यह लड़ाई अब केवल धर्मांतरण की नहीं, बल्कि हमारी बेटियों, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा की है।
आज का भारत एक गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ा है — जहाँ एक ओर धर्मांतरण और जिहादी नेटवर्क हमारी जड़ों को काट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदू समाज की चुप्पी और आपसी फूट उस कुल्हाड़ी को पकड़ दे रही है।
🔥 धर्मांतरण: आस्था नहीं, एक सुनियोजित वैचारिक युद्ध
भारत में धर्मांतरण अब धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा नहीं, बल्कि एक वैचारिक आक्रमण है — जिसका उद्देश्य है:
- जनसंख्या असंतुलन पैदा करना
- सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को बदलना
- भारत की आत्मा को नष्ट करना
📌 “Conversion Jihad”, “Love Jihad”, “Population Jihad” — ये सब एक ही युद्ध की अलग-अलग रणनीतियाँ हैं।
🔴 प्रमुख षड्यंत्र और नेटवर्क
💔 भोपाल – कॉलेजों में प्रेमजाल और ब्लैकमेल
- आरोपी: फरहान, सोहेल
- तरीका: दोस्ती → प्रेमजाल → अश्लील वीडियो → ब्लैकमेल → धर्मांतरण
- नेटवर्क में मुस्लिम लड़कियाँ भी शामिल थीं
🧨 बलरामपुर – ₹100 करोड़ का धर्मांतरण उद्योग
- सरगना: जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर
- लक्ष्य: ब्राह्मण, राजपूत, OBC बेटियाँ
- “काजल लगाना” था कोडवर्ड
- फंडिंग: PFI, विदेशी NGOs, 40+ बैंक खाते
⚔️ ऑपरेशन अस्मिता (आगरा)
- नकली पहचान, फर्जी दस्तावेज
- 50+ लड़कियाँ फँसीं, राष्ट्रविरोधी एजेंडे में उपयोग
🚨 प्रयागराज –
l दलित बच्चियों को कट्टरपंथी प्रशिक्षण के लिए केरल भेजा गया
😡 कुशीनगर, अलीगढ़ – धर्मांतरण के बाद देह व्यापार
- किशोरियाँ मुंबई में बेची गईं
- आरोपी जैरुन्निशा: “मज़हब के नाम पर फँसाना और फिर वेश्यावृत्ति में धकेलना ही मेरा काम था।”
🌍 विदेशी फंडिंग और आतंक से गठजोड़
- देशी-विदेशी स्रोत: कतर, तुर्की, दुबई, यूएस, यूके
- संगठनों से जुड़ाव: PFI, SDPI, SIMI, ISIS
- उद्देश्य: भारत में वैचारिक और जिहादी घुसपैठ
🧿 परंतु… इन अपराधियों को बचा कौन रहा है?
- जब भी कोई मजहबी अपराधी पकड़ा जाता है:
- विपक्षी दल तुरंत ‘अल्पसंख्यक’ बताकर बचाव में आ जाते हैं
- लिबरल मीडिया पीड़ित को ‘भड़काऊ’ बना देता है
- NGOs और बुद्धिजीवी ‘मानवाधिकार’ के नाम पर छाती पीटते हैं
- न्याय व्यवस्था के कुछ लोग तकनीकी आधारों पर जमानत दिला देते हैं
👉 इससे अपराधियों का हौसला बढ़ता है, राष्ट्रवादी सरकार भी बेबस दिखती है।
⚠️ और जो दुश्मनों से भी अधिक ख़तरनाक है — वह है हमारा मौन
🔻 समाज की निष्क्रियता ही सबसे बड़ा अपराध बन चुकी है:
📉 युवा वर्ग:
- सोशल मीडिया, रील्स, कैरियर की दौड़ में उलझा
- न राष्ट्र की फिक्र, न बहन-बेटियों की सुरक्षा की चिंता
🧾 मध्यम वर्ग:
- बस संपत्ति जोड़ने और बच्चों के भविष्य के सपने में मग्न
- पर समझ नहीं पा रहे कि देश नहीं रहा तो ये सपना भी राख होगा
⚔️ धार्मिक–सामाजिक संगठन:
- आपसी खींचतान, नेतृत्व की होड़, विचारधारा की लड़ाई
- एकता और समन्वय का पूर्ण अभाव
🧘♂️ आम हिंदू जन:
- “सरकार सब ठीक कर देगी” — यही सबसे बड़ी भूल है
ध्यान रहे समाज की मदद के बिना सरकार अपने उद्देश्य मैं सफल नहीं हो सकती।
🔥 समाधान क्या है?
✅ सांस्कृतिक जागरूकता और शिक्षा
- केवल मॉडर्न एजुकेशन नहीं, बेटियों को सनातन और नैतिक मूल्य भी सिखाएँ
- स्कूल-कॉलेजों में “सांस्कृतिक चेतना कार्यक्रम” अनिवार्य करें
- सोशल मीडिया पर सत्य पर आधारित जागरूकता फैलाएँ
⚖️ कानूनी सुधार और कठोर कार्रवाई
- Forced Religious Conversion Prevention Act पूरे भारत में लागू हो
- इन अपराधों को आतंकवाद की श्रेणी में दर्ज किया जाए
- विदेशी फंडिंग पर सख्त निगरानी और प्रतिबंध लगे
🚩 संगठन और एकता
- हर मोहल्ले में हिंदू रक्षक इकाइयाँ बनें
- मंदिर, मठ, संगठन एक मंच पर आएँ
- युवाओं को रणनीतिक प्रशिक्षण दिया जाए — मानसिक, डिजिटल, सुरक्षा और संगठनात्मक
🕉️ अंतिम चेतावनी – अब नहीं जागे, तो न धर्म बचेगा, न राष्ट्र
- बेटियाँ घूंघट में नहीं, कफन में दिखेंगी
- शास्त्रों की जगह शरिया हावी होगा
- भारत पाकिस्तान–बांग्लादेश की राह पर फिसल जाएगा
- और सनातन संस्कृति इतिहास में एक खोई हुई सभ्यता बनकर रह जाएगी
✊ उठो, जागो, संगठित हो — यही समय है धर्मयुद्ध का
- “जब धर्म संकट में हो, तो चुप रहना भी अधर्म है।”
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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