भारत में लो-इंटेंसिटी गृहयुद्ध की योजना?
भारत एक लो-इंटेंसिटी गृहयुद्ध झेल रहा है जो सांस्कृतिक, वैचारिक और जनसांख्यिकीय हमले के रूप में है, जिसे सांप्रदायिकता कह दबाया जाता है।
❗ यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक रणनीति है:
1️⃣ लो-इंटेंसिटी गृहयुद्ध: असली तस्वीर क्या है?
- अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमावर्ती जिलों में संगठित रूप से बसाया जा रहा है, ताकि जनसंख्या संतुलन को हिंदुओं के विरुद्ध बदला जा सके।
- विदेशी फंडिंग वाले NGO और सोशल मीडिया अभियानों के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेला जा रहा है।
- एक डिजिटल, जनसंख्यिकीय और ज़िलावार चुपचाप कब्ज़ा चल रहा है — जहां गोलियां नहीं चल रहीं, लेकिन ज़मीनें और पहचान बदल रही हैं।
📍 उदाहरण:
- पश्चिम बंगाल, असम, केरल, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, और पुलिस-प्रशासन पर भी दबाव है।
2️⃣ तुर्की-ईरान जैसे देशों में पढ़ाई — सिर्फ शिक्षा या कुछ और?
भारत से मुस्लिम युवाओं को बड़ी संख्या में तुर्की, ईरान, सीरिया, मलेशिया जैसे देशों में “धार्मिक शिक्षा” के नाम पर भेजा जा रहा है।
लौटने के बाद ये युवा:
- “पत्रकार” बनकर भारत-विरोधी नैरेटिव चलाते हैं।
- “NGO एक्टिविस्ट” बनकर फर्जी उत्पीड़न की कहानियाँ फैलाते हैं।
- “धार्मिक नेता” बनकर कट्टरपंथ को सभ्यता के नाम पर फैलाते हैं।
📌 क्या भारत सरकार को यह नहीं देखना चाहिए कि ये छात्र कौन हैं, क्या पढ़ने जा रहे हैं, और किस एजेंडे के तहत लौटते हैं?
3️⃣ इस पूरी योजना के पीछे कौन हैं?
- विदेशी इस्लामिक संगठन, जैसे मुस्लिम ब्रदरहुड, ईरानी धार्मिक संस्थान, तुर्की के दावत मिशन आदि — भारतीय मुसलमानों को “ग्लोबल उम्माह” से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
- ये संगठन भारत के सेक्युलर सिस्टम का दुरुपयोग कर कानून, मीडिया, शिक्षा और राजनीति में घुसपैठ कर रहे हैं — ताकि एक “शांतिपूर्ण कब्ज़ा” स्थापित किया जा सके।
📌 हिंदू समाज क्या करे?
- जनसंख्या नियंत्रण कानून सब पर समान रूप से लागू हो — सिर्फ हिंदुओं पर नहीं।
- राष्ट्रहित आधारित शिक्षा नीति बने। विदेशी लिंक वाले मदरसे, NGO, और इस्लामिक संस्थानों की जांच हो।
- हिंदुओं को जाति, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर संगठित होना होगा।
- राष्ट्रवादी नेतृत्व का समर्थन करें — क्योंकि हमारे विरुद्ध टुकड़े-टुकड़े गैंग तैयार बैठा है।
⛔ याद रखिए:
- अफगानिस्तान में अब हिंदू नहीं बचे।
- 1947 में पाकिस्तान में 20% हिंदू थे, अब 1% से भी कम हैं।
- क्या भारत भी उसी रास्ते पर जा रहा है?
🔥 यह अंतिम चेतावनी है:
- अगर अब भी हम जाति, पार्टी और व्यक्तिगत स्वार्थों में बंटे रहे —
तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपने ही देश में “प्रवासी” बना दिए जाएंगे।
🙏 जागो हिंदुओं, संगठित हो जाओ।
- यह सिर्फ वोट का नहीं, चेतना और अस्तित्व की लड़ाई है।
👉 अब क्या करें?
भावुक नहीं, सक्रिय बनिए।
- समाज को जागरूक करें।
- विदेशी लिंक वाले NGO, मदरसे, मिशन पर नजर रखें।
- जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछें —
❓ “क्या भारत हिंदुओं का देश नहीं है?”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
पुराने मेसेजेस के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
👉Join Our Channels👈