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कांग्रेस और वामपंथी

भारतीय संस्कृति पर सबसे बड़ा वार – कांग्रेस और वामपंथी गठजोड़ का षड्यंत्र

भारत की सभ्यता, संस्कृति और धर्म पर सबसे बड़ा वार किसी विदेशी ने नहीं किया।

  • यह वार देश के भीतर बैठे तथाकथित “सेक्युलर” और “उदारवादी” गुटों ने किया है।
  • इनमें सबसे बड़ा गठबंधन रहा — कांग्रेस और वामपंथियों का।
  • स्वतंत्रता के बाद से ही उन्होंने भारतीय शिक्षा, इतिहास और संस्कृति पर वैचारिक कब्ज़ा कर लिया, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से कट जाएँ।

🔹 1. कांग्रेस-वामपंथी वैचारिक एजेंडा: “भारत को भारत से अलग करना”

  • स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने सत्ता के साथ-साथ भारत की सोच पर भी कब्ज़ा जमाया।
  • वामपंथी इतिहासकारों — रोमिला थापर, इरफान हबीब, रामचंद्र गुहा जैसे लोगों को विश्वविद्यालयों में बैठाकर “नेरेटिव कंट्रोल” की योजना चलाई।

इनका लक्ष्य था —

  • भारत के गौरवपूर्ण अतीत को मिथक बताना।
  • विदेशी प्रतीकों और व्यक्तित्वों को “मानवता” और “सेवा” का चेहरा बनाना।
  • और हिंदू संस्कृति को “अंधविश्वास, जातिवाद और पिछड़ेपन” का प्रतीक बनाना।
  • कांग्रेस और वामपंथियों ने मिलकर भारत की आत्मा पर हमला किया — किताबों, मीडिया, फ़िल्मों और पुरस्कारों के ज़रिए।

🔹 2. असली सनातनी नायिका: अहिल्या बाई होलकर

  • अहिल्या बाई होलकर (1725–1795) — एक ऐसी महारानी जिन्होंने धर्म, शासन और सेवा का आदर्श स्थापित किया।
  • उन्होंने काशी, प्रयाग, हरिद्वार, सोमनाथ, रामेश्वरम जैसे प्रमुख तीर्थों का पुनर्निर्माण कराया।
  • जहाँ मुगल आक्रमणों ने मंदिर तोड़े थे, वहाँ अहिल्या बाई ने पुनः संस्कृति का दीप जलाया।
  • उनके शासन में “धर्म और विकास” दोनों समान रूप से पनपे।
  • उन्होंने न तो सत्ता का दिखावा किया, न किसी पुरस्कार की चाह।
  • उनका हर कार्य “राष्ट्र और धर्म” के लिए था।
  • लेकिन कांग्रेस-नियंत्रित शिक्षा तंत्र ने इन नायिकाओं को लगभग इतिहास से मिटा दिया।
  • स्कूलों में उनके नाम तक मुश्किल से मिलते हैं।
  • क्योंकि अहिल्या बाई जैसी सनातनी, धर्मनिष्ठ और वीरांगना नारी उस “सेक्युलर नैरेटिव” में फिट नहीं बैठती थी जो कांग्रेस बनाना चाहती थी।

🔹 3. झूठा प्रतीक: मदर टेरेसा का महिमामंडन

  • कांग्रेस-वामपंथियों ने “विदेशी सेवा भाव” को भारतीय “धर्मभाव” से ऊँचा दिखाने की रणनीति बनाई।
  • और इसके लिए उन्होंने मदर टेरेसा को एक “देवी” बनाकर प्रस्तुत किया।

📜 उनका प्रचारित चेहरा:

  • “गरीबों की मसीहा”
  • “मानवता की मूर्ति”
  • “निर्मल हृदय” की संस्थापक

🔍 लेकिन वास्तविकता:

  • 1950 में उन्होंने Missionaries of Charity की स्थापना की।
  • “निर्मल हृदय” नामक संस्थान को अस्पताल बताया गया, पर वह कन्वर्ज़न सेंटर था।
  • बीमार हिंदुओं को लाया जाता, बाइबिल थमाई जाती और मरने से पहले उनका बपतिस्मा कराया जाता।
  • इलाज के नाम पर “दर्द” को “ईसा का वरदान” बताया जाता।
  • जब खुद टेरेसा को हार्ट अटैक आया, तो उन्होंने उसी “निर्मल हृदय” में इलाज नहीं कराया —
    बल्कि कलकत्ता के B.M. बिड़ला अस्पताल में आधुनिक इलाज लिया।
  • यह दोहरा चेहरा ही बताता है कि यह “सेवा” नहीं, बल्कि “धर्मांतरण का व्यवसाय” था।

🔹 4. साक्ष्य और गवाह — असली चेहरा उजागर करने वाले

कई विदेशी और भारतीय स्वयंसेवक, डॉक्टर और नन बाद में सामने आए जिन्होंने सच्चाई बताई:

डॉ. अरूप चटर्जीMother Teresa: The Untold Story के लेखक।

  • लिखा कि नई दवाइयाँ होते हुए भी पुरानी सिरिंजें इस्तेमाल होती थीं।
  • मरीजों को दर्द में छोड़ दिया जाता ताकि उन्हें “ईसा की पीड़ा” समझाया जा सके।

डॉ. जैक प्रैगरडॉ. रिचर्ड डीटैरसी लेउनार्डसुशैन सेल्स

  • सबने बताया कि “निर्मल हृदय” कोई अस्पताल नहीं, बल्कि “conversion mission” था।यहाँ इंसानियत नहीं, धर्मांतरण की फैक्ट्री चलती थी
  • और कांग्रेस ने इसे “भारत रत्न” देकर पवित्रता का आवरण दे दिया।

🔹 5. कांग्रेस का पाखंड: असली नायकों को दबाना, झूठे प्रतीकों को पुरस्कृत करना

कांग्रेस का एजेंडा हमेशा से स्पष्ट रहा है:

  • जो भारत की आत्मा से जुड़ा है, उसे दबाओ।
  • जो विदेशी विचारधारा से जुड़ा है, उसे महिमामंडित करो।

उदाहरण:

> अहिल्या बाई होलकर — कोई राष्ट्रीय सम्मान नहीं।

> मदर टेरेसा — भारत रत्न और विश्वव्यापी प्रचार।

  • एक ने मंदिर बनाए, दूसरे ने धर्म तोड़ा।
  • एक ने संस्कृति को जोड़ा, दूसरे ने आस्था को तोड़ा।
  • लेकिन इतिहास में “देवी” वही कहलायी जो भारत की जड़ों को कमजोर करती रही।

🔹 6. झूठे नैरेटिव का असली उद्देश्य

यह कोई एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि एक गहरी वैचारिक साजिश थी।
इसका लक्ष्य था —

  • भारत को यह भ्रम देना कि “सच्ची करुणा” पश्चिम से आती है।
  • भारतीय धर्म को “अंधविश्वास” बताना।
  • और हिंदू युवाओं में “आत्मग्लानि” और “हीनभावना” पैदा करना।
  • कांग्रेस-वामपंथी गठजोड़ ने “conversion” को “compassion” का नाम देकर भारत की चेतना पर कब्ज़ा किया।
  • आज भी उनका यह प्रयास निरंतर जारी है

🔹 7. मानसिक गुलामी से मुक्ति — सत्य का पुनर्जागरण

अब भारत के लिए यह निर्णायक समय है कि वह अपनी चेतना से इस परत को हटाए।

✅ करने योग्य कार्य जो हमारे लिए आवश्यक है:

  • इतिहास से झूठे प्रतीकों को हटाना।
  • असली सनातनी नायकों — अहिल्या बाई, झांसी की रानी, पन्नाधाय, सावित्री, सीता — को पुनः आदर्श बनाना।
  • पाठ्यक्रमों में “भारतीय दृष्टिकोण” से इतिहास लिखना।
  • मीडिया और समाज में विदेशी प्रचार की सच्चाई उजागर करना।
  • और सबसे महत्वपूर्ण — अपनी जड़ों पर गर्व करना।

🔹 8. सत्य, धर्म और भारत की आत्मा का पुनर्जागरण

  • कांग्रेस और वामपंथी ताक़तों ने “मानवता” के नाम पर भारत की संस्कृति पर सबसे गहरा वार किया।
  • उन्होंने अहिल्या बाई जैसी देवी को मिटाया और मदर टेरेसा जैसी विदेशी “conversion agent” को देवी बना दिया।
  • लेकिन अब समय बदल रहा है।
  • भारत अब अपने असली इतिहास को जान रहा है, अपने असली नायकों को पहचान रहा है।
  • अब झूठे प्रतीकों को हटाकर असली देवियों को पुनः सिंहासन पर बैठाना होगा।
  • यही होगा “सत्य का पुनर्जागरण” — धर्म की रक्षा, और भारत की आत्मा का पुनः उत्थान।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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