कुछ सच्चाइयाँ चीखती नहीं… वे फुसफुसाती हैं औरतब तक इंतजार करतीहैं, जब तक कोईउन्हें फिर से पूछन ले
भारत का स्वतंत्रता-प्राप्त इतिहास केवल विकास और लोकतंत्र की कहानी नहीं है। यह उन वीरों की कुर्बानियों की भी दास्तान है, जिन्हें गुमनाम “हादसों” में चुपचाप खत्म कर दिया गया — सिर्फ इसलिए क्योंकि वे सच बोलते थे, सवाल उठाते थे और भारत को आत्मनिर्भर व शक्तिशाली बनाना चाहते थे।
भारत में रहस्यमयी राजनीतिक हत्याएं सिर्फ इतिहास के पन्नों तक सीमित नहीं हैं; वे आज भी कई अनसुलझे सवाल छोड़ जाती हैं।
आज हमें पूछना होगा:
🛑 क्या ये महज संयोगथे… या एक गहरीविदेशी-संस्थागत साजिश?
🔥 दो हत्याएं जिन्होंने भारतकी दिशा ही बदलदी
🗓 11 जनवरी 1966
- भारत के दूसरेप्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीकी ताशकंद समझौते केकुछ घंटों बाद हीरहस्यमयी मौत।
- नीले होंठ, झुलसागला।
- पत्नी और निजीडॉक्टर ने पोस्टमार्टम कीमाँग की, सरकार नेमना कर दिया।
🗓 24 जनवरी 1966
- सिर्फ 13 दिन बाद, भारत के परमाणु वैज्ञानिकडॉ. होमी भाभा कीविमान दुर्घटना में मृत्यु।
- ब्लैक बॉक्स नहींमिला।
- फ्रांस ने “पायलटकी गलती” कहा।
- भारत ने कोईसवाल नहीं पूछा।
- उसी दिन इंदिरागांधी प्रधानमंत्री बनीं।
क्या यह इतिहास है — या भारत की नियतिपर हुआ छल?
💣 यह पैटर्न रुकता नहीं — यह बार-बार दोहरायागया
🚗 ज्ञानि जैल सिंह नेबोफोर्स घोटाले का खुलासाकरने का ऐलान किया।अगले ही दिन उनकीबुलेटप्रूफ गाड़ी को ट्रकने कुचल दिया।
🚗 राजेश पायलट, ईमानदार औरजमीनी नेता, कांग्रेस अध्यक्षपद के लिए तैयारीकर रहे थे। अगलीसुबह उनकी कार बससे टकरा गई। कोईजांच नहीं।
✈ माधवराव सिंधिया, लोकप्रियसांसद, एक विशेष विमानपर चढ़ाए गए — विमानआसमान में ही फटगया।
- यह सब सिर्फहादसे थे — या किसीऔर की सत्ता कोबनाए रखने की रणनीति?
🧬 वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौतें — भारत की प्रगति काअपहरण
- लाल बहादुर शास्त्री — पोस्टमार्टम तक नहीं।
- डॉ. भाभा — ब्लैकबॉक्स गायब।
- 1980 से 2010 के बीच 2500 से ज्यादा ISRO और DRDO वैज्ञानिकोंकी संदिग्ध मौतें।
हर बार भारत तकनीकीया रक्षा में उन्नतिकरने ही वाला होताहै — और कोई असामयिक “हादसा” उसे रोक देताहै।
⚠ गांधी परिवार की छायाऔर कांग्रेस की चुप्पी
- संजय गांधी — विमानदुर्घटना में मौत।
- राजीव गांधी — उसरैली में मरे जहाँसोनिया गांधी मौजूद नहींथीं।
- प्रियंका गांधी केससुराल पक्ष के कईसदस्य रहस्यमयी परिस्थितियों मेंमरे।
- संसद पर हमलेके दिन, सोनिया औरराहुल संसद में मौजूदनहीं थे।
क्या यह संयोग है… या सावधानी से रचीगई चाल?
🛡 2014 के बाद: जब भारतने साजिशों के खिलाफमोर्चा लिया
- जब प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के नेतृत्व मेंराष्ट्रवादी सरकार आई:
- राष्ट्रीय सुरक्षा कोप्राथमिकता मिली,
- वैज्ञानिकों कीसुरक्षा सुनिश्चित हुई,
- और “रहस्यमयीमौतों” का सिलसिला थमगया।
आज भी विपक्ष, वामपंथीमीडिया और विदेशी हितैषीलॉबी हर मुद्दे परमोदी, सरकार, सेना यावैज्ञानिक संस्थानों को बदनामकरती है — क्योंकि वहीउनकी असली रुकावट हैं।
📢 अब वक़्त है — इतिहासको फिर से लिखनेऔर सच्चाई को उजागरकरने का
भारत को अब सिर्फवोट देने वाले नागरिकोंकी नहीं, जाग्रत, निर्भीकराष्ट्रभक्तों की ज़रूरत हैजो:
- सवाल पूछें,
- झूठ को चुनौतीदें,
- और इस देशकी आत्मा की रक्षाकरें।
🇮🇳 हिंदू समाज और राष्ट्रप्रेमियों के लिए एक आह्वान
- अब हम चुपनहीं रह सकते।
- अगर हम इनहत्याओं की सच्चाई सामनेनहीं लाएंगे,
- तो हमारी अगलीपीढ़ियाँ भी इसी साजिशका शिकार बनेंगी।
- सत्य को बचाइए, भारत को बचाइए।
- वोट दीजिए, बोलिए, और देशद्रोही तंत्र कोपहचानिए।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
पुराने मेसेजेस के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
हमारे व्हाट्सएप कम्यूनिटी में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/FMr2WNIgrUVG9xK78FW5Dl?mode=r_t
टेलीग्राम ग्रुप से जुडने के लिए https://t.me/+T2nsHyG7NA83Yzdlपर क्लिक करेँ। पुराने मेसेजेस टेलीग्राम ग्रुप पर भी उपलब्ध हैं।