🔴 प्रस्तावना
भारत में स्ट्रीट डॉग की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। आए दिन काटने और हमलों की घटनाएँ लोगों की चिंता बढ़ा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस मुद्दे को और गहराई से सामने ला दिया है।
भारत में एक मौन महामारी है — आवारा कुत्तों की हिंसा और रेबीज़ से मौतें।
- हर साल 20,000+ भारतीय रेबीज़ से मरते हैं।
- लाखों बच्चे और महिलाएँ डॉग बाइट्स का शिकार होते हैं।
- गाँवों से लेकर महानगरों तक, गली-मोहल्लों में कुत्तों का आतंक है।
फिर भी, जब सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को समाप्त करने का साहसी आदेश दिया, तो सोशल मीडिया पर अचानक एक “कुत्ता बचाओ आंदोलन” खड़ा हो गया। और इसे हवा दी वही पुरानी एंटी-हिंदू, एंटी-नेशनल लॉबी ने।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का साहसी कदम
भारत में आवारा कुत्तों की समस्या केवल पशु-प्रेम का मुद्दा नहीं है, बल्कि:
- जन सुरक्षा का सवाल है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य का संकट है।
- भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि का मामला है।
👉 यूरोप, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में स्ट्रीट डॉग्स जीरो हैं। हमारे यहाँ एनिमल राइट्स का ढोंग करने वाले संगठन भारत को “डॉग नेशन” बनाने पर तुले हुए हैं।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा —
- “देशहित में स्ट्रीट डॉग्स का उन्मूलन अनिवार्य है।”
🐕 गद्दारों की भौंक — “एनिमल लवर्स” या विदेशी एजेंट?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोशल मीडिया पर वही लोग चिल्लाने लगे जो:
- CAA-NRC के खिलाफ फर्जी आँकड़े फैलाते हैं।
- दिवाली पर पटाखों के खिलाफ PIL डालते हैं।
- हर हिंदू त्योहार को पर्यावरण-ध्वंसक बताकर गाली देते हैं।
- लेकिन गौहत्या पर चुप और डॉग प्रोटेक्शन पर एक्टिव हो जाते हैं।
इनके पीछे कौन है?
PETA और अन्य विदेशी NGO, जिनकी फंडिंग यूरोप-अमेरिका से होती है।
- ये लोग भारत में कुत्ता प्रेम का ढोंग करते हैं, जबकि उनके अपने देश में सड़क पर एक भी आवारा कुत्ता नहीं है।
- महंगे वकील (कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी) करोड़ों रुपये फीस लेकर कोर्ट में कुत्तों के अधिकार की पैरवी करते हैं, जबकि लोगों की जान रोज़ दाँव पर लग रही है और देश की छबि खराब हो रही है।
✈️ भारत की वैश्विक छवि पर हमला
क्या आप जानते हैं?
- विदेशी पर्यटकों को भारत आने से पहले रेबीज़ इंजेक्शन और सिरिंज साथ रखने की सलाह दी जाती है।
- कई अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल गाइड भारत को “Dog Bite Country” कहकर मज़ाक उड़ाते हैं।
- यह भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री, ग्लोबल इमेज और आर्थिक वृद्धि पर सीधा हमला है। यानी, यह केवल “कुत्ता प्रेम” नहीं बल्कि भारत को पिछड़ा और असुरक्षित दिखाने का षड्यंत्र है।
🕌 एंटी-हिंदू पैटर्न साफ़ है
ध्यान दीजिए, सुप्रीम कोर्ट का विरोध करने वाले वही लोग हैं जो:
- शाहीन बाग और दंगों में सक्रिय थे।
- राम मंदिर का विरोध करते थे।
- लव जिहाद और पॉप्युलेशन जिहाद पर चुप रहते हैं।
- लेकिन आवारा कुत्तों के लिए सड़कों पर उतर आते हैं।
👉 साफ़ है, यह नेटवर्क हिंदुओं के खिलाफ हर मुद्दे पर नैरेटिव वॉर छेड़े हुए है।
🇮🇳 गद्दार ज़्यादा, देशभक्त कम?
आज भारत का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि —
- हमारे देश में देशभक्तों से ज्यादा गद्दार मौजूद हैं।
- जो इंसानों की जान से ज्यादा कुत्तों की चिंता करते हैं, वे गद्दार हैं।
- जो विदेशी एजेंडे पर सुप्रीम कोर्ट तक को बदनाम करते हैं, वे गद्दार हैं।
- और जो भारत की छवि को बिगाड़ने में लगे हैं, वे गद्दार हैं।
🚩 राष्ट्रवादी संदेश
👉सुप्रीम कोर्ट के साथ खड़ा होना ही सच्ची राष्ट्रभक्ति है।
👉भारत में इंसान पहले, कुत्ते बाद में।
👉भारत में देशभक्त पहले, गद्दारों की कोई जगह नहीं।
यह मुद्दा सिर्फ़ सड़क के कुत्तों का नहीं है, बल्कि भारत बनाम गद्दार नेटवर्क का है।
- आज यह तय करना है कि हम अपने बच्चों को पाकिस्तान जैसा असुरक्षित भारत देंगे या सुरक्षित और शक्तिशाली भारत।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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