भारत में बढ़ती विनाशकारी विचारधाराएं
एक देश केवल बमों से नहीं टूटता। भारत में विनाशकारी विचारधाराएं तब बढ़ती हैं जब इन्हें बचाया जाता है, राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता होता है, और राष्ट्रविरोधी ताकतों को “धर्मनिरपेक्षता,” “स्वतंत्रता,” या “मानवाधिकारों” के नाम पर तुष्ट किया जाता है।
1. PFI के पूर्व सचिव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत – क्या यह एक खतरनाक मिसाल नहीं है?
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के एक पूर्व सचिव को यह कहते हुए ज़मानत दे दी कि किसी की विचारधारा के कारण उसे जेल में नहीं रखा जा सकता।
लेकिन जब वही विचारधारा:
- हिंदुओं के खिलाफ घृणा फैलाए?
- ग़ज़वा–ए–हिंद जैसे अभियान को बढ़ावा दे?
- आतंकी हमलों, दंगों और हत्या को जायज़ ठहराए?
- धर्मांतरण, शरीयत कानून, और कट्टरपंथी मदरसों को पोषित करे?
तो क्या हम ज़हर को इसलिए छोड़ दें क्योंकि वह सिर्फ “सिद्धांत” में है?
2. दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों के पीछे सिर्फ विचारधारा थी
- इस्लामिक जिहाद ने दुनिया भर में आतंक फैलाया — 9/11 से लेकर मुंबई, पेरिस से कश्मीर तक।
- वामपंथी विचारधारा ने भारत में माओवादी हिंसा और दुनिया भर में लाखों की हत्याएं कराईं।
- धार्मिक संप्रदायवाद ने भारत को विभाजित किया और करोड़ों हिंदुओं की हत्या और पलायन हुआ।
नाज़ी विचारधारा ने भीषण विश्व युद्ध को जन्म दिया।
तो जब अदालत कहती है कि केवल विचारधारा के लिए दंड नहीं हो सकता —
क्या हम तब तक इंतजार करेंगे जब तक खून की नदियाँ न बह जाएं?
3. 70 साल का तुष्टिकरण – ज़हर को ही खाद और पानी
पिछले सात दशकों में:
- सरकारों ने कट्टरपंथी संगठनों की रक्षा की,
- न्यायपालिका और मीडिया ने जिहादी विचारधाराओं को “अल्पसंख्यक अधिकार” कहकर बचाया,
- और हिंदू संतों, राष्ट्रवादी नेताओं को बिना अपराध के निशाना बनाया।
SIMI, PFI, कट्टर मदरसे – जब भी इनपर कार्रवाई हुई,
तो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और विपक्षी ताकतें उनकी रक्षा में उतर आईं।
4. न्याय केवल तकनीकी नहीं, राष्ट्रीय हित में भी हो
कानून पवित्र है।
लेकिन भारत की सुरक्षा भी उतनी ही पवित्र है।
- आज का मुक्त PFI कार्यकर्ता, कल का दिल्ली दंगा मास्टरमाइंड बन सकता है।
- आज का उग्र मौलवी, कल का ज़ाकिर नाईक बन सकता है।
अगर न्यायपालिका, मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी इनका समर्थन करते रहेंगे,
तो वे देशभक्ति नहीं, देशद्रोह को बढ़ावा देंगे।
5. यह समय है निर्णायक विकल्प का
आज भारत दो विचारों के बीच खड़ा है:
- एक ओर है सनातन धर्म, राष्ट्रीय अखंडता और सांस्कृतिक गौरव।
- दूसरी ओर है विचारधाराओं की आड़ में आतंकवाद, जिहाद और धर्मांतरण।
अगर हम अब भी नहीं जागे तो:
- भारत दूसरा पश्चिम बंगाल बन जाएगा, जहां हिंदू डर में जीते हैं।
- दूसरा बांग्लादेश, जहां हिंदू आबादी 30% से घटकर 7% से भी नीचे आ गई।
- और अंततः पाकिस्तान, जहां “इस्लामी विचारधारा” कानून बन गई —
और हिंदुओं के पास सिर्फ तीन विकल्प रह गए:
धर्म बदलो, देश छोड़ो या मरो।
6. अब क्या करना होगा?
- कट्टरपंथी विचारधाराओं को राष्ट्रीय खतरा एवं ग़ैर-जमानती आपराधिक अपराध घोषित किया जाए – चाहे वह धार्मिक हो या वामपंथी।
- न्यायपालिका को राष्ट्रहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- सरकारें एवं राजनीतिक दल तुष्टिकरण की नीति को खत्म करें।
- और सबसे महत्वपूर्ण – बुद्धिजीवी, राष्ट्रवादी और सनातनी हिंदू संगठित होकर आवाज उठाएं।
सीधा सवाल है:
क्या हम ज़हरीली विचारधाराओं की रक्षा करते रहेंगे?
या भारत, सनातन धर्म और अपनी भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए एकजुट होंगे?
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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