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भारतीय शिक्षा का विकृतीकरण

भारतीय शिक्षा का विकृतीकरण और युवा पीढ़ी पर प्रभाव

  • भारतीय शिक्षा प्रणाली का स्वरूप आज जिस दिशा में है, उसकी जड़ें औपनिवेशिक नीतियों और स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक योजनाओं में गहराई से जुड़ी हैं।
  • स्वतंत्र भारत में पहले पांच शिक्षा मंत्रियों और नेहरू की प्रोमुस्लिम, धर्मनिरपेक्ष और पश्चिमी संस्कृति आधारित नीतियों ने हिन्दू गौरव और सांस्कृतिक चेतना को गंभीर रूप से प्रभावित किया।

1. स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री और उनका प्रभाव

स्वतंत्र भारत के पहले पांच शिक्षा मंत्रियों ने शिक्षा प्रणाली को इस तरह से डिज़ाइन किया कि हिंदू इतिहास, धर्म और संस्कृति का उल्लेख न्यूनतम हो

  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, स्वतंत्र भारत के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री, ने सुनिश्चित किया कि विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में हिंदू गौरव और वीरता का उल्लेख ना हो, जबकि मुस्लिम और पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा दिया गया।
  • नेहरू के प्रोमुस्लिम रुझान और धार्मिक असंवेदनशीलता ने युवाओं में हिंदू होने पर अपराधबोध और अपनी संस्कृति के प्रति अवमानना की भावना विकसित की।
  • यह नीतिगत विकृति आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली में देखने को मिलती है और इसका सीधा असर युवा पीढ़ी के मानसिक और सामाजिक विकास पर पड़ा है

2. संविधान संशोधन और शिक्षा में भेदभाव

  • स्वतंत्र भारत के संविधान में किए गए संशोधनों ने स्कूल और कॉलेजों में हिंदू धर्म का पढ़ाया जाना प्रतिबंधित किया।
  • इसके विपरीत, इस्लाम और ईसाई धर्म की शिक्षा की अनुमति दी गई, जिससे धर्म और संस्कृति के प्रति भेदभाव बढ़ा।
  • इसका परिणाम यह हुआ कि युवाओं को उनकी जड़ों और सांस्कृतिक विरासत से काटा गया, और उन्होंने केवल पैसा, पद और व्यक्तिगत लाभ की ओर ध्यान देना शुरू किया।
  • यह सामाजिक और मानसिक विभाजन ने युवाओं को समाज और देश के प्रति जिम्मेदार बनने से रोक दिया।

3. औपनिवेशिक शिक्षा नीति और इसके प्रभाव

  • 1835: ब्रिटिश संसद ने मैकाले के सुझाव के अनुसार भारतीय शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने की रणनीति अपनाई।
  • 1858: Indian Education Act लागू किया गया।
  • अंग्रेजों ने Aryan Invasion Theory और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया।

परिणामस्वरूप:

  • हिन्दू धर्म और संस्कृति को नीचा दिखाया गया।
  • युवाओं में अपनी संस्कृति और गौरव के प्रति असंवेदनशीलता पैदा हुई।
  • भारतियों के मन में यह भ्रम पैदा किया गया कि अंग्रेज़ श्रेष्ठ प्रशासक और पश्चिमी संस्कृति उत्कृष्ट है

4. पाठ्यपुस्तकों में विकृति

ICSE और NCERT के उदाहरण:

कक्षा 6-10:

  • हिन्दू वीरों, शासकों और स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख न्यूनतम।
  • मुगलों और अंग्रेजों की प्रशंसा।
  • ईसाई और मुस्लिम प्रचार का बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुतिकरण।
  • मराठा साम्राज्य और शिवाजी के योगदान का सीमित उल्लेख।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस, आज़ाद हिंद फौज और अन्य क्रांतिकारियों का अल्प विवरण।

उदाहरण:

  • ICSE कक्षा 6 की किताबों में हिन्दू संस्कृति और 5000+ साल पुरानी सभ्यता का उल्लेख नहीं
  • केवल आक्रांताओं और बौद्धों का उल्लेख।
  • कक्षा 7 में ईसाई प्रचार का विस्तार, जबकि अरब और मुग़ल आक्रमण के उल्लेख सीमित।
  • कक्षा 8-10 में मराठा साम्राज्य और शिवाजी का केवल संक्षिप्त विवरण।

प्रभाव:

  • युवाओं को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व नहीं होता
  • शिक्षा उन्हें केवल पैसा और पद की ओर प्रेरित करती है, समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी कम होती है।

5. नेहरू की नीतियों और मुस्लिम-प्रिय दृष्टिकोण

  • नेहरू ने लगातार हिंदू परंपराओं का मज़ाक उड़ाया और मुस्लिम हितों को प्राथमिकता दी
  • हिंदू युवाओं में संस्कार, गौरव और आत्मविश्वास की कमी पैदा की।
  • शिक्षा प्रणाली के माध्यम से युवाओं को अपने धर्म के प्रति अपराधबोध और पश्चिमी संस्कृति के प्रति आकर्षण विकसित किया गया।
  • संविधान और पाठ्यपुस्तकों में भेदभाव ने युवाओं को सिर्फ व्यक्तिगत लाभ और पद की लालसा पर केंद्रित कर दिया।

6. मोदी सरकार का सुधार प्रयास

  • मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में शिक्षा में सुधार और सही इतिहास पढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
  • शिक्षा में भारतीय गौरव, संस्कृति और धर्म को पुनः शामिल किया जा रहा है।
  • हालांकि सुधार धीरे-धीरे हो रहे हैं क्योंकि सरकार को अपूर्ण बहुमत के कारण क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • युवाओं के लिए जरूरी है कि वे सही भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता संघर्ष पढ़ें, और समझें कि कैसे पिछली नीतियों ने उन्हें उनके धर्म और संस्कृति से अलग किया।

7. युवाओं के लिए संदेश

  • अपने धर्म, संस्कृति और गौरव के प्रति जागरूक बनें।
  • इतिहास और स्वतंत्रता संघर्ष को पढ़ें और समझें।
  • समझें कि Sanatana Dharma और मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों का संघर्ष देश और समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
  • केवल जागरूक और संगठित युवा ही भारत को वैश्विक मंच पर गौरवशाली और स्थिर राष्ट्र बना सकते हैं।
  • स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्रियों और नेहरू की नीतियों ने हिंदू गौरव और संस्कृति को कमजोर किया
  • संविधान और पाठ्यपुस्तकों में भेदभाव ने युवाओं को जड़ों से काट दिया
  • मोदी सरकार सुधार कर रही है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है।
  • युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे सही इतिहास पढ़ें, अपने धर्म और संस्कृति का सम्मान करें और देश के विकास में योगदान दें।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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