- “अगर कोई दुश्मन युद्ध के मैदान में हार जाता है, तो वह युद्ध को समाज के भीतर ले आता है।”
- भारत में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा ठीक यही रणनीति अपनाई जा रही है। इस युद्ध के हथियार हैं – प्रेम-जाल, सोशल मीडिया, विदेशी फंडिंग, NGO की आड़, और कानूनी छल।
🔍 खुफिया एजेंसियों और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की रिपोर्ट्स से जो सामने आया है वह चौंकाने वाला है:
धर्मांतरण अब सिर्फ व्यक्तिगत आस्था का विषय नहीं रहा।
यह एक वैचारिक और जनसांख्यिकीय युद्ध बन चुका है जिसका उद्देश्य है — हिंदू समाज की संरचना को तोड़कर भारत के भविष्य पर कब्ज़ा करना।
- लक्ष्यबद्ध रूप से SC, ST और OBC वर्ग की लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सामाजिक, आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत असुरक्षित स्थिति में हैं।
उन्हें प्रेम, सुरक्षा या रोजगार के नाम पर पहले मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता है और फिर इस्लामी संगठनों के जाल में फँसा दिया जाता है। - Telegram, Tinder, Instagram, Signal जैसे ऐप्स पर 60 से अधिक गुप्त चैट ग्रुप्स सक्रिय हैं, जिनमें लड़कियों को टारगेट करने की योजना बनाई जाती है।
- इन ग्रुप्स में धार्मिक कट्टरपंथी सामग्री, ग़ज़वा-ए-हिंद के संदेश और ब्रेनवॉशिंग तकनीकें साझा की जाती हैं।
- धर्मांतरण के बाद इन लड़कियों को मदरसे या जिहादी सेल्टर होम में रखा जाता है, जहाँ उनकी पहचान, कपड़े, और व्यवहार पूरी तरह बदल दिया जाता है।
इसके बाद उन्हें जिहादी प्रचार में लगाया जाता है — जैसे “हिंदू धर्म शैतानी है”, “भारत में इस्लामी शासन ही अंतिम समाधान है” आदि।
💰 विदेशी फंडिंग: ज़कात और खैरात की आड़ में करोड़ों का खेल
- कतर, शारजाह, दोहा और दुबई से NGO और मदरसों के खातों में मोटी रकम भेजी जा रही है।
- हवाला चैनलों के ज़रिए यह पैसा भारत में उन क्षेत्रों तक पहुँचता है जहाँ मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है — जैसे बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल और मध्यप्रदेश।
- आगरा की एक दरगाह से जुड़ी UPI आईडी से ₹7 करोड़ ट्रांसफर हुआ।
- भोपाल और हैदराबाद में चल रहे NGO खातों में एक-एक महीने में ₹80 लाख से ₹1.5 करोड़ तक जमा हुए।
🧠 शिक्षण संस्थानों में नेटवर्क:
- भोपाल का दारुल उलूम तजकिया — यहाँ से लड़कों को कट्टरपंथी प्रशिक्षण देकर विभिन्न विश्वविद्यालयों में भेजा जाता है ताकि वे वहाँ गैर-मुस्लिमों को प्रभावित कर सकें।
- केरल का मदरसा वेब सिस्टम — धर्मांतरित महिलाओं को shelter, नया आधार कार्ड, नया नाम और इस्लामी शिक्षा देने के लिए जाना जाता है।
- जैतुन काउंसिल नामक Telegram ग्रुप — यह ग्रुप भारत के विभिन्न हिस्सों में ‘प्रोजेक्ट बी’ नामक योजना चला रहा है, जिसमें धार्मिक परिवर्तन को चरणबद्ध रूप से लागू किया जा रहा है।
⚖️ कानून व्यवस्था पर सीधा हमला:
- उत्तर प्रदेश के बरेली और शाहजहाँपुर में अप्रैल 2025 में हुए मामलों में, दो वकील और एक उप-पंजीयक गिरफ्तार हुए — वे फर्जी सहमति-पत्र बनाकर धर्मांतरण को वैध कर रहे थे।
- मध्यप्रदेश में उज्जैन, रतलाम और इंदौर में भी कई रजिस्ट्रार और न्यायिक कर्मियों के खिलाफ ED और ATS ने जाँच शुरू की है।
- कोर्ट मैरिज में मौलवियों को हिंदू पंडित बनाकर बिठाया जाता है, ताकि लड़की को धोखे में रखा जा सके।
🎯 उद्देश्य:
- भारत की धार्मिक जनसंख्या संरचना को बिगाड़कर धीरे-धीरे बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक बनाने की योजना।
- धर्मांतरण को वैचारिक हथियार बनाकर लोकतांत्रिक संस्थाओं और नीतियों पर प्रभुत्व जमाना।
- हिन्दू समाज को जाति, वर्ग, भाषा और आर्थिक स्तर पर तोड़कर “सांस्कृतिक अस्मिता विहीन जनसमूह” में बदल देना।
🚨 यह युद्ध बम और गोली से नहीं — फोन, बैंकिंग ऐप्स, कानून और मोहब्बत के नाम पर लड़ा जा रहा है।
🚩 अब क्या करें? राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए कर्तव्य
- प्रत्येक हिंदू माता-पिता को अपनी बेटियों को धर्म, मानसिक शक्ति और डिजिटल सुरक्षा की शिक्षा देनी होगी।
- NGO, मदरसे, और ‘फ्री स्कॉलरशिप’ देने वाले संगठनों की पारदर्शी जाँच होनी चाहिए।
- राज्य और केंद्र सरकारों से धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले सख्त कानून की माँग करनी होगी।
- सोशल मीडिया पर सच फैलाना होगा — प्रेम के नाम पर छिपी साजिश को उजागर करें।
- हिंदू समाज को जात-पात से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा, तभी यह साजिश नाकाम हो पाएगी।
❌ अगर आज भी हिंदू समाज न जागा, तो आने वाले 20 वर्षों में —
हिंदू बेटी का विवाह, हिंदू मंदिर का अस्तित्व, और हिंदू पहचान – सब कुछ केवल किताबों में मिलेगा।
🛡️ यह चेतावनी नहीं — आत्मरक्षा का आह्वान है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम
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