों में खुलेआम दंगाइयों के साथ खड़े हुए, जिन्हें बाद में विदेशी फंडिंग और इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों से संबंध पाए गए।

3. भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बदनाम करने की साजिशें

  • पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाए।
  • कांग्रेस नेताओं ने UN में भारत की नीतियों की आलोचना की, खासकर CAA, राम मंदिर और कश्मीर पर।
  • कई कांग्रेस समर्थित NGOs ने UN और विदेशी मीडिया में भारत को माइनॉरिटीप्रेसिंगदेश के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि दुनिया भर में अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित देश भारत ही है।

🧨 4. घोटालों, भ्रष्टाचार और संस्थाओं का दमन

नेहरू से लेकर मनमोहन तक, कांग्रेस की हर सरकार ने देश को घोटालों में डुबोया

  • बोफोर्स घोटाला
  • 2G स्पेक्ट्रम घोटाला
  • CWG घोटाला
  • कोयला घोटाला
  • अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला

> इमरजेंसी (1975-77) के दौरान लोकतंत्र, न्यायपालिका, प्रेस और विरोध के हर स्वर को दबा दिया गया

> सीबीआई और ईडी को अपने निजी हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया, लेकिन आज जब वही एजेंसियाँ निष्पक्ष होकर काम कर रही हैं, विपक्ष इसे ‘तानाशाही’ कहता है

🧨 5. वर्तमान विपक्ष की सोच: सत्ता के लिए देश की बलि देने को तैयार

  • राम मंदिर पर चुप्पी या विरोध,
  • UCC का विरोध,
  • जनसंख्या नियंत्रण बिल पर आपत्ति,
  • CAA का विरोध और रोहिंग्याओं को बसाने की बात,
  • बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के प्रति नरमी,
  • PFI जैसे आतंक समर्थक संगठनों पर कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाना,
  • हिन्दू त्योहारों पर पाबंदी की मांग लेकिन मजारों, कब्रों पर खुली छूट।

👉 यानी उनका असली एजेंडा है – ‘हिंदू दबाओ, घुसपैठियों को बसाओ, और देश को फिर से 2004-2014 की तरह लूट की ओर ले जाओ।

🚨 आज भी उनकी प्राथमिकता क्या है?

  • सेक्युलरिज्मके नाम पर कट्टर इस्लामी विचारधारा को बढ़ावा देना।
  • भारत को हिंदू राष्ट्रन बनने देने की कसम।
  • गौरक्षा, घर वापसी, राम मंदिर जैसे मुद्दों को सांप्रदायिक बताकर जनता को भ्रमित करना।
  • हर उस नीति का विरोध करना जो भारत को आत्मनिर्भर बनाए।
  • सत्ता में आने के लिए विदेशों से फंड, फर्जी प्रोपेगेंडा, और मीडियान्यायपालिका की मदद लेना
  • सेना पर तक पर वैचारिक हमला।

⚔️ अब फैसला जनता के हाथ में है

क्या हम फिर उन्हीं ताकतों को सत्ता सौंप देंगे जिन्होंने:

  • हिंदुओं को विभाजित किया,
  • सीमाओं को कमजोर किया,
  • घुसपैठियों को बसाया,
  • और भारत माता को लूटा?

या हम मोदी सरकार के नेतृत्व में उस भारत का निर्माण करेंगे जिसकी कल्पना भगत सिंह, सावरकर और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी?

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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